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मंदिरों में आस्था का सैलाब, मैया की आराधना में लीन हुए श्रद्धालु

दुर्गा पूजा के मौके पर लोगों की आस्था परवान पर है. श्रद्धालु मैया की आराधना में लगे हैं. आस्था के इस मौके पर मंदिरों में भीड़ जुट रही है.

सुरक्षा को लेकर किया गया व्यापक प्रबंध, सभी मंदिरों के बाहर मेले की है तैयारी

सहरसा. दुर्गा पूजा के मौके पर लोगों की आस्था परवान पर है. श्रद्धालु मैया की आराधना में लगे हैं. आस्था के इस मौके पर मंदिरों में भीड़ जुट रही है. श्रद्धालु मंदिरों में पूजा-अर्चना को सपरिवार पहुंच रहे हैं. मैया के दरबार में खासकर महिलाओं की भीड़ मंदिरों में उमड़ने लगी है. सभी मंदिरों के बाहर मेला लगने की अंतिम तैयारी चल रही है. छोटे-छोटे खिलौने की दुकानें सज गयी हैं. पूरे पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय वारदात ना हो, इसको लेकर प्रशासनिक तैयारी भी की गयी है. सुबह से लेकर देर संध्या तक पुलिस गश्ती की जा रही है. सभी पंडालों में सीसीटीवी कैमरे लग रहे हैं. यातायात डीएसपी ओम प्रकाश के नेतृत्व में यातायात की सुविधा पूरी तरह बहाल की जा रही है. कहीं भी अत्यधिक जाम की स्थिति से निबटने के लिए ट्रैफिक पुलिस लगाये गये हैं.

मंदिरों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

माता दुर्गा की पूजा के लिए प्रथम पूजा से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. वहीं चौथी पूजा के पांचवें दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं के पहुंचने से मंदिरों में भीड़ लगी रही. जिन मंदिरों में माता दुर्गा की प्रतिमा बन रही है, उसे अंतिम रूप देने में कलाकार दिन रात लगे हैं. इस बार दो दिन चाैथी पूजा होने से शुक्रवार को भी मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की गयी. सभी मंदिरों में भव्य पंडाल बनाया जा रहा है. वहीं सभी मंदिरों में पुलिस बलों के अलावे मंदिर कमेटी के वॉलिंटियर सजग हैं एवं श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना में कठिनाई ना हो, इसकी व्यवस्था में जुटे हैं. विजयादशमी के दिन दो अक्तूबर की संध्या एमएलटी कॉलेज मैदान में रावण दहन होगा, जिसको लेकर भक्तजनों में उत्साह का माहौल बना है.

आज होगी पांचवें रूप स्कंदमाता की पूजा

पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. देवी को यह नाम उनके पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण प्राप्त हुआ. शास्त्रों में इनके पूजन से साधक को न केवल सांसारिक सुख-समृद्धि, बल्कि दिव्य ज्ञान और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है. मां स्कंदमाता को सिंह पर सवार और चार भुजाओं वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है. उनके विग्रह में बालरूप भगवान कार्तिकेय गोद में विराजमान रहते हैं. एक हाथ से वे वरद मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं, जबकि अन्य दो हाथों में कमल धारण करती हैं. स्कंदमाता की साधना से आरोग्य, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की प्राप्ति होती है. विशेषता यह है कि इनकी पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की भी स्वत: उपासना हो जाती है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनके उपासक में दिव्य कांति और तेज का संचार होता है. संतान सुख और रोगमुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. विनम्रता के साथ देवी स्कंदमाता और बाल कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए. कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फल और चंदन से पूजन करें तथा घी का दीपक जलाएं. इस दिन मां दुर्गा को केले का भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है.

लोगों का उत्साह चरम पर, माहौल भक्तिमय

पतरघट. दुर्गा पूजा को लेकर क्षेत्र के सभी दुर्गा पूजा समितियों के द्वारा सभी दुर्गा मंदिर परिसर में बड़े-बड़े एवं विशाल पंडाल सहित तोरणद्वार के निर्माण कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इलाके में भक्तिमय माहौल बना हुआ है. बंगाली कलाकारों के द्वारा सभी मेला परिसर में रंग बिरंगे कपड़ों के साथ विशाल पंडाल तथा तोरणद्वार के निर्माण कार्य को अंतिम रूप देने में मुस्तैदी के साथ जुट हुए हैं. पूजा समितियों के द्वारा युवाओं की समिति का गठन कर सभी सदस्यों को शांतिपूर्ण माहौल में पूजा संपन्न कराने की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है. क्षेत्र के विशनपुर, गोलमा, कहरा, धबौली, भद्दी, पस्तपार, ठाढी ,रहुआ, पामा, पतरघट, किशनपुर सहित अन्य जगहों पर माता के मंदिरों में पूजा-पाठ के साथ साथ भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. जिसमें नवमी के दिन मंदिर में श्रद्धालुओं के द्वारा मनोकामना की पूर्ति होने पर देवी दुर्गा को बड़ी संख्या में छाग बलि दी जाती है. दुर्गा पूजा को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराना पुलिस प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. थाना अध्यक्ष के द्वारा क्षेत्र के सभी पूजा समिति से आपसी समन्वय स्थापित कर मेला की तैयारी एवं व्यवस्था का जायजा लेकर उचित दिशा निर्देश दिया जा रहा है. इस बार कई जगहों पर पूजा समितियों के द्वारा मैया जागरण भजन संध्या सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.

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