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Vidur Niti: ब्रह्महत्या के समान है मनुष्य के ये 3 कुकर्म – इससे बड़ा कोई पाप नहीं संसार में

विदुर नीति के अनुसार तीन ऐसे कुकर्म हैं जो ब्रह्महत्या के समान गंभीर पाप माने जाते हैं. जानें कौन से हैं ये कर्म और कैसे ये हमारे जीवन और समाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

Vidur Niti:  भारतीय दर्शन और नीति शास्त्रों में जीवन को अत्यंत मूल्यवान माना गया है. महाभारत के विदुर नीति ग्रंथ में भी ऐसे कई उपदेशों का वर्णन हैं जो हमें सही और गलत कर्मों के बारे में मार्गदर्शन देते हैं. विदुर ने अपने नीति उपदेशों में तीन ऐसे कर्म बताए हैं जो ब्रह्महत्या के समान गंभीर अपराध माने जाते हैं. जानें किन कार्यों से मनुष्य अपने जीवन और समाज को नुकसान पहुंचाता है –

Vidur Niti Shlok in Hindi: विदुर नीति श्लोक से जानें कौन से ये 3 कुकर्म हैं ब्रह्महत्या के समान

अनृते च सम्पुटकर्षं राजग्रामि च पैषणम्।
गुरोषात्रीकर्निर्वन्ध्यः समानि ब्रह्महत्ये॥३॥

अर्थ:
इस श्लोक के अनुसार, विदुर ने तीन ऐसे कर्म बताए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या (भगवान, धर्म या ब्रह्मा के नियमों के विरुद्ध किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या करना इसे सबसे बड़ा पाप माना जाता है) के समान पाप करता है. ये तीन कर्म हैं:

  1. झूठ बोलकर उन्नति करना – किसी भी प्रकार की छल-कपट या झूठ बोलकर अपनी स्थिति या लाभ बढ़ाना.
  2. राजा के पास जाकर चुगली करना – दूसरों की बुराई या चोरी-छिपे राजाओं/अधिकारियों के पास शिकायत करना.
  3. गुरु या आचार्य के प्रति अपराध करना – अपने गुरु या शिक्षक के प्रति सम्मान या कर्तव्य का उल्लंघन करना.

विदुर नीति के अनुसार, ये तीनों कर्म समाज और व्यक्तिगत जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक हैं. ये न केवल व्यक्ति के नैतिक पतन का कारण बनते हैं, बल्कि उसके आसपास के लोगों और पूरे समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

झूठ बोलकर लाभ उठाना, लोगों के खिलाफ नकारात्मक बातें करना या गुरु का सम्मान न करना, ये सभी कर्म जीवन को नष्ट करने वाले हैं. यह श्लोक हमें यह समझाता है कि नैतिकता, ईमानदारी और सम्मान जीवन के आधार स्तंभ हैं. इनका पालन करना न केवल समाज के लिए बल्कि अपने मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है.

ये तीन कुकर्म मनुष्य को आत्महत्या के समान दोषी बताते हैं. इसलिए आज के समय में भी, हमें विदुर के इन उपदेशों को याद रखना चाहिए और अपने जीवन में उन्हें अपनाना चाहिए.

महाभारत में विदुर नीति क्या है?

विदुर नीति महाभारत का एक महत्वपूर्ण उपदेश ग्रंथ है, जिसमें विदुर ने धर्म, नीति और जीवन के सही मार्ग पर सलाह दी है. इसमें समाज, व्यक्तिगत जीवन और नैतिकता के बारे में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया गया है.

विदुर नीति के श्लोक का अर्थ क्या है?

विदुर नीति के श्लोक में सरल भाषा में जीवन और नैतिकता के नियम बताए गए हैं. उदाहरण के लिए, अनृते च सम्पुटकर्षं राजग्रामि च पैषणम्। गुरुशात्रीकर्निर्वन्ध्यः समानि ब्रह्महत्ये॥ – इस श्लोक का अर्थ है कि झूठ बोलकर उन्नति करना, राजा के पास चुगली करना और गुरु का सम्मान न करना ब्रह्महत्या के समान पाप हैं.

विदुर नीति के रचयिता कौन थे?

विदुर नीति के रचयिता महाभारत के विदुर थे। विदुर, धृतराष्ट्र के मंत्री और कौरवों के राज्य के सलाहकार थे. उन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर नीति उपदेश दिए.

महाभारत के किस पर्व में विदुर नीति है?

विदुर नीति महाभारत के उद्धव पर्व या शांतिपर्व में वर्णित है. इसमें जीवन, धर्म और नैतिकता के बारे में विस्तृत मार्गदर्शन दिया गया है.

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Pratishtha Pawar
Pratishtha Pawar
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