राघोपुर. गंगा नदी के जल स्तर में फिर से हो रही वृद्धि से राघोपुर दियारा वासियों को एक बार फिर से चिंता सताने लगी है. प्रखंड के निचले इलाके वाले लोग ऊंचे जगहों पर अपना ठिकाना ढूंढने में जुटे हैं. खासकर पशु पालकों को काफी दिक्कत हो रही है. बाढ़ का पानी राघोपुर में तीसरी बार प्रवेश कर चुका है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से प्रखंड के चक सिंगार, वीरपुर, राघोपुर पूर्वी पश्चिमी जफराबाद, जहांगीरपुर, जुड़ावनपुर सहित कई निचले इलाके वाले गांव में फैल गया है. प्रखंड के शिवनगर बिंदा मार्केट, जुड़ावनपुर सहित मार्केट में बाढ़ का पानी भर गया. वहीं, रुस्तमपुर लोहा पुल से सिक्स लेन पुल जाने वाली रोड, शिवनगर विंदा मार्केट से विश्राम टोला जाने वाली सड़क पर पानी चढ़ने से लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कत हो रही है. चक सिंगार पंचायत का सड़क से संपर्क भंग हो चुका है. बाढ़ में फंसे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अंचल एवं जिला प्रशासन के द्वारा कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. नाव उपलब्ध नहीं होने से लोग जान जोखिम में डालकर खाने पीने की सामग्री लाने एक जगह से दूसरे स्थान पर जाते हैं. किसान को चारा लाने में दिक्कत हो रही है.
रुस्तमपुर घाट पर ओवरलोड नाव का परिचालन
राघोपुर प्रखंड में गंगा नदी का पानी प्रवेश करने के कारण लोगों का एक मात्र सहारा नाव बचा हुआ है. रुस्तमपुर घाट से पटना एवं अन्य जगहों के लिए ओवरलोड नाव का परिचालन किया जा रहा है. मवेशी की तरह नाव पर लोगों को बिठाकर नदी पार कराया जा रहा है. रुस्तमपुर घाट पर पुलिस प्रशासन की तैनाती नहीं किए जाने के कारण नाविकों की मनमानी चरम पर है. राघोपुर प्रखंड के विभिन्न गांव के लोग रुस्तमपुर घाट से पटना के लिए नाव से नदी पार करते हैं. आए दिन हजारों लोग नाव से नदी पार कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि सिक्स लेन पुल जाने वाली रोड पर बाढ़ का पानी भरने के कारण आवागमन बंद हो गया है. जिसके कारण मजबूरी में रुस्तमपुर घाट से नाव पर सवार होकर पटना की तरफ जाना पड़ रहा है. नाविक के द्वारा ओवरलोड नाव का परिचालन किया जा रहा है. कुछ बोलने पर नाविक विवाद करने लगता है. स्थानीय एवं जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए.नाव की व्यवस्था नहीं होने से लोग नाराज
राघोपुर प्रखंड के निचले हिस्से में बाढ़ का पानी पिछले कई दिनों से फैला हुआ है, लोग जान जोखिम में डालकर एक जगह से दूसरे जगह पर जाते हैं, लेकिन अंचल के स्तर से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. जिसके कारण लोग जुगाड़ का नाव बनाकर पशु चारा एवं अपने दैनिक उपयोग का सामन लाते हैं. लोगों का आरोप है कि अंचल के द्वारा नाव उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिसके कारण जान जोखिम में डालकर आते जाते हैं. कभी भी कोई घटना घट सकती है. हालांकि कुछ जगहों पर नाव उपलब्ध कराई गई है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

