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मलेरिया से जंग जीतने की तैयारी, दूसरे टीके को भी मिली मंजूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मलेरिया के दूसरे टीके को मंजूरी दे दी है. मंजूरी मिलने का अर्थ है मलेरिया से लड़ने के लिए दुनिया के पास सस्ता और आसान विकल्प का उपलब्ध होना.

वर्ष 2021 में जानलेवा मलेरिया के टीके को मंजूरी मिलने के दो वर्ष बाद ही इसके दूसरे टीके के उपयोग को स्वीकृति मिलना बेहद अच्छी खबर है. इस बीमारी के कारण प्रतिवर्ष दुनियाभर में पांच लाख से अधिक लोग काल का ग्रास बन जाते हैं. इसका सर्वाधिक प्रकोप अफ्रीकी देशों को झेलना पड़ता है. हालांकि भारत भी इससे अछूता नहीं है. इस बीमारी के कारण प्रतिवर्ष देश पर 1,940 मिलियन डॉलर का बोझ पड़ता है. मलेरिया के टीके समेत संक्रमण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानते हैं इन दिनों में…

हाल ही में एक बेहद सकारात्मक खबर आयी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मलेरिया के दूसरे टीके को मंजूरी दे दी है. मंजूरी मिलने का अर्थ है मलेरिया से लड़ने के लिए दुनिया के पास सस्ता और आसान विकल्प का उपलब्ध होना. आर21/मैट्रिक्स-एम नामक इस टीके का विकास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मिलकर किया है. फिलहाल घाना, नाइजीरिया और बुर्किना फासो में इसका उपयोग किया जा रहा है.

प्रतिवर्ष 10 करोड़ खुराक की तैयारी

इस टीके को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तैयार करेगी. इस कंपनी ने पहले ही प्रतिवर्ष 10 करोड़ खुराक तैयार करने की क्षमता प्राप्त कर ली है, जो अगले दो वर्षों में दोगुनी हो जायेगी.

मामूली लागत पर होगा निर्माण

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, मलेरिया का यह टीका आसानी से उपलब्ध कराया जाने वाले टीका है जिसे बड़े पैमाने पर व मामूली लागत पर निर्मित किया जा सकता है. इससे उन देशों को करोड़ों खुराक की आपूर्ति की जा सकेगी जो मलेरिया का भारी बोझ झेल रहे हैं. यह टीका प्रतिवर्ष मलेरिया से होने वाली पांच लाख से अधिक मौतों में कमी ला सकता है. डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदन और सिफारिशों के साथ, अतिरिक्त नियामक मंजूरी के शीघ्र ही मिलने की उम्मीद है. नियामक की मंजूरी मिले ही अगले वर्ष से आर21/मैट्रिक्स-एम टीके का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर शुरू हो जाने की संभावना है.

2021 में मिली थी पहले टीके को स्वीकृति

अक्तूबर 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया के पहले टीके, मॉस्क्विरिक्स (आरअीएस, एस/एएस01) के इस्तेमाल की स्वीकृति दी थी. इस टीके को ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ने तैयार किया था. संगठन द्वारा मलेरिया फैलाने वाले परजीवी, प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के मध्यम से उच्च संक्रमण वाले क्षेत्रों में इसके व्यापक उपयोग की मंजूरी िमलने के बाद यहां छोटे बच्चों में मलेरिया संक्रमण में कमी देखने को मिली है.

संक्रमण के बोझ से कराहते क्षेत्रों की पड़ताल

मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर उपचार नहीं कराना जानलेवा साबित होता है. लापरवाही और अनदेखी के कारण ही हर वर्ष इसके संक्रमण से दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2022 में जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार,

50 प्रतिशत के आसपास दुनिया की जनसंख्या पर मलेरिया का खतरा था 2021 में.

247 मिलियन मलेरिया के अनुमानित मामले सामने आये थे दुनियाभर में 2021 में.

6,19,000 अनुमानित संख्या थी मलेरिया से होने वाली मौतों की 2021 में, दुनियाभर में.

अफ्रीकी क्षेत्रों की स्थिति (वर्ष 2021 में)

मलेरिया का सबसे अधिक प्रकोप दुनिया के इसी क्षेत्र को झेलना पड़ता है.

95 प्रतिशत मामले (234 मिलियन) अकेले अफ्रीकी क्षेत्र में दर्ज किये गये थे, विश्वभर में दर्ज कुल मामलों में.

96 प्रतिशत मौतों (5,93,000) के लिए अकेले यह क्षेत्र जिम्मेदार था.

80 प्रतिशत के लगभग केवल पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत हुई थी यहां, मलेरिया से होनेवाली कुल मौतों में.

चार देशों में ही आधे से अधिक मौत

मलेरिया से होनेवाली मौत का बोझ भी अफ्रीका पर सबसे अधिक है. इस महाद्वीप के चार देशों में ही आधे से अधिक लोगों की मौत हुई थी 2021 में.

31.3 प्रतिशत लोगों की मृत्यु के साथ नाइजीरिया पहले स्थान पर रहा.

12.6 प्रतिशत लोगों की मौत हुई कांगो में.

4.1 प्रतिशत

लोगों की मौत हुई तंजानिया में.

3.9 प्रतिशत मृत्यु

का बोझ उठाना पड़ा नाइजर को

भारत ने दर्ज की उल्लेखनीय सफलता

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हेल्थ साइंस एंड रिसर्च की मानें, तो भारत की लगभग 95 प्रतिशत जनसंख्या मलेरिया स्थानिक क्षेत्रों में रहती है, और देश में मलेरिया संक्रमण के जितने भी मामले सामने आते हैं, उनमें से 80 प्रतिशत आदिवासी, पहाड़ी, दूर-दूराज व दुर्गम क्षेत्रों से होते हैं. पर यह भी सच है कि इस बीमारी से छुटकारा पाने के प्रयास में भारत को सफलता मिल रही है. विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, मलेरिया से लड़ाई में भारत ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है. वर्ष 2015 की तुलना में 2022 में इस देश में संक्रमण के मामलों में 85 प्रतिशत और मृत्यु के मामले में 83 प्रतिशत की कमी आयी है. प्रोविजनल डेटा से पता चलता है कि 2022 में 126 जिलों में मलेरिया के शू न्य मामले दर्ज किये गये. विदित हो कि सरकार ने 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य तय कर रखा है.

अफ्रीकी देशों में 50 प्रतिशत मामले

वर्ष 2021 में अफ्रीका के चार देशों से ही मलेरिया के लगभग 50 प्रतिशत मामले सामने आये, वैश्विक स्तर पर. यहां मलेरिया के संक्रमण और मृत्यु दर के मामलों में 2019-2020 में वृद्धि देखने को मिली, पर 2020-21 में इसमें कमी आयी.

नाइजीरिया में सबसे अधिक 26.6 प्रतिशत मामले दर्ज किये गये.

मलेरिया के मामले में 12.3 प्रतिशत के साथ कांगो दूसरे स्थान पर रहा.

युगांडा से 5.1 प्रतिशत मामले सामने आये मलेरिया के.

मोजांबिक में कुल वैश्विक मामलों का 4.1 प्रतिशत मामला दर्ज किया गया.

दक्षिण-पूर्व एशिया में संक्रमण में आयी कमी

प्रति 1000 आबादी पर संक्रमितों की संख्या 17.9 से गिरकर 3.2 पर आ गयी इस क्षेत्र में.

कुल संक्रमण के मामलों में 76 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई और वह 22.8 मिलियन से घटकर 5.4 मिलियन पर आ गयी.

प्रति 1,00,000 की जनसंख्या पर मृत्यु दर 2.7 से घटकर 0.5 पर आ गयी.

मलेरिया से होनेवाली मृत्यु में 74 प्रतिशत तक की कमी आयी और वह 35,000 से कम होकर नौ हजार पर आ गयी.

हालांकि, 2020 और 2021 के बीच इस क्षेत्र में करीब चार लाख अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें आधे से अधिक म्यांमार से सामने आये. बांग्लादेश, उत्तर कोरिया, भारत और इंडोनेशिया में भी संक्रमण के मामलों में बढ़त दर्ज हुई

अन्य क्षेत्रों के हालात

वर्ष 2021 में, वैश्विक स्तर पर मलेरिया संक्रमण के मामलों में से 2.5 प्रतिशत पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के सात मलेरिया स्थानिक देशों में दर्ज किये गये. जिनमें 54 प्रतिशत मामलों के साथ सूडान को बीमारी का सबसे अधिक बोझ उठाना पड़ा. सोमालिया, यमन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और जिबूती ने भी इस बीमारी का प्रकोप झेला.

अमेरिकी क्षेत्र की बात करें, तो 2021 में यहां के 17 मलेरिया स्थानिक देश और क्षेत्र के एक देश में वैश्विक स्तर पर 0.2 प्रतिशत मलेरिया के मामले दर्ज किये गये. इस क्षेत्र के तीन देशों- ब्राजील, कोलंबिया और वेनेजुएला- से ही कुल संक्रमण के अकेले 79 प्रतिशत मामले सामने आये.

पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के आठ मलेरिया स्थानिक देशों में, 2021 में मलेरिया से संक्रमितों का प्रतिशत कुल वैश्विक प्रतिशत का 0.6 प्रतिशत था. इनमें पापुआ न्यू गिनी में सबसे अधिक 87 प्रतिशत लोग संक्रमित थे. उसके बाद

सोलोमन आइलैंड, कंबोडिया और फिलीपींस का स्थान था

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