अंजनी गुप्ता के पास है सैकड़ों बांसुरियों का संग्रह
पटना : संगीत की साधना सबसे अलग होती है. इस साधना में समय की कोई सीमा नहीं होती है. एक बार जो इस साधना में रम गया, उसके लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. संगीत के लिए कई वाद्य यंत्र भी हैं, जिनमें बांसुरी का स्थान अलग है. इसकी स्वर लहरी ऐसी है कि जो भी इसे सुनता है, खो जाता है. पटना सिटी के पत्थर की मस्जिद के निवासी अंजनी कुमार गुप्ता भी ऐसे ही साधकों में से एक हैं. अंजनी के पास जहां सैकड़ों बांसुरियों का संग्रह है. वह खुद साधक हैं और बांसुरी बजाना सिखाते हैं.
सालों की है साधना
अंजनी बताते हैं, 40 साल पहले उन्हें पहली बार बांसुरी के प्रति आकर्षण जागा, जब वह क्लास नौ में थे. जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया शौक लगाव में बदलने लगा. उस वक्त उनके ही मुहल्ले में नंद किशोर रहते थे. उन्होंने बांसुरी की पहली धुन के बारे में बताया. वह कहते हैं, जब सीखने का दौर शुरू हुआ तब उन्होंने संग्रह करना भी शुरू कर दिया. वह कहते हैं, आज मेरे पास बंबू फ्लूट, टीक फ्लूट व स्टील फ्लूट तीनों प्रकार की बांसुरी है. वह कहते हैं, मेरे पास बांसुरी की संख्या हजारों में थी, लेकिन जब भी कोई मिलने या सीखने आया. उसको मैंने उपहार में बांसुरी ही दिया. इसके अलावा जब भी कही उपहार देने की बारी आयी, बांसुरी ही दिया.
ऑनलाइन सिखाते हैं बांसुरी वादन
अंजनी क्लास रूम के अलावा ऑनलाइन तरीके से छात्रों को बांसुरी वादन भी सिखाते हैं. वह कहते हैं, पहले घर पर ही सिखाता था लेकिन डिजिटल इंडिया से प्रेरित होकर मैंने ऑनलाइन सिखाना शुरू किया. यूट्यूब, स्काइप के माध्यम से दुनिया भर से छात्र उनसे जुड़ते हैं. यूट्यूब पर अभी तक दो हजार से एपीसोड पोस्ट कर चुके हैं. अंजनी उसमें बांसुरी व हिंदुस्तानी राग के बारे में बताते हैं और बैक ग्राउंड में सारी जानकारी रहती है. उनके छात्रों में छह साल से लेकर 70 साल तक के लोग शामिल हैं. प्रत्येक रविवार को ग्रुप में सिखाते हैं. वह कहते हैं, मैंने सुना था कि विदेशों में लोग ऑनलाइन पढ़ते व सिखते हैं. बस उसी के अनुसार काम किया. इन एपीसोड में अंजनी राग भोपाली, यमन, भैरव, विहाग, बिलावल के अलावा कई रागों को पोस्ट कर चुके हैं. वह कहते हैं, बांसुरी व संगीत वादन मेरे लिए सांस के जैसे हैं. इनके बिना जीवन संभव नहीं है.
देश-विदेश की है बांसुरी
अंजनी के पास एक तरफ साढ़े तीन फीट लंबी शंख बांसुरी है तो दूसरी तरफ महज दस इंच लंबी छोटी बांसुरी भी है. वह कहते हैं, शंख बांसुरी को बजाना जितना कठिन होता है उतना ही कठिन छोटी बांसुरी को बजाना होता है. इसे बजाने के लिए सांस में स्थिरता चाहिए. इनमें कुछ बांसुरी उन्होंने खरीदा है तो कुछ को उनके छात्रों ने भेंट स्वरूप प्रदान किया है. अंजनी के पास हिंदुस्तानी के अलावा कर्नाटक शैली की भी बांसुरियां हैं. इनमें अंतर बताते हुए वह कहते हैं, कर्नाटक शैली की बांसुरी में कुल नौ छिद्र होते हैं, जबकि हिंदुस्तानी शैली की बांसुरी में सात छिद्र होते हैं. कर्नाटक शैली की बांसुरी को बजाना थोड़ा कठिन होता है. स्टील की बांसुरी जर्मनी की बनी है, जिसे अंजनी के शिष्य ने दिया है.
बांसुरी में बिहार का नाम अहम
अंजनी बताते हैं, वैसे तो बांसुरी को सीखने व संग्रह करने का शौक देश विदेश के लोगों को है. लोग इसे पसंद तो करते ही हैं लेकिन बहुत ही कम लोगों को यह जानकारी होगी कि बांसुरी की दुनिया में सबसे अहम व बड़ा नाम बिहार का ही है. बिहार से ताल्लुक रखने वाले एक फेमस ब्रांड का प्रयोग देश के सभी मंजे हुए कलाकारों के साथ देश विदेश के सभी फेमस म्यूजिक हाउस के कलाकार करते हैं. वह कहते हैं, बांसुरी की दुनिया में सबसे बड़े ब्रांड के ऑनर बिहार के मुजफ्फरपुर के ही निवासी हैं और दिल्ली में रहते हैं. वह बिहार में बराबर आते रहते हैं. बांसुरी बनाने के लिए बंबू व टिक असम से मंगाया जाता है जबकि इसे दिल्ली में तैयार किया जाता है.