समायोजन विकृति मतलब किसी व्यक्ति द्वारा आम जीवन में सामान्य स्तर के समायोजन को बनाने की अयोग्यता. समायोजन दरअसल किसी व्यक्ति विशेष की जरूरतों और उसके संतुष्टि स्तर के बीच संतुलन बनाये रखने की प्रक्रिया है.
केस स्टडी:शुभ्रता पढाई-लिखाई में बेहद होशियार है. घर से लेकर स्कूल तक सब उसे बेहद पसंद करते हैं. लेकिन उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि वह खुद को नये लोगों के बीच या नये माहौल में के अनुरूप ढाल नहीं पाती. इसी वजह से वह शादी-पार्टी आदि में जाना नहीं चाहती. ऐसी किसी परिस्थिति में वह खुद को एडजस्ट करने में बेहद कठिनाई का अनुभव करती है. उसके दोस्त भी बहुत ज्यादा नहीं हैं.
एक ही परिवार के हर सदस्य का समायोजन स्तर उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक क्षमता के अनुसार भिन्न होता है, इसलिए यह संभव है कि परिवार का हर सदस्य किसी एक परिस्थिति (विवाह/तलाक/किसी प्रियजन की असामयिक मौत आदि) के प्रति भी भिन्न प्रतिक्रिया व्यक्त करे. इसे उस व्यक्ति विशेष के संदर्भ में समझने की जरूरत होती है.
दूसरे स्तर के समायोजन की जरूरत स्कूल में होती है. जब कोई बच्चा स्कूल में एडमिशन लेता है, तो वहां उसे माहौल, सहपाठी, शिक्षक, पढाई, अन्य गतिविधियां, अनुशासन आदि सब नया मिलता है. इनमें से हर एक समस्या को वह अपने तरीके से समझता और उसका विश्लेषण करता है. फिर उसके साथ समायोजन करता है. रोज नयी चीजें सीखता है. इससे उसके व्यक्तित्व में निखार आता है.
इस तरह आगे चल कर समाज के साथ किया जानेवाला समायोजन व्यक्ति को एक सामाजिक प्राणी के तौर पर स्थापित करने में मदद करता है. इनमें नये शहर, नयी नौकरी, नये माहौल, नये बॉस आदि के साथ किया जानेवाला समायोजन शामिल है.