त्योहार कोई भी हो, परिधान ही उसकी रंगत संवारते हैं. अब देखिये न! नवरात्रि बस आने ही वाली है. गरबा-डांडिया के शौकीन तो बस पूरे साल इस नवरात्रि का ही इंतजार करते रहते हैं. वे सिर्फ इंतजार ही नहीं करते, इसके लिए तैयारी भी करते हैं. इसी तैयारी में शामिल है डांडिया के लिए विशेष ड्रेस का इंतजाम करना. कुछ लोग तो अपने लिए यह विशेष ड्रेस बनवा लेते हैं पर सबके लिए यह संभव नहीं. गरबा-डांडिया हो या रामलीला या किसी भी तरह का सांस्कृतिक आयोजन. परंपरागत, धार्मिक, ऐतहासिक और आधुनिक हर तरह के ड्रेस आपको अब किराये पर मिल जायेगा. तो परिधान की चिंता छोड़िये और त्योहार के मजे लीजिए.लाइफ@जमशेदपुर की रिपोर्ट.
खुद के बच्चे को नहीं मिली ड्रेस तो देने लगे किराये पर
पिछले दस सालों से पर्व-त्योहार से संबंधित ड्रेसेस का भाड़े में देने का कारोबार कर रहे परवेज अख्तर आर्टिस्ट और इवेंट मैनेजर भी हैं. खड़ंगाझार में उनका शो रूम है साथ ही वे घर में भी ड्रेसेस का स्टॉक रखते हैं. दस साल पहले जब उन्होंने शहर में फैंसी ड्रेस व अन्य किसी इवेंट के समय भाड़े के ड्रेसेस की कमी देखी तो उन्होंने इस कमी को पूरा करने का बीड़ा उठाया. स्कूल के एनुअल प्रोग्राम में हो या किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की बात हो, अक्सर बच्चों के पैरेंट्स ड्रेस को लेकर चिंता में रहते हैं और एक बार के लिए अधिक पैसा खर्च कर ड्रेस बनाते हैं. परवेज ने जब खुद अपने बच्चे के लिए ऐसी ही परेशानी का सामना किया तो उन्होंने खुद इस कारोबार में उतरने का निश्चय किया.
अगस्त से शुरू हो जाती है बुकिंग
परवेज बताते है कि ड्रेसों की बुकिंग अगस्त से आरंभ हो जाती है. सबसे ज्यादा बुकिंग गणेश उत्सव में होती है और उसके बाद नवरात्रि के डांडिया ड्रेसेस की. हर साल कुछ नयापन लाने की कोशिश करते हैं. लेकिन फैंसी ड्रेसेस वाले ड्रेस वैसे ही रहते हैं. इसमें बाल हनुमान, बाल गणेश, गोपाल व अन्य कई तरह के ड्रेसेस शामिल हैं. नवरात्रि में कई जगहों पर रामलीला का आयोजन होता है. ऐसे में रामलीला के सेटअप से लेकर हर एक किरदार के अलग-अलग ड्रेसेस का पूरा सेट तैयार करना पड़ता है. इसकी बुकिंग पहले से करनी पड़ती है.
राजस्थानी लहंगा व चोली बढ़ायेगी शान
परवेज बताते है कि इस बार राजस्थान की कारीगरी की हुई लहंगा-चोली का सेट मंगवाया है. इसके साथ भारी भरकम ज्वेलरी सेट है. ज्वेलरी के फैशन में ट्रेंड बदला है. पहले महिलाएं लाइट वेट और कम झालर वाले कमरबंद पसंद करती थीं. लेकिन इस अधिक झालर वाले कमरबंद की डिमांड है. अब तक एक-एक ग्रुप के दस-दस सेट मंगवाया है. वहीं डांस-ड्रामा का ड्रेस और सेटअप भी तैयार किया जा रहा है.
चमकीली होगा डांडिया व गरबा की ड्रेस
इस बार डांडिया-गरबा के ड्रेसेस को नया रूप दिया गया है. इस बार खासतौर पर गरबा के लिए ड्रेस और ज्वेलरी की नई वैरायटी आयी है. इसमें ड्रेस में जहां कपल ड्रेस की नई रेंज है वहीं ज्वेलरी में सिल्वर ज्वेलरी पहली पसंद बन सकती है. कपल ड्रेसेस में ब्राइट कलर्स में कांच, वेलवेट और बनारसी टच में लहंगे और अंगरखा हैं. वहीं पारंपरिक ज्वेलरी में इंडो वेस्टर्न डिजाइन को नए एक्सपेरीमेंट के साथ उतारा गया है. इससे ज्वेलरी को नया लुक दिया गया है. गरबा उत्सव के लिए मार्केट में इन डिजाइन की कपल ड्रेस, सिंगल ड्रेस और ज्वेलरी की बुकिंग भी शुरू हो चुकी है. इसमें महाआरती से लेकर नौ दिनों तक की ड्रेस पर स्पेशल पैकेज दिए जा रहे हैं. इस बार कॉटन के साथ वेलबेट और नेट के लहंगे भी हैं. सिल्व ज्वेलरी गर्ल्स को ज्यादा पसंद आ सकती है. इसकी वजह ब्राइट कलर्स के साथ सिल्वर ज्वेलरी में हाइलाइटेड स्टोन वर्क है.
पोशाकों में आधुनिक टच : डांडिया-गरबा के कोरियोग्राफर हर्ष व्यास ने बताया कि पहले के समय में ड्रेसेस एथनिक लुक में होते थे. आज के समय में आधुनिक टच दिया गया है. चमक-दमक ज्यादा है, कारीगरी कम. पुरुषों के पहनावे में भी बदलाव आया है. पगड़ी की जगह पर लोग टोपी पहन रहे हैं. ओढ़नी की जगह कारीगरी की हुई जैकेट पहना जा रहा है.
नवरात्रि में किस दिन किस रंग का वस्त्र
कलश स्थापना के दिन केसरिया या पीला रंग. दूसरे दिन नारंगी या हरा रंग. तीसरे दिन- श्वेत वस्त्र. इस दिन गरबा करते हुए भूरे रंग की पोशाक पहनी जाती है. चौथे दिन- लाल, नारंगी या केसरिया रंग की पोशाक में महिलाएं डांडिया व गरबा करती है. पांचवे दिन – नीले रंग का पोशाक पहनाया जाता है. छठे दिन पीले रंग के वस्त्र की प्रमुखता होती है. सातवें दिन- आसमानी, बैंगनी या नीले रंग के वस्त्र पहने जाते है. आठवें दिन – लाल, नारंगी, व गुलाबी वस्त्र पहने जाते है. नौंवे दिन- नीला और जामुनी रंग के कपड़े पहने जाते हैं.
गरबा की पारंपरिक पोशाकों में आज भी गुजरात की हस्तकला की झलक
गुजराती समाज में डांडिया एवं गरबा का विशेष महत्व होता है. क्योंकि यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है. गुजरात की इस अनूठी संस्कृति में लोककला (गरबा) और हस्तकला (पोशाक) दोनों का समावेश है, वह नवरात्रि के त्योहार पर और भी मुखर हो उठती है. भले ही आज नवरात्रि में आधुनिकता का समावेश हो गया हो, किंतु गरबा की पारंपरिक पोशाकों में आज भी गुजरात की हस्तकला की रंग झलकती है. नौ दिनों तक मां अंबे की पूजा करते हुए गुजराती समाज की महिलाएं गरबा एवं पुरुष गरबी करते हैं. नौ दिनों वे विशेष तरह की पोशाक पहनते हैं. डांडिया, रास और गरबा करते हुए महिलाएं घाघरा-चोली पहनती हैं. इन पोशाकों की कारीगरी के साथ-साथ इसके रंगों की अलग विशेषता होती है. एक तरह से कहा जाये तो मां अंबे के पसंदीदा रंगों से बने ड्रेसेस को ही पहना जाता है. आमतौर पर गरबा और डांडिया में पुरुष और महिलाएं दोनों रंगीन परिधान पहनते हैं. लड़कियां और महिलायें चनिया (घाघरा) चोली पहनती हैं, यह चोली के साथ तीन टूकड़ों का एक पोशाक, जिसमें चनिया के साथ मिलकर कढ़ाईदार रंगीन ब्लाउज भी होता है. जो आम तौर पर पारंपरिक गुजराती तरीके से पहना जाता है. चनिया चोली को मोती, गोले, दर्पण, तारे और कढ़ाई के काम से सजाया जाता है. परंपरागत रूप से, महिलाएं बड़े झुमके, हार, बिंदी, बाजूबंद, चूड़ा और कंगन, कमरबंद, पायल और मोजीरिस से खुद को सजाती हैं. पुरुष कफनी पाजामा के साथ घाघरा ( जो एक छोटा गोल कुरता है ) पहनते हैं जो घुटने से ऊपर तक लंबाई की होती है. बांधनी दुपट्टे, कला और मोजीरिस के साथ सिर पर पगड़ी पहनते हैं.
लहंगा के साथ ब्लैक मेटल ज्वेलरी
बिष्टुपुर निवासी अरुण और हिना पिछले 20 सालों से फैंसी ड्रेसेस भाड़े में देने का व्यवसाय कर रहे हैं. यह उनका फैमिली बिजनेस है. हिना बताती हैं कि पहले इस व्यवसाय को समाज के लोगों तक ही सीमित रखा था. फिर मांग को देखते हुए इसका दायरा बढ़ाया. नवरात्रि के समय में ड्रेसेस की मांग बढ़ जाती है. इसके अलावा गुजराती समाज में समय-समय पर होने वाले आयोजन में भी लोग इनके यहां से ड्रेसेस भाड़े पर ले जाते हैं. डांडिया और गरबा के ड्रेसेस में कलश स्थापना से लेकर दशमी तक अलग-अलग रंगों की प्रमुखता रहती है. इसलिए ड्रेस को तैयार करते समय इन बातों का ध्यान रखना पड़ता है. हिना ने बताया कि इस बार महिलाओं की पसंद को देखते हुए फुल लेंथ घाघरा और हेवी वर्क चोली सेट डांडिया के लिए मंगवाया है. साथ में ब्लैक मेटल की ज्वेलरी भी है.