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Darbhanga: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवीय बुद्धिमत्ता से जुड़े कार्यों को करने में सक्षम

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कम्प्यूटेशनल प्रणालियों की वह क्षमता है, जो आमतौर पर मानवीय बुद्धिमत्ता से जुड़े कार्यों को करने में सक्षम होती है.

दरभंगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कम्प्यूटेशनल प्रणालियों की वह क्षमता है, जो आमतौर पर मानवीय बुद्धिमत्ता से जुड़े कार्यों को करने में सक्षम होती है. इसकी स्थापना 1956 में एक अकादमिक अनुशासन के रूप में हुई थी और यह क्षेत्र अपनी प्रगति यात्रा में आशावाद के कई चक्रों से गुजरा है. यह बात लनामिवि के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने शुक्रवार को सीएम साइंस कॉलेज में पीजी भौतिकी विभाग द्वारा ””””””””आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: रिसेंट ट्रेंड्स एंड फ्यूचर इंप्लीकेशंस”””””””” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए कही. उन्होंने कहा कि 2020 के दशक में, उन्नत जनरेटिव एआई में तेजी से प्रगति की. इसकी सामग्री बनाने और इसे संशोधित करने की क्षमता ने कई अनपेक्षित सफलताएं हासिल की, लेकिन इसने इसके साथ ही कई नुकसानों को भी जन्म दिया. उम्मीद है कि इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर गंभीर चर्चा कर इसके उपयोग की राह को सरल, सुगम एवं इससे होने वाले नुकसान से बचाव के लिए समुचित मार्गदर्शन करेंगे.

प्रधानाचार्य प्रो. संजीव कुमार मिश्र ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए आयोजन को शिक्षकों एवं छात्रों के लिए बेहद उपयोगी बताया. कहा कि सेमिनार छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. अतिथियों का स्वागत आयोजन सचिव डॉ उमेश कुमार दास ने किया.

शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण

तकनीकी सत्र में इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, नागालैंड के प्रो चांसलर सह कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एके नायक ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के वर्तमान युग में बहुआयामी शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अनुप्रयोग एवं इसकी प्रभावकारी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है. जैसे जैसे इसका उपयोग बढ़ रहा है, डेटा की गोपनीयता, मॉडल बायस, निर्णयों की पारदर्शिता, जवाबदेही आदि विषय भी अधिक चर्चा में आ रहे हैं. इसके द्वारा गलत निर्णयों, भ्रामक जानकारी, गहरी फेक टेक्नोलॉजी आदि के खतरे भी बढ़े हैं. इस पर गंभीर चिंतन करना विषय विशेषज्ञों की जवाबदेही है.

मुख्य शक्ति के रूप में उभरकर सामने आ रही कृत्रिम बुद्धिमत्ता

लंगट सिंह कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ ओपी राय ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सिर्फ तकनीक के रूप में नहीं देखे जाने की बजाय इसे सामाजिक, न्यायपूर्ण, नैतिक और समावेशी शक्ति के रूप में विकसित किए जाने पर बल दिया. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के डॉ एमएस रजा ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता वर्तमान में तकनीकी, सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन की एक मुख्य शक्ति के रूप में उभरकर सामने आई है. आइआइबीएम एंड जाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट, पटना के ग्रुप डायरेक्टर प्रो. रोहित सिंह ने कहा कि भारत सहित विश्व के अधिकांश हिस्सों में इसके विकास की संभावनाएं असीमित है. डॉ अभिषेक शेखर के संचालन में आयोजित संगोष्ठी के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ एसएन सिंह ने की. विनियम रिसर्च एसोसिएशन, धनबाद (झारखंड) की अध्यक्ष उमा गुप्ता ने भी विचार रखी. धन्यवाद ज्ञापन डॉ आदित्यनाथ मिश्रा ने किया. मौके पर संगोष्ठी के संयुक्त आयोजन सचिव डॉ अजय कुमार ठाकुर, डॉ सुजीत कुमार चौधरी, डॉ रश्मि रेखा, डॉ रवि रंजन, प्रवीण कुमार झा, डॉ रोहित कुमार झा सहित महाविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र -छात्राओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही.

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