33.1 C
Ranchi
Thursday, March 28, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Schizophrenia से भागें नहीं, लड़ें, संभव है इलाज, रिनपास-सीआइपी में हर दिन आते हैं कई मरीज

Schizophrenia Causes, Symptoms and treatment:सिजोफ्रेनिया बीमारी में मरीज वास्तविक दुनिया से अलग काल्पनिक जीवन जीने लगता है. भ्रम में रहते हैं. खुद को ताकतवर, अमीर तो कभी बड़ी-बड़ी बातें करने लगते हैं. हालत गंभीर होने पर ये अपनों से खुद को जान का खतरा महसूस करने लगते हैं.

Schizophrenia Causes, Symptoms and treatment: सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है. इससे पीड़ित कई मरीजों का करियर बर्बाद हो चुका है. इसमें प्रसिद्ध गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह भी शामिल थे. हालांकि अब यह स्थिति ऐसी नहीं है. नयी दवाओं और तकनीकी के कारण इस बीमारी का इलाज संभव हो गया है. हाल के वर्षों में इस बीमारी से पीड़ित कई नामी-गिरामी चेहरे ने फिर से अपने करियर को नयी ऊंचाई तक पहुंचाया है़ हालांकि इस बीमारी को लेकर कई भ्रांतियां भी हैं. इस मानसिक बीमारी के प्रति सजग करने के लिए हर वर्ष 24 मई को सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है.

चिंता: झारखंड में मनोरोगियों की संख्या राष्ट्रीय औसत से ज्यादा

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे-2019 के अनुसार झारखंड में मनोरोगियों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है. यहां 11.1 फीसदी लोगों में मनोरोग के लक्षण हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 10 फीसदी है. इसमें मात्र कुछ प्रतिशत ही इलाज के लिए आते हैं. राज्य के 75 फीसदी मनोरोगियों का इलाज नहीं हो पाता है. सर्वे में पाया गया कि झारखंड में 13-17 साल के बीच 13.5 फीसदी शहरी बच्चे में मानसिक रोग से पीड़ित है. गांवों में यह आंकड़ा 6.9 फीसदी है़

रिनपास में दिसंबर से अप्रैल तक 71 मरीज पहुंचे

अभी रिनपास में सिजोफ्रेनिया के 71 मरीज भर्ती हैं. यह मरीज दिसंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक आये हैं. इसमें पुरुष मरीजों की संख्या अधिक है. दिसंबर 2021 में आठ पुरुष व पांच महिला, जनवरी 2022 में आठ पुरुष, दो महिला, फरवरी में 10 पुरुष व पांच महिला, मार्च में 14 पुरुष, दो महिला और अप्रैल में 11 पुरुष और छह महिला भर्ती हुईं.

इलाज संभव है

मनोचिकित्क कहते हैं कि सिजोफ्रेनिया का उपचार संभव है, यदि शुरुआत दौर में उसे मनोरोग चिकित्सक से परामर्श लेकर दवाइयां शुरू कर लें. हालांकि कई केसों में मरीज को जीवन भर दवा खानी पड़ सकती है. इसके अलावा ऐसे व्यक्त को परिवार और दोस्तों की मदद और प्यार की जरूरत होती है.

इस बीमारी के लक्षण

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में ऐसे विचार आते हैं, जो सच नहीं होते. किसी चीज पर ध्यान नहीं लगा पाते. मन की बात सही तरीके से बयां नहीं कर सकते. ऐसे लोगों को ध्यान लगाने और बोलने में परेशानी होती है. अक्सर नकारात्मक सोचते हैं. डर में जीते हैं. घबराहट होती हैं. चिल्लाते हैं. कई बार उनका व्यवहार हिंसक भी हो जाता है. उनमें कई चीजें एक साथ दिखने की शिकायत रहती है. लंबा इलाज नहीं होने पर आत्महत्या का भी प्रयास कर सकते हैं.

मनोचिकित्सक की सलाह

रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एप्लायड साइंस (रिनपास) के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में सिजोफ्रेनिया के केस ज्यादा देखने को मिलते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में इस बीमारी को लोग भूत-प्रेत समझ कर झाड़-फूंक में लग जाते हैं, जबकि यह एक मानसिक बीमारी है. इसका इलाज सही समय पर न किया जाये, तो गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है. अभी रिनपास में प्रतिदिन तीन-चार सिजोफ्रेनिया के मरीज आ रहे हैं. यदि शुरुआती दौर में इलाज शुरू हो जाये, तो मरीज ठीक हो सकता है.

  • झारखंड में 13-17 साल के 13.5 फीसदी शहरी बच्चे मानसिक रोग से पीड़ित हैं

  • 75% मनोरोगियों का नहीं हो पाता है इलाज

तीन प्रमुख कारणों को जानिए

मनोचिकित्सकों के अनुसार सिजोफ्रेनिया होने के तीन कारण हो सकते हैं. यह जेनेटिक बीमारी भी है. अधिकतर लोगों में सिजोफ्रेनिया अनुवांशिक होता है. यह रोग माता-पिता में किसी को भी होने पर बच्चे को होने का खतरा बढ़ जाता है. दूसरा यह गर्भावस्था में सही पोषण न मिलने पर हो सकता है. जब बच्चा गर्भ में होता है, तो मां के पोषक तत्वों का सेवन न करने की वजह से भी बच्चे का दिमाग सही से विकसित नहीं हो पाता है. इससे बच्चे को सिजोफ्रेनिया होने का खतरा होता है. तीसरा कारण है ड्रग्स का सेवन. अक्सर लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता नहीं होती है. इसलिए वह गंभीर रूप से ग्रस्त हो जाते हैं.

इनपुट: पूजा सिंह

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें