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ब्लड ग्रुप के अनुसार चुनें अपना आहार

कई बार यह देखा जाता है कि कुछ लोगों को कितना भी अच्छा खाने के लिए दिया जाये, उनके शरीर को लगता ही नहीं है. इसके कई कारण हो सकते हैं. ब्लड ग्रुप के अनुसार डायट नहीं देना भी इसका एक कारण हो सकता है. डायट के अंतर्गत दिया जानेवाला आहार चाहे वजन बढ़ाने के […]

कई बार यह देखा जाता है कि कुछ लोगों को कितना भी अच्छा खाने के लिए दिया जाये, उनके शरीर को लगता ही नहीं है. इसके कई कारण हो सकते हैं. ब्लड ग्रुप के अनुसार डायट नहीं देना भी इसका एक कारण हो सकता है.
डायट के अंतर्गत दिया जानेवाला आहार चाहे वजन बढ़ाने के लिए दिया जाये या घटाने के लिए या फिर किसी रोग को नियंत्रित करने के लिए, इन सब परिस्थितियों में मरीज की उम्र, लंबाई, लिंग और मरीज की सक्रियता का ध्यान रखना पड़ता है. इन बिंदुओं पर ध्यान रख कर ही माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और मेक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्र तय की जाती है. ऐसे में यदि ब्लड ग्रुप का ध्यान रख कर व्यक्ति को आहार दिया जाये, तो इसके और अच्छे परिणाम नजर आते हैं.
ब्लड ग्रुप का प्रभाव
हर व्यक्ति का शरीर बायोकेमिकली और मेटाबोलिकली एक-दूसरे से भिन्न होता है. इस कारण से एक ही आहार किसी के लिए फायदेमंद होता है, तो दूसरे व्यक्ति के नुकसानदायक हो सकता है. हमारे रक्त और भोजन के बीच बहुत सारी रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं. ये रासायनिक प्रतिक्रियाएं हमारी आनुवंशिकता पर बहुत हद तक निर्भर करती हैं. हम यदि वहीं भोजन करें, जो हमारे ब्लड ग्रुप के लिए उपयुक्त हो, तो कई रोगों से बचा जा सकता है.
टाइप ए : इस ग्रुप के लोगों को शाकाहारी कहा जाता है. आमतौर पर इस ब्लड ग्रुप के लोगों के लिए शाकाहारी भोजन अधिक उपयुक्त होता है. इन लोगों के लिए ज्यादा दूध पीना फायदेमंद नहीं होता है. हरी सब्जियां, फल, सोयाबीन, टोफू, अखरोट, दालें इनके लिए काफी फायदेमंद होते हैं.
टाइप ओ+ : इस ब्लड ग्रुप के लोगों को मांसाहारी कहा जाता है. इस ग्रुप के लोगों को प्रोटीन थोड़ी ज्यादा मात्र में देना अच्छा होता है. मांस-मछली को ये आसानी से पचा लेते हैं. इन लोगों को गेहूं, मकई और मीठे का सेवन कम करना चाहिए.
टाइप बी+ : इस ग्रुप के लोगों की पाचन शक्ति काफी बेहतर होती है. अत: इस ग्रुप के लोग सर्वाहारी होते हैं. अन्य ग्रुप की तुलना में इनका इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है. चिकेन की तुलना में इन लोगों के लिए दूध और अंडा अधिक फायदेमंद होता है. इन्हें तिल, गेहूं, मकई आदि का प्रयोग कम करना चाहिए.
नोट : ये सभी उपाय एक सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति को आधार बना कर बताये गये हैं. मरीज की उम्र, वजन आदि के आधार पर उनके आहार में अंतर भी आ सकता है. अत: किसी भी डायट को फॉलो करने से पहले डायटीशियन से जरूर संपर्क कर लें.

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