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क्या मां दुर्गा की तरह सच में पूजी जाती हैं महिलाएं

हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला त्यौहार नवरात्रि मुख्य रूप से स्त्री के शक्ति रूप का प्रतीक है. इस त्यौहार में पूरे नौ दिन तक शक्ति का प्रतीक माने जाने वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा का मतलब ही होता है दुखों को दूर करने वाली. यदि इस त्यौहार […]

हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला त्यौहार नवरात्रि मुख्य रूप से स्त्री के शक्ति रूप का प्रतीक है. इस त्यौहार में पूरे नौ दिन तक शक्ति का प्रतीक माने जाने वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा का मतलब ही होता है दुखों को दूर करने वाली.

यदि इस त्यौहार का सामाजिक विश्लेषण करें तो नौ दिनों तक देवी की पूजा करने को कहीं न कहीं समाज में स्त्री को समान महत्व देने से जोड़ा जा सकता है. लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है आइये इस सवाल की पड़ताल की जाए.
* दुर्गा पूजा और महिलाओं के हालात
जहां देश भर में दुर्गा की पूजा की जाती है वहीं दूसरी ओर हम देखते हैं कि समाज में महिलाओं के साथ होने हिंसा की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. तो सवाल उठता है कि क्या दुर्गा पूजा सिर्फ त्यौहार मनाना भर है या स्त्री का सम्मान करना भी इसमें शामिल है.
एनसीआरबी के मुताबिक साल 2013 में करीब तीन लाख दस हजार महिलाएं किसी न किसी हिंसा का शिकार हुई हैं. जिसमें बलात्कार, घरेलू हिंसा की शिकार, महिलाओं की खरीद फरोख्त और अपहरण जैसे मामले शामिल हैं. जबकि यही संख्या 2012 में करीब दो लाख चवालीस हजार थी. एक ही साल में ऐसे मामलों में इतनी बढोतरी सोचने को मजबूर करती है और ऐसे मामले साल दर साल बढ ही रहे हैं.
यह तो एक रिकॉर्ड किए गए मामलों की सूचि है. देश में ऐसे बहुत से मामलें होते हैं जो दर्ज नहीं होते हैं.
क्या अब इस चीज की जरूरत नहीं है कि दुर्गा पूजा के त्यौहार को इसकी सच्ची भावना के साथ मनाया जाए. जिस तरह दुर्गा और उसेक नौ रूपों की पूजा की जाती है और सम्मान दिया जाता है उसी तरह देश की हर महिला को सम्मान दिया जाए.
सम्मान देने का अर्थ अपने सम्मान से जोड़ देना नहीं है लेकिन जिसका बहाना बनाकर तमाम हत्याएं की जाती हैं. सम्मान से जोड़ना है कि महिलाओं की इच्छाओं उनके फैसलों को समाज में बराबरी मिले. दुर्गा पूजा जैसे त्यौहारों को मनाने की सार्थकता तभी है.

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