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प्रेग्नेंसी में न हो लो बीपी

अक्सर प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में लो ब्लड प्रेशर की समस्या पेश आती है. इस दौरान अगर अपना पूरा ध्यान न रखा गया, तो गर्भपात भी हो सकता है. इसलिए डॉक्टर समय-समय पर बीपी के रूटीन चेकअप की सलाह देते हैं. इस बारे में पूरी जानकारी रख कर इस समस्या से बचाव किया जा […]

अक्सर प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में लो ब्लड प्रेशर की समस्या पेश आती है. इस दौरान अगर अपना पूरा ध्यान न रखा गया, तो गर्भपात भी हो सकता है. इसलिए डॉक्टर समय-समय पर बीपी के रूटीन चेकअप की सलाह देते हैं. इस बारे में पूरी जानकारी रख कर इस समस्या से बचाव किया जा सकता है.
गर्भावस्था में ब्ल्डप्रेशर लो होना आम समस्या है. अत: इस दौरान अपना ख्याल रखना भी जरूरी है, ताकि इस समस्या से बचा जा सके. प्रेग्नेंसी के दौरान लो बीपी से कई समस्याएं हो सकती हैं. यह समस्या अक्सर प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में होती है. कई बार जानकारी की कमी से महिलाएं इससे घबरा जाती हैं. इस समस्या से बचने के लिए इसके लक्षणों और बचाव को जानना जरूरी है. शुरुआती दौर में कई महिलाओं को इस दौरान मानिर्ंग सिकनेस और वोमिटिंग हो सकती है. सिस्टोलिक 120 और डायस्टोलिक 80 को नॉर्मल ब्लड प्रेशर माना जाता है. प्रेग्नेंसी में लगभग सिस्टोलिक 5 से 10 और डायस्टोलिक करीब 10 से 15 तक बीपी कम होता है. अत: समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच जरूरी है. इसके कारण कभी-कभी गर्भपात भी हो सकता है. अधिक रक्त स्नव की वजह से भी ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है. अत: कंसीव करने के बाद नियमित डॉक्टर के संपर्क में रहें. कई बार इक्टोपिक प्रेग्नेंसी के कारण भी बीपी लो हो जाता है.
यह वह अवस्था है जब गर्भ
में बच्चा यूटरेस में होने के बजाय या तो ओवरी में होता है या फिर टयूब में. इससे तेज दर्द होता है और शिशु के बढ़ने के साथ ही ट्यूब फट जाता है. इसके कारण भी भारी रक्तस्नव होता है, जो काफी खतरनाक है. अत: प्रेगनेंट होने पर एक बार डॉक्टर से जांच अवश्य करवाएं.
इन बातों का रखें ख्याल
अगर लो बीपी की समस्या है, तो लिक्विड ज्यादा लेना चाहिए. खूब पानी पीएं और खुद को डीहाइड्रेशन से बचाएं. हेल्दी और बैलेंस्ड डायट लें. इसके अलावा विटमिन और फॉलिक एसिड भी रोजाना लें जो डॉक्टर ने बताया हो. खुद को फूड प्वाइजनिंग से बचाएं. डॉक्टर के अनुसार जो भी ब्लड टेस्ट हो, उसे जरूर कराएं. इससे डायबिटीज, ब्लड शूगर, एनिमिया और ब्लड से जुड़ी अन्य समस्याओं का भी पता चलेगा. इसके अलावा ब्लड टेस्ट से बीपी के अलावा बच्चे की सेहत और विकास भी जानकारी मिलेगी.
लो बीपी की समस्या प्रसव के बाद प्राय: समाप्त हो जाती है. फिर भी इस दौरान कुछ अन्य बातों का ध्यान रख कर इस समस्या से बचा जा सकता है. लो बीपी की परेशानी होने पर बायें करवट लेट कर सोएं. इससे दिल में रक्त का प्रवाह सही होगा. झटके से न बैठें और न ही खड़े हों. ज्यादा देर तक खड़े न रहें , कैफीन और शराब का सेवन न करें. एक बार में ज्यादा न खाएं. थोड़ा-थोड़ा करके अधिक बार खाएं. प्रेग्नेंसी के 16वें सप्ताह के बाद पीठ के बल ज्यादा देर तक न लेटें. इसके अलावा अगर चक्कर आये, तो तुरंत कुर्सी या बेड पर बैठ जाएं. इससे इंज्यूरी से बचा जा सकता है.
बातचीत : दीपा श्रीवास्तव, बेंग्लुरु
पहचानें इसके लक्षण
हल्का सिर दर्द, चक्कर आना, उबकाई आना, कमजोरी महसूस होना, धुंधला दिखना, ये सारे लक्षण लो बीपी के हैं. इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो डॉक्टर से तुरंत दिखाएं.
डॉ शांतला
ओबीजी, लेप्रोस्कोपिक सर्जन, श्री वीमेन क्लिनिक सागर हॉस्पिटल, बेंग्लुरु
सीजेरियन के बाद ऐसे रखें ख्याल
सीजेरियन डिलिवरी होने के बाद कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. कई चीजों से परहेज भी रखना पड़ता है. इन सुझावों को अपना कर कम समय में रिकवरी संभव है.
सजर्री के कारण कभी-कभी दर्द की शिकायत होती है. ऐसे में डॉक्टर पेन किलर दे सकते हैं.
एक्टिव रहें : सजर्री के बाद बैठने से अच्छा है कि कुछ चलते-फिरते रहें. इससे रक्तसंचरण सुचारू रहेगा और रक्त का थक्का बनने की आशंका भी कम होगी.
ब्रेस्ट फीडिंग : ब्रेस्ट फीडिंग कराने से कई प्रकार के फायदे होते हैं. इससे बच्चे को तो फायदा होता ही है. यह अप्रत्यक्ष रूप से मां का वजन घटाने में भी मददगार है. इसके अलावे भी मां को इससे कई फायदे होते हैं.
ढीले कपड़े पहनें : सजर्री के बाद चुभनेवाले कपड़ों से परहेज रखना चाहिए. सूती और ढीले कपड़े पहनना अच्छा होता है.
सीजेरियन बेल्ट : सजर्री के बाद सीजेरियन बेल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे कई लाभ होते हैं. डॉक्टर की सलाह से प्रयोग करें.
रखें ध्यान : रिकवरी होने में छह महीने का समय लगता है. इस दौरान कड़ी मेहनत और अधिक वजन उठाने से बचें. सजर्री के बाद बॉडी का शेप थोड़ा बिगड़ता है. लेकिन इसे ठीक किया जा सकता है. इसके लिए शुरुआत में हल्का व्यायाम करें. बाद में जिम ज्वाइन करके भी सही शेप वापस पाया जा सकता है. सर्जरी के बाद, शुरूआत में हल्का और पौष्टिक भोजन लें. जंक फूड से बचें. डिप्रेशन या स्ट्रेस से दूर रहने का प्रयास करें. इसके लिए मेडिटेशन कर सकती हैं.
डॉ मीना सामंत
प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल, पटना
Prabhat Khabar Digital Desk
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