दुर्गा पूजा में गंगा महा आरती रहता आकर्षण का केंद्र बांका/बाराहाट. नवरात्र को लेकर पूरा बाराहाट और इसके आसपास का बाजार सज धज कर तैयार हो गया है. बाजार में लोगों की भीड़ नये कपड़े व मिठाई की खरीदारी के लिए जुटने लगी है. बाराहाट दुर्गा मंदिर में भी नवरात्रि के मौके पर बड़े धूमधाम से पूजा आयोजित की जा रही है. यहां 25 सालों से खंजरपुर भागलपुर के मूर्ति कलाकारों के द्वारा भव्य प्रतिमा बनाई जाती रही है. मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना बताया जाता है. जानकार बताते हैं कि बाराहाट स्थित दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना जमींदारी जमाने से ही होती आ रही है. यहां पूजा के प्रणाम 1880 ईस्वी से मिलते हैं. तत्कालिन जमींदार शालिग्राम प्रसाद सिंह ने पहली बार मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर नवरात्र की पूजा आरंभ की गई थी. शुरुआत के दिनों में बाराहाट दुर्गा मंदिर एक छोटी सी झोपड़ी में प्रतिमा स्थापित की जाती थी. जब आजादी के बाद जमींदारी प्रथा समाप्त हुई, तो यहां आम लोगों के सहयोग से पूजा आरंभ हुई. मंदिर का वर्तमान स्वरूप 1950 के आसपास का बताया जाता है. इसके बाद दिनों दिन इस मंदिर की आम लोगों ने चंदा जमा करते हुए मंदिर के स्वरूप को भव्य बनाया. कुछ जानकार लोग बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में यहां पर भैंस की बलि दी जाती थी. कई लोग अपनी अस्ति जाहिर करते थे. कालंतर में यह प्रथा बंद हुई. बाद में भेड़ की बलि दी जाने लगी. इस पर भी आम सहमति नहीं बनी और यह प्रथा भी बंद हो गयी. इसके बाद बकरे की बलि की प्रथा शुरू हुई. पूजा समिति के अध्यक्ष सुनील प्रसाद चौधरी, सचिव राजीव लोचन मिश्रा ने बताया कि मां के दरबार में आयोजित होने वाला गंगा महा आरती लोगों का इन दोनों मुख्य आकर्षण है. इस माह आरती को देखने के लिए पड़ोस के सैकड़ो गांव से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. पूजा अर्चना के संचालन में रामानंद चौधरी, हनुमान दास अग्रवाल, जयप्रकाश चौधरी सहित दर्जनों लोग सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं.
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