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झारखंड में वायुप्रदूषण की बड़ी वजह हैं ओपन कास्ट कोल माइंस, सच्चाई से मुंह फेरे बैठे हैं अधिकारी

देश के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद (सीपीसीबी) ने 2015 से 2019 के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद देश के 124 शहरों के वातावरण को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पाया था. इसमें झारखंड का धनबाद शहर भी शामिल था.

द लांसेट (The Lancet) पत्रिका ने हाल ही में एक रिपोर्ट छापी थी, जिसने सभी को परेशान कर रखा है. इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह से भारत में हर साल करीब 24 लाख लोगों की मौत होती है. वायु प्रदूषण को लेकर लांसेट पत्रिका की इस रिपोर्ट के बावजूद सच्चाई यह है कि देश में प्रदूषण और उसके कारणों को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं. लाखों मौत के बाद भी डाॅक्टर्स स्पष्ट रूप से यह कहने को तैयार नहीं कि फलां व्यक्ति की मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार है.

124 शहरों का वातावरण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

देश के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद (सीपीसीबी) ने 2015 से 2019 के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद देश के 124 शहरों के वातावरण को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पाया था. इसमें झारखंड का धनबाद शहर भी शामिल था. इसके अलावा रांची, रामगढ़ और जमशेदपुर जैसे शहर भी उस लिस्ट में शामिल हैं.

झारखंड में सौ से अधिक खदान बंद हुए हैं

झारखंड में वायु प्रदूषण के कारकों में से सबसे प्रमुख कारक है ओपन कास्ट माइंस. जानकारी के मुताबिक धनबाद और रामगढ़ जैसे जिले में अंडरग्राउंड माइंस बंद हो रहे हैं. इनकी जगह पर ओपनकास्ट माइंस को सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल प्राथमिकता दे रहे हैं. सीसीएल की वेबसाइट के अनुसार कुल 43 माइंस यहां हैं जिसमें से पांच अंडरग्राउंड और 38 ओपनकास्ट हैं. झारखंड में पिछले कुछ सालों में सौ से अधिक खदान बंद हो गये हैं, जिनमें से अधिकतर अंडरग्राउंड माइंस हैं.

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झारखंड में वायुप्रदूषण की बड़ी वजह हैं ओपन कास्ट कोल माइंस, सच्चाई से मुंह फेरे बैठे हैं अधिकारी 3
जगह-जगह पर डंप किया जा रहा है ओवर बर्डन

बोकारो के सोशल एक्टिविस्ट और स्वतंत्र पत्रकार उदय शंकर ओझा ने बताया कि ओपन कास्ट माइंस में कोयला निकालने के लिए पहले ओवर बर्डन हटाया जाता है. इस ओवर बर्डन को कहीं भी डंप कर दिया जाता है, जो वायु प्रदूषण की बड़ी वजह बनता है. साथ ही ओपन कास्ट माइंस में कोयला निकालने के लिए जिस तरह से ब्लास्ट किया जाता है, उससे कोयले के कण हवा में शामिल हो जाते हैं और हवा के जरिये वह आम लोगों के सांसों में पहुंचकर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करते हैं.

प्रदूषण रोकने के उपाय अपर्याप्त

उदय शंकर ओझा ने बताया कि सीसीएल के द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए तमाम उपाय किये जाते हैं. हर काम के लिए मसलन सड़क पर पानी पटाने के लिए टेंडर होता है, लेकिन वे सभी अपर्याप्त हैं. कोई भी सुरक्षा उपाय सही तरीके से अंजाम तक नहीं पहुंचाया जाता है.

श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं आम

कोलियरी इलाके में रहने वाले लोगों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं आम हो गयी हैं. खांसी, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़े से संबंधित बीमारियां और हृदय रोगों की वजह भी वायु प्रदूषण बन गया है और इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि प्रदूषण देश में होने वाली मौत की प्रमुख वजह बनता जा रहा है.

एनर्जी ट्रांजिशन की जरूरत

यह एक सच्चाई है कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ओपन कास्ट माइंस जरूरत बन चुके हैं, लेकिन हमें भी यह समझना होगा कि ओपन कास्ट माइंस अगर हमारी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं तो वो हमारी जिंदगी को लील भी रहे हैं. इस सच्चाई को समझते हुए सरकार ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है, इसके लिए हमें एनर्जी ट्रांजिशन करना होगा ताकि कोयले पर से निर्भरता कम हो सके.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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