बक्सर
शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन बुधवार को मां चंद्रघंटा की उपासना की गई. देवी भक्त घरों में कलश रखकर उनकी पूजा किए और मंदिरों में जाकर मां भगवती का दर्शन-पूजन किए. देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा को शांति और कल्याण की देवी माना जाता है. जिनकी पूजा करने से आरधकों को साहस, पराक्रम और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है. आचार्यों ने बताया कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. इन्हें राक्षसों का वध करने वाली देवी माना जाता है और उनकी पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा तथा भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है. मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान “ॐ एं ह्रीं क्लीं ” एवं “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ” की ध्वनि से मंदिर गुंजायमान हो गए. जिससे शहर से लेकर गांवों तक के वातावरण देवीमय हो गए. पौराणिक मान्यता के अनुसार शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती दुर्गा के नौ स्वरूपों में से मां चन्द्रघंटा का तीसरा स्वरूप है. माता रानी का यह स्वरूप परम शांतिदायक व परम कल्याणकारी है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद होता है. इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला होता है. इनके दस हाथ होते हैं. जो खड्ग व बाण आदि अस्त्र-शस्त्रों से विभूषित रहते हैं इनकी सवारी सिंह है और इनकी मद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

