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सैडल सोर चैलेंज: इंटरनेशनल बाइकिंग चैलेंज पूरा कर चेन्नई में छाये रांची के तरुण

रजनीकांत पांडेय-23 घंटे में पूरा किया 1600 किलोमीटर का कठिन लक्ष्यरांची : तमिलनाडु में कार्यरत रांची के आइटी प्रोफेशनल तरुण सिन्हा ने बाइक राइडिंग में सबसे मुश्किल यूएस बेस्ड ‘सैडल सोर चैलेंज’ पूरा कर अपने शहर का नाम रोशन किया है. इन दिनों वे चेन्नई के अंग्रेजी व प्रमुख क्षेत्रीय अखबारों में छाये हुए हैं. […]

रजनीकांत पांडेय
-23 घंटे में पूरा किया 1600 किलोमीटर का कठिन लक्ष्य
रांची :
तमिलनाडु में कार्यरत रांची के आइटी प्रोफेशनल तरुण सिन्हा ने बाइक राइडिंग में सबसे मुश्किल यूएस बेस्ड ‘सैडल सोर चैलेंज’ पूरा कर अपने शहर का नाम रोशन किया है. इन दिनों वे चेन्नई के अंग्रेजी व प्रमुख क्षेत्रीय अखबारों में छाये हुए हैं. अपने ‘एवेंजर ग्रुप’ के साथियों के बीच ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के नाम से मशहूर हो चुके हैं.

26 वर्षीय तरुण ने हाल में इस चैलेंज के तहत 24 घंटे के भीतर 1600 किमी की बाइक राइडिंग की चुनौती को 23 घंटे 10 मिनट में पूरा किया है. इसके साथ ही वे चेन्नई के एवेंजर ग्रुप के 450 मेंबर्स में पहले ऐसे मेंबर बन गये, जिसने एक साल में 40 हजार किलोमीटर की बाइक राइडिंग पूरी की. तरुण बताते हैं कि इस उपलब्धि को पाने के लिए उन्हें जोखिम भरे कई पड़ावों से गुजरना पड़ा.

दो बार दुर्घटनाग्रस्त होकर वे मौत के करीब भी जा पहुंचे थे, मगर अपने अनुभवों से लगातार सीखा और आखिरकार अपने डर पर जीत दर्ज की. तरुण के मुताबिक उन्हें ‘बजाज एवेंजर’ की ओर से विज्ञापन के लिए प्रस्ताव भी आया है. जल्दी ही वे कंपनी के सोशल मीडिया पर दिखेंगे.

इस उपलब्धि पर प्रफुल्लित पिता व बैंककर्मी अनिल कुमार सिन्हा (विद्यानगर, हरमू निवासी) याद कर बताते हैं, जब बचपन में चोरी-छुपके साइकिल चलाने के दौरान चोटिल होने पर उन्होंने तरुण की खूब डांट लगायी थी. शुरू में वे बाइकिंग के खिलाफ थे, मगर मां के समझाने पर मान गये. आज भी वे सेफ बाइकिंग के लिए उन्हें आगाह करना नहीं भूलते.

ऐसे शुरू हुआ इनका सफर

तरुण बताते हैं कि इस सफर की शुरुआत ढाई साल पहले तब हुई जब मेरे दो दोस्त फनिंदर और विपिन कुमार अक्तूबर, 2016 में मुझे आंध्रा-तमिलनाडु हाइवे पर बाइक राइडिंग सिखाने ले गये. तभी मेरी आंखों में एक जुनून ने जन्म लिया. आगे मैंने तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों की राइडिंग शुरू की. एक बार मुनार जाने के क्रम में करपक्कम के पास एक कार ने टक्कर मारी. आंख से मुंह तक के मांस कटकर लटक गये. तब मैं इतना डर गया था कि दोबारा मोटरसाइकिल को न छूने का फैसला लिया. दो दिनों बाद तिरूची हाइवे पर सड़क किनारे टी स्टॉल पर चाय पीने पहुंचा. चायवाले ने कहा कि उसके पास सिर्फ ‘ऊटी स्पेशल’ चाय है. तब लगा कि जब यही पीना है, तो क्यों न ऊटी पहुंचकर ही पी जाये.

लक्ष्य पाने के लिए की कड़ी मेहनत

अपनी तैयारी को मुकम्मल करने के लिए मैंने खुद को गर्मी, सर्दी और बारिश से लड़ने के लिए तीन टफ राइडिंग की. इसमें मैंने सीखा कि 48 डिग्री टेम्प्रेचर में कैसे बॉडी को हाइड्रेट रखना है. उस तेज धूप में एक घंटे की सवारी में भी मतिभ्रम का एहसास होता था. जूते वाटरप्रूफ न होने से बारिश में पांव के चमड़े फूल जाते थे. तब पांव में प्लास्टिक बांधकर राइडिंग करता. कुछ संकट की स्थितियों में स्थानीय लोग मेरी मदद के लिए आगे आये. स्थानीय भाषा का ज्ञान नहीं होने से मैं किसी तरह उनके साथ संवाद कर सका. इन तमाम कठिनाइयों के बावजूद इस पूरे सफर में मैं धूल के एक-एक कणों को इंज्वॉय करता रहा, जो मेरे चेहरे से टकराते थे. आखिरकार 30 मार्च, 2019 को मैंने रानीपेट से बेलगाम तक राइडिंग की और 23 घंटे 10 मिनट में 1,600 किमी की दूरी पूरी की. इसके साथ ही एक साल में 40 हजार किमी का सफर पूरा किया.

जाना राइडिंग गियर्स का महत्व : जनवरी, 2017 में जब पहली बार महाबलीपुरम के पास एक ट्रक से दुर्घटनाग्रस्त हुआ, इससे पहले मैं राइडिंग गियर्स (जैकेट, ग्लोव्स, बूट्स, नी गार्ड) के महत्व को नहीं जानता था. सिर्फ हेलमेट लगाकर राइडिंग करता था. उसके बाद मैंने सैलरी से कुछ पैसे बचाये और सेफ राइडिंग के लिए सभी जरूरी चीजें खरीदी. फिर अपने सफर को आगे बढ़ाया.

चैलेंज ने सिखाया जीवन का पाठ : इस मुकाम पर आकर आज लगता है कि अगर मैंने दुर्घटना के बाद राइडिंग छोड़ दी होती, तो मैं जीवन में आनंद और उपलब्धि का यह क्षण कभी हासिल न कर पाता. मैंने इस पूरे सफर में जाना कि जब भी लाइफ में कभी कोई संकट आये, तो इसे दूसरा मौका जरूर दें. यकीनन आप चमत्कार की उम्मीद कर सकते हैं.

खतरनाक स्टंट नहीं है बाइकिंग
तरुण आगे स्कूल-कॉलेज में छात्रों के लिए सेफ राइडिंग पर कैंपेन करना चाहते हैं. वे कहते हैं कि आज कई युवा बेतरतीब बाइक राइडिंग करते हैं और भीड़ भरी सड़कों पर खतरनाक स्टंट कर लोगों में खौफ पैदा करते हैं. जो युवा सोचते हैं कि यही बाइकिंग है, तो मैं उनसे कहना चाहूंगा कि यह महज आवारा पन है. इस पूरे ढाई साल में मैंने जाना कि बाइकिंग महज रफ्तार की सवारी नहीं. सही राइडिंग के लिए आपको सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना होगा. रास्ते में किसी दुर्घटना को देखें, तो नजरअंदाज न करें, बल्कि लोगों की मदद करें. सेफ राइडिंग वह है, जिसमें आप सफर का भरपूर आनंद उठाएं, कम-से-कम ऊर्जा खर्च करें और न केवल खुद सुरक्षित घर वापस आएं, बल्कि अपनी गाड़ी को भी एक खरोंच न आने दें. यही है असल बाइकिंग.

सैडल सोर चैलेंज यानी धैर्य की सवारी
सैडल सोर चैलेंज यूएस की आयरन बट एसोसिएशन से सर्टिफाइड एक धैर्य की सवारी है. इसमें 24 घंटे में 1610 किमी का सफर टू-व्हीलर के जरिये पूरा करने का लक्ष्य होता है. इसे कोई बाइकर अकेले या साथी के साथ तय कर सकता है. पहले इस संस्था से अनुमति लेनी होती है, जिसमें डेस्टिनेशन बताना होगा. राइड पहले पेट्रोल पंप में तेल भरवाने से शुरू होती है, जहां की पर्ची में दिये समय को प्रूफ के तौर पर बताना होता है. पूरे सफर में फेसबुक लाइव के जरिये स्टार्ट टू एंड टाइम तक का अपटेड देना होता है. इस चैलेंज का लक्ष्य लोगों को सेफ राइडिंग के प्रति अवेयर करना है. बाइकर्स के बीच यह बेहद प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है, जिसे पाने के बाद आप सेफ राइडिंग को प्रोमोट करने के लिए ब्रांड अंबेसेडर के तौर पर माने जाते हैं. इसका नेक्स्ट लेवल Bun Burner चैलेंज है, जिसमें 36 घंटे में 2400 किमी कवर करना होता है.

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