Jain Meal Day: भारतीय संस्कृति में आहार सिर्फ शरीर को पोषण देने का माध्यम नहीं, बल्कि विचार और जीवनशैली को भी आकार देने वाला महत्वपूर्ण तत्व है. इसी सोच को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और जैन धर्म के मूल सिद्धांत- अहिंसा, संयम और सात्विकता को पुनर्जीवित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तु विशेषज्ञ, लाइफ कोच, ऑरा रीडर, ज्योतिष विद्वान एवं समाजसेवी मनोज जैन ने ‘जैन मील डे’ मनाने की अनूठी पहल की है. इस विशेष दिवस पर जैन समाज के हर परिवार, संस्था, मंदिर, ट्रस्ट और युवा मंडल को एक साथ बैठकर बिना लहसुन-प्याज वाला शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करने का आह्वान किया गया है. मनोज जैन का मानना है कि यह पहल न केवल आहार के प्रति जागरूकता लाएगी, बल्कि युवाओं और बच्चों में सात्विकता का महत्व भी स्थापित करेगी.
सात्विक भोजन एक प्राकृतिक चिकित्सा की तरह : मनोज जैन
मनोज जैन कहना है कि आज की व्यस्त और असंतुलित जीवनशैली में सात्विक भोजन एक प्राकृतिक चिकित्सा की तरह है, जो शरीर को स्वस्थ, मन को शांत और विचारों को निर्मल बनाता है. अगर लोग जैन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाएं, तो कई सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याएं स्वतः दूर हो सकती हैं.
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मनोज जैन ने दिया महावीर जयंती के दिन जैन मील डे मनाने का सुझाव
मनोज जैन ने सुझाव दिया है कि ‘जैन मील डे’ को प्रतिवर्ष महावीर जयंती के दिन मनाया जाए. इस दिन मंदिरों में सामूहिक सात्विक भोज, बच्चों और युवाओं के लिए आहार संबंधी कार्यशालाएं आयोजित हों और सोशल मीडिया पर ‘एक थाली संयम की’ अभियान चलाया जाए. यह नारा ‘एक थाली संयम की, एक संकल्प समाज के लिए’ हर नागरिक तक पहुंचना चाहिए. यह पहल धार्मिक सीमाओं से परे जाकर एक स्वास्थ्य और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देती है. अगर हर परिवार सप्ताह में सिर्फ एक दिन सात्विक भोजन का संकल्प ले, तो यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करेगा बल्कि पूरे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. जैन मील डे केवल भोजन का आयोजन नहीं, बल्कि करुणा, आत्मानुशासन और पर्यावरण संरक्षण की ओर एक सामूहिक कदम है. यह हमें याद दिलाता है कि भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि हमारे विचारों, भावनाओं और कर्मों को दिशा देने वाली शक्ति है.
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