-1000 जरूरतमंद बच्चों को मिलेगा डेबिट कार्ड से खरीदारी करने का मौका
रांची: राजधानी के युवा सोशल वर्क को लेकर काफी सजग दिख रहे हैं. हर दिन जरूरतमंदों के लिए कुछ करने की कोशिश. इसी कड़ी में जरूरतमंद बच्चों के लिए एक पहल की गयी है. बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल में खरीदारी की इच्छा रखनेवाले जरूरतमंद बच्चों के लिए महाबाजार सजेगा. यह महाबाजार 28 जुलाई को रांची क्लब में सजेगा. विभिन्न संस्थानों के 1000 बच्चे डेबिट कार्ड से खरीदारी का मजा लेंगे. इन बच्चों को मॉल कल्चर देने के लिए युवाओं का दल ‘फॉलेन लीव्ज’ जुटा हुआ है.
एक साल से कर रहे तैयारी
फॉलेन लीव्ज को लीड करनेवाले रजत विमल कहते हैं कि महाबाजार को लेकर एक साल से तैयारी चल रही है. जरूरतमंद बच्चों के लिए मॉल कल्चर डेवलप करना आसान बात नहीं है. इसके लिए न सिर्फ मैन पावर चाहिए, बल्कि जरूरत का हर वह सामान जिससे बच्चे खुश हों. इसके लिए ग्रुप के 50-60 सदस्य सालों एकजुट होकर सामग्री जुटाने में लगे रहते हैं. कलेक्शन सेंटर से लेकर उसके वितरण तक की प्रक्रिया की जिम्मेदारी निभाते हैं.
बच्चे डेबिट कार्ड से करेंगे खरीदारी 100 रुपये तय है अमाउंट वैल्यू
मॉक शॉपिंग मॉल में बच्चे अनगिनत सामान नहीं खरीद सकते. बच्चों को उनके जरूरत के अनुसार ही सामान खरीदना होगा. शॉपिंग करने के लिए बच्चों को आर्टिफिशियल डेबिट कार्ड दिया जायेगा. इसका अमाउंट वैल्यू 1000 रुपये तय किया गया. आर्टिफिशियल डेबिट कार्ड में इस राशि को पांच हिस्से में बांटा गया है. पांच स्लॉट बने होंगे. 150 और 200 रुपये के दो-दो और 300 रुपये का एक. बच्चों को खरीदारी के समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह अपनी जरूरत के अनुसार ही सामान खरीदे. इस बाध्यता का उद्देश्य बच्चों को सामान की कीमत समझाना है.
राजधानी के कोने-कोने से इकट्ठा किये जा रहे सामान
बच्चों के बीच बांटने के लिए सामान को अशोक नगर स्थित वर्क स्टेशन में जमा किया जा रहा है. जहां राजधानी के विभिन्न कोने से सामान इकट्ठा किये जा रहे. फॉलेन लीव्स के टीम मेंबर इशान बधानी ने बताया कि टीम से जुड़े लोग विभिन्न इलाके से हैं. वह अपने-अपने इलाके में लोगों को घर के पुराने और इस्तेमाल न होने वाले सामान इकट्ठा करते हैं. इसके अलावा शहर के विभिन्न मॉल में भी पोस्टर आदि लगाये गये हैं.
जमा सामग्री को फ्रेश करने की तैयारी
वर्क स्टेशन पर इकट्ठा हो रहे सामान को दोबारा से फ्रेश किया जायेगा. वैसी किताबें जो फटी हुई हैं, उन्हें बाइंडिंग किया जायेगा. जूते-चप्पल और कपड़ों में गड़बड़ी है, उसे दुरुस्त किया जा रहा है. इसके अलावा टीम के सदस्यों ने बेकरी आइटम के लिए आपस में चंदा किया है. जमा हुई राशि से बच्चों के लिए बेकरी आइटम और चॉकलेट खरीदे जायेंगे.
यहां से मिला आइडिया
जरूरतमंद बच्चों के लिए मॉक शॉपिंग मॉल तैयार करने का आइडिया एक घटना से प्रेरित है. रजत बताते हैं : मैं और मेरे तीन दोस्त इशान, मोहन और सौरभ स्कूल के दिनों में राजधानी के एक मॉल के सामने बैठे थे. इसी बीच सड़क पर भीख मांग रहे चार-पांच बच्चे मॉल के समीप पहुंचे और अंदर जाने की कोशिश की. लेकिन गार्ड ने बच्चों को भगा दिया. वे बच्चे काफी मायूस हो गये. इसी घटना से गरीब बच्चों के लिए मॉक शॉपिंग मॉल तैयार करने का आइडिया मिला. ताकि इन जरूरतमंदों के बीच खुशियां बांटी जा सके.
कपड़े और खिलौने जुटाने शुरू किये
मॉल की उस घटना के बाद चारों दोस्त गरीब बच्चों के लिए कपड़े और खिलौने जुटाने लगे. धीरे-धीरे इस अभियान में और दोस्त जुड़ते गये. फिर इस डिस्ट्रीब्यूशन को बढ़ाने का निर्णय लिया और मॉक शॉपिंग मॉल का आइडिया डेवलप हुआ. यह महाबाजार 2016 से लगाया जा रहा है.
कपड़े से लेकर बेकरी आइटम तक
रांची क्लब में इस साल लगने वाले मॉक शॉपिंग मॉल में बच्चों के जरूरत का हर सामान उपलब्ध कराया जायेगा. इसमें कपड़े, पेन-पेंसिल, किताब, खिलौने, स्पोर्ट्स आइटम, जूते – चप्पल, बेकरी आइटम उपलब्ध कराये जायेंगे. इसे बच्चे अपनी इच्छानुसार खरीद सकेंगे. इस साल महाबाजार में खरीदारी करने के लिए बंधगांव, खूंटी और रांची निवारणपुर के आदिमजाति अनाथालय से करीब एक हजार बच्चे पहुंचेंगे. बच्चों की संख्या सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले स्वयं सेवी संस्थानों से भी संपर्क किया गया है.
लगातार एकजुट होकर इन्होंने किया काम
बच्चों को खुशी देने के उद्देश्य से ही महाबाजार शुरू किया गया है. इससे उन्हें प्रेरणा के साथ नया अनुभव मिलता है. हर साल दूसरे जगह से बच्चों को इससे जुड़ने का मौका दिया जा रहा है.
– श्रेयसी बंका
समय के साथ महाबाजार का प्रारूप बढ़ा है. यह किसी एक से संभव नहीं है, इसके लिए पूरी रांची मदद करती हैं. हमारे काम को सहयोग मिलता है और लोग भी बढ़चढ़ कर इसका हिस्सा बनते हैं.
– इशान बधानी
महाबाजार के काम से मुझे कई चीजें सीखने को मिली है. एकजुट होकर काम करने से लेकर दूसरों से काम कैसे करा सकते हैं. काम के बाद दूसरों को खुश देखना सबसे अच्छा लगता है.
– रोशनी कटारुका