Contagious Yawning: आपने अक्सर नोटिस किया होगा कि जब कोई आपके सामने जम्हाई लेने लगता है तो खुद को भी अचानक जम्हाई आने लगती है. अगर आपको यकीन नहीं होता है तो जरूर इस बात को चेक करियेगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है? क्या यह सिर्फ संयोग है? बिल्कुल नहीं. इसके पीछे विज्ञान और मनोविज्ञान का असर है. आइए जानते हैं इसके पीछे का क्या कारण है.
मिरर न्यूरॉन्स का असर
मनोविज्ञान के अनुसार हमारे मस्तिष्क में कुछ खास न्यूरॉन्स होते हैं, इस तरह के न्यूरॉन्स को मिरर न्यूरॉन्स कहा जाता है. ये न्यूरॉन्स दूसरों की हरकतों को देखकर खुद वैसा ही महसूस कराते हैं. साइकोलॉजी की मानें तो जब आप किसी को जम्हाई लेते देखते हैं, तो आपके अंदर का मिरर न्यूरॉन्स भी सामने वाले को देखकर एक्टिव हो जाता है. इससे आप भी जम्हाई लेने लगते हैं.
सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव
जम्हाई फैलना केवल शारीरिक या मानसिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बंधन का संकेत भी है. मनोविज्ञान में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों से आप भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं- जैसे परिवार या अपने किसी दोस्त. उनकी जम्हाई देखकर आपको भी जल्दी जम्हाई आने लगती है. यह सहानुभूति और सामूहिक व्यवहार का परिचय कराता है.
मस्तिष्क का तापमान नियंत्रण
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि जम्हाई लेने से मस्तिष्क का तापमान नियंत्रित होता है. जब कोई जम्हाई लेता है, तो यह संकेत हो सकता है कि उसका दिमाग थक रहा है. यह संकेत दूसरों के दिमाग पर भी असर डालता है.
नींद और थकावट का संकेत
अगर आप थके हुए हैं या नींद पूरी नहीं हुई होती है, तो दूसरों को जम्हाई देखकर आपका शरीर उसी थकान को महसूस करता है और उसी तरह प्रतिक्रिया देता है. उदाहरण के लिए आपने अक्सर किसी को बस या ट्रेन में झपकी लेते देखा होगा. इसके थोड़ी देर बाद आप भी महसूस करते होंगे कि आपको भी नींद लेने की इच्छा होने लगी है.
कुछ अन्य मजेदार तथ्य
- बच्चों को लगभग 4–5 साल की उम्र के बाद ही दूसरों की जम्हाई देखकर जम्हाई आती है. क्योंकि तब तक उनके मिरर न्यूरॉन्स पूरी तरह विकसित नहीं होते.
- यह व्यवहार जानवरों में भी देखा गया है, खासकर बंदरों और कुत्तों में.
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