अर्चना नेमानी
डायटीशियन व
डायबिटीज एजुकेटर
‘आहार क्लिनिक’
बैंक रोड, मुजफ्फरपुर
मो : 9472573686
किडनी में पथरी की समस्या आजकल कॉमन होती जा रही है. इस रोग के होने का प्रमुख कारण डीहाइड्रेशन है. अर्थात् यह रोग कम पानी पीने से होता है. असल में खनिज लवण या एसिड साल्ट इकट्ठे होकर िकडनी स्टोन का रूप लेे लेते हैं. ये न िसर्फ िकडनी बल्कि ब्लाडर में भी हो सकता है. हालांिक इसके बनने के कई कारण हो सकते हैं. लेिकन इसके बनने का मुख्य कारण यूरिन का कंसंट्रेट होना है. जब ये स्टोन पेशाब के साथ बाहर आने का प्रयास करते हैं, तो काफी दर्द हो सकता है. हालांिक यदि स्टोन छोटे होते हैं, तो भरपूर पानी पीने से वे टूट कर निकल जाते हैं. हां कभी-कभी ब्लाडर में फंस जाने के बाद सर्जरी की नौबत आ सकती है.
क्या हैं प्रमुख लक्षण
इसके लक्षण आमतौर पर तब तक प्रकट नहीं होते हैं, जबतक की यह यूरिन के साथ मूव नहीं करता है. हालांकि इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
-कमर या उसके आसपास के हिस्सों में हल्का या गंभीर दर्द होना.-यह दर्द पेट और उसके निचले हिस्से में भी फैल सकता है.-पेशाब करते समय दर्द होना-गुलाबी, लाल या भूरे रंग का पेशाब होना-पेशाब का रंग क्लाउडी होना और दुर्गंध आना-जल्दी-जल्दी पेशाब होना-पेशाब काफी कम होना
पाई, जिलेटिन, कुकीज, पुडिंग, बटर, आॅयल, चिकन, ब्लूफिश, जैम, जैली, कैंडी, चॉकेलेट इत्यादि लेने में कोई दिक्कत नहीं होती. भोजन पकाने की सही शैली को अपना कर भी सोडियम और पोटैशियम की मात्रा को भोजन में कम किया जा सकता है और मन के अनुसार भोजन का आनंद लिया जा सकता है. भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटना, ज्यादा पानी में भिगाेना उबालना और पानी को हटा देना. किडनी के मरीज को कुछ बातों की आहार संबंधी जानकारी होना जरूरी है.
मरीज के सामने ऐसे भोज्य पदार्थों की सूची होनी चाहिए, जो उनके लिए नुकसानदायक न हों, ताकि वे इच्छानुसार भोजन का चयन कर सकें. भोजन में स्वाद लाने के लिए निम्न पदार्थों का इस्तेमाल किया जा सकता है. जीरा, तुलसी, तेजपत्ता, इलायची, शाही जीरा, सौंफ, अजवायन, लौंग, अदरक, लहसून, नीबू का रस, पुदीना, आॅरिगेनो, काली-मिर्च, पोस्तादाना, केसर, तिल, हल्दी आदि का प्रयोग भी कर सकते हैं.
