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शरीर में टॉक्सिन्स की अधिकता मुहांसों का कारण, जानें रोकथाम और बचाव के उपाय

डॉ निवेदिता दादू, त्वचा रोग विशेषज्ञ, दिल्ली मुंहासा त्वचा संबंधी विकार है, जो युवाओं में अधिक देखने को मिलता है. इसे एक्ने भी कहा जाता है. शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता से इस तरह की समस्या अधिक देखी जाती है. क्यों होते हैं मुंहासे : त्वचा के नीचे स्थित सिबेशस ग्लैंड्स से त्वचा को […]

डॉ निवेदिता दादू, त्वचा रोग विशेषज्ञ, दिल्ली

मुंहासा त्वचा संबंधी विकार है, जो युवाओं में अधिक देखने को मिलता है. इसे एक्ने भी कहा जाता है. शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता से इस तरह की समस्या अधिक देखी जाती है.

क्यों होते हैं मुंहासे : त्वचा के नीचे स्थित सिबेशस ग्लैंड्स से त्वचा को नमी देने के लिए तेल निकलता है. ये ग्लैंड्स चेहरे, पीठ, छाती और कंधों पर सबसे ज्यादा होते हैं. अगर ये ज्यादा सक्रिय हो जाएं, तो रोमछिद्र चिपचिपे होकर ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. यही मुंहासों का कारण बनते हैं. सामान्य स्थिति में सूर्य की किरणें इन्हें पनपने नहीं देतीं, सिबेशस ग्लैंड्स की अति सक्रियता की प्रमुख वजह एंड्रोजन हाॅर्मोन की अधिकता है. एंड्रोजन हाॅर्मोन लड़के और लड़कियों दोनों में ही होते हैं. कई बार पीसीओएस और थायरॉइड की वजह से भी मुंहासे देखे जाते हैं.

टॉक्सिक तत्व भी हैं एक वजह
शरीर में जरूरत से ज्यादा टॉक्सिक तत्व भी मुंहासों का कारण हो सकते हैं. त्वचा का एक महत्वपूर्ण कार्य पसीने के जरिय शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालना है. अगर टॉक्सिन्स बहुत ज्यादा हो जाएं, तो इस पूरी प्रक्रिया में त्वचा के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. एलर्जी, तनाव, जंक फूड, अधिक मीठा, सैचुरेटेड फैट, हाइड्रोजेनेटेड फैट और पशु उत्पादों के प्रयोग के अलावा कुपोषण और प्रदूषण से भी मुंहासों के प्रमुख कारक हैं. स्टेरॉयड्स, ओरल कांट्रेसेप्टिव पिल्स और मिर्गी की दवाओं के रिएक्शन से भी ऐसा होता है.

रोकथाम और बचाव के उपाय

अधिक चिकनाई, अधिक मीठा, स्टार्चयुक्त और मसालेदार भोजन से मुंहासों की आशंका काफी बढ़ जाती है, इसलिए इनसे बचें.

रेशेदार अनाज अधिक मात्रा में लें. इससे पेट साफ रहता है और शरीर के विषाक्त पदार्थ भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं.

आहार में ऐसी चीजें आधिक शामिल करें, जिनमें जिंक की मात्रा अधिक हो, जैसे शेलफिश, सोयाबीन, साबुत अनाज, सूर्यमुखी के बीज और सूखे मेवे. जिंक एंटी बैक्टीरियल होतें हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करते हैं.

लो फैट दही पर्याप्त मात्रा में खाएं. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और नमक का प्रयोग कम करें. आयोडिन की अधिकता भी मुंहासों को बढ़ाती है. मछली और प्याज में भी आयोडिन होता है. इनका इस्तेमाल भी कम करें.

शराब, मक्खन, कॉफी, चीज, चॉकलेट, क्रीम, कोको, अंडे, मांस, पोल्ट्री उत्पादों और ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल कम करें.

अपने आहार तरल पदार्थों को शामिल करने के साथ प्रतिदिन 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं.

केमिकल पील, लेजर थेरेपी व हाॅर्मोनल थेरेपी से इस बीमारी से लड़ा जा सकता है.

50 एसपीएफ व उससे अधिक की सनस्क्रीन नियमित रूप से चेहरा साफ करने के बाद लागाएं.

त्वचा की देखभाल है जरूरी :

जितना संभव हो, त्वचा को तैलीय होने से बचाएं. बालों को रोजाना शैंपू करें. मुंहासे के लिए खासतौर पर निर्मित हर्बल साबुन का इस्तेमाल करें, जिसमें सल्फर हो. त्वचा को अच्छी तरह धोएं, लेकिन रगड़ें नहीं.

बालों में डैंड्रफ न होने दें. यह भी त्वचा पर गिर कर मुंहासों का कारण बनता है.

अधिक मेकअप से बचें. अगर मेकअप जरूरी हो, तो प्राकृतिक और वॉटर बेस्ड मेकअप उत्पादों का ही इस्तेमाल करें.

तनाव से दूर रहें. तनाव से हाॅर्मोन परिवर्तन होता है, जिससे मुंहासे बढ़ते हैं. अत: पूरी नींद लें और व्यायाम में समय बिताएं, जिससे कि तनाव में कमी हो और एक्स्ट्रा फैट भी बर्न हों.

मुंहासे होने पर रोज 15 मिनट धूप में जरूर रहें. व्यायाम करें और पूरी नींद लें.

मुंहासों को हाथ से नोचें, हाथ साफ किये बिना प्रभावित त्वचा को न छुएं.

एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं. लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से गुड बैक्टीरिया भी नष्ट हो सकते हैं.

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