अक्सर लोगों के दिमाग आता है कि क्या बिना यौन संबंध के जीवन संभव है? बिना यौन संबंध बनाए जीवन जीने वाले कितने लोग हैं? नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि यौन संबंध के बिना जीवन जीने वाले लोग समाज और जैविक कारकों से भी प्रभावित होते हैं. दरअसल यह अध्ययन 4,00,000 लोगों पर केंद्रित था, जिसमें यह समझने की कोशिश की गई कि सेक्स करने वाले व गैर-सेक्स करने वाले वयस्कों में क्या अंतर होता है. यह अध्ययन Proceedings of the National Academy of Sciences (PNAS) में प्रकाशित हुआ है. इसके जरिये लंबे समय तक यौन संबंध न बनाने वाले लोगों से जुड़े जटिल सामाजिक, जैविक और पर्यावरणीय पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है.
4,00,000 से अधिक अडल्ट्स के जवाबों का किया गया था विश्लेषण
अध्ययन में यूके के 4,00,000 से अधिक वयस्कों और ऑस्ट्रेलिया के 13,500 लोगों के जवाबों का विश्लेषण किया गया. रिसर्च का उद्देश्य यह समझना था कि कुछ लोग सेक्स में कभी शामिल क्यों नहीं होते. नतीजे बताते हैं कि यौन संबंध मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक भलाई और यहां तक कि विकासात्मक सफलता में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं. इसके बावजूद, कुछ वयस्क ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी सेक्स नहीं किया. यूके के नमूने में लगभग 1 फीसदी प्रतिभागी यानी 4,000 के आसपास लोग जीवनभर सेक्स रहित रहे.
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रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे
रिसर्चर्स ने कुछ चौंकाने वाले पैटर्न खोजे. जिन लोगों ने कभी सेक्स नहीं किया, वे औसतन अधिक शिक्षित थे और उनमें धूम्रपान या शराब पीने की संभावना कम थी. लेकिन इसके साथ ही, उन्होंने अपने जीवन में अकेलापन, असंतोष और तनाव अधिक महसूस किया. पुरुषों के मामले में, शरीर की ऊपरी ताकत यौन संबंध बनाने से जुड़ी हुई नजर आई. जबकि, महिलाएं शारीरिक विशेषताओं के मामले में अधिक प्रभावित नहीं थीं.
भौगोलिक और सामाजिक असमानता का असर
अध्ययन से पता चला कि यौन संबंध के बिना पुरुष उन क्षेत्रों में अधिक रहते थे जहां महिलाओं की संख्या कम थी, यानी जनसांख्यिक असंतुलन एक कारण हो सकता है. इसके अलावा, जिन क्षेत्रों में आय असमानता अधिक थी, वहां यौन संबंध बनाने की दर भी ज्यादा पाई गई.
जीन भी हैं जिम्मेदार
अध्ययन में यह भी पाया गया कि सामान्य जेनेटिक वेरिएंट्स यौन संबंध न बनाने के अंतर में 14-17% तक योगदान देते हैं. पुरुष और महिलाओं में ये जेनेटिक प्रभाव आंशिक रूप से समान पाए गए, जो सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों के साथ जैविक आधार को भी दर्शाते हैं.
मानसिक और सामाजिक निहितार्थ
लेखकों का कहना है कि यौन संबंधों की अनुपस्थिति सिर्फ व्यक्तिगत मामला नहीं है. इसका मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक भलाई और विकासात्मक सफलता पर असर पड़ता है. शोधकर्ताओं ने कहा, “यौन संबंध मानव स्वास्थ्य और खुशी से गहराई से जुड़े हैं. हमारी खोज दिखाती है कि शिक्षा, असमानता और अन्य कारक कितनी गहराई से व्यक्तिगत और अंतरंग जीवन को प्रभावित कर सकते हैं.” यह अध्ययन यौन संबंध के बगैर जीवन के सामाजिक और जैविक आयामों को उजागर करता है और मानव अंतरंगता, उसके समाज में योगदान और मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों की नई खोज की दिशा खोलता है.
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