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क्या देश में शुरू हो चुका है कोरोना का Community Transmission? इन विशेषज्ञों ने दिए संकेत

Community Transmission of Coronavirus already Started in India दो महीने के लंबे लॉकडाउन के बाद कोविड-19 को लेकर जो खबर आ रही है, वह वाकई चिंतनिय है. एक रिर्पोट के जरिये खुलासा हुआ है कि वायरस का अब समुदायिक प्रसारण हो रहा है. इस पर विस्तार से बात करते हुए कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने क्या राय दी है आईये जानते हैं..

Community Transmission of Coronavirus already Started in India दो महीने के लंबे लॉकडाउन के बाद कोविड-19 को लेकर जो खबर आ रही है, वह वाकई चिंतनिय है. एक रिर्पोट के जरिये खुलासा हुआ है कि वायरस का अब समुदायिक प्रसारण हो रहा है. इस पर विस्तार से बात करते हुए कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने क्या राय दी है आईये जानते हैं..

अंग्रजी वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड ने कुछ विशेषज्ञों से बात की है जिससे यह साफ-साफ पता चलता है कि कोरोना वायरस का सामुदायिक प्रसारण हो रहा है. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के पूर्व प्राचार्य, जयप्रकाश मुलियाल ने डीएच के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह तो तय है कि इस वायरस का सामुदायिक प्रसारण हो रहा है, क्योंकि वायरस का प्रसार अब स्थानीय मामला नहीं रह गया है. वैश्विक तौर पर जितनी तेजी से यह फैल रहा है, इससे यही समझा जा सकता है.

वहीं, गुजरात के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने भी जो खुलासा किया है वह भी बेहद खतरनाक है. उन्होंने बताया है कि अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा जैसे शहरों में संक्रमण पर अब नज़र नहीं रखा जा रहा है और न ही इसके लिए कोई प्रयास किए जा रहे हैं. क्योंकि हाल के दिनों में वायरस ऐसे लोगों में भी पाया गया जिनका न तो कोई बाहरी यात्रा इतिहास रहा है और न ही वे किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में थे.

उन्होंने आगे बताया कि इस महीने की शुरुआत में, अकेले अहमदाबाद में कुल 700 ग्वालों, ग्रॉसरी दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं में कोविड-19 मामलों का पता चला था. जो यह संकेत देते हैं कि सामुदायिक प्रसारण हुआ है. इधर, कोलकाता में अधिकारियों ने भी यह पाया है कि बिना यात्रा के इतिहास वाले लोगों में भी संक्रमण फैला है.

उन्होंने बताया कि अधिकांश प्रभावित जगहों पर सामुदायिक प्रसारण जारी है. और हमारे लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती प्रवासी श्रमिकों की वापसी है. इसके लिए हमें दो हफ्ते और रुकना होगा. इसके बाद ही सही से पता चल पाएगा कि किन राज्यों में कैसे इस वायरस के संक्रमण का प्रसार हो रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि आप इसी से अंदाजा लगा ले सकते हैं कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद काउंसिल ने आखिर क्यों सभी हेल्थकेयर वर्करों (डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स) के साथ-साथ पुलिस और अन्य फ्रंट लाइन वर्कर्स को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा लेने की सलाह दी थी?

उन्होंने इशारों में कहा कि यह अपने आप में समझने वाली बात है कि यह सामुदायिक प्रसार नहीं तो आखिर क्या है? क्यों मरीजों के अलावा हेल्थवर्करों को भी दवा लेने की सलाह दी जा रही है.

हालांकि, इस बात को न तो आईसीएमआर वैज्ञानिकों और न ही केंद्र या राज्य सरकार के स्वास्थ्य अधिकारी स्वीकार करने को तैयार है कि भारत अब स्टेज 2 से स्टेज 3 में चला गया है.

“टी जैकब जॉन, भारत के अग्रणी विरोलॉजिस्ट और सीएमसी वेल्लोर के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने डीएच को बताया और दावा किया कि “सामुदायिक प्रसारण वास्तव में मार्च के मध्य से ही भारत में जारी है”. यही वजह है यहां जितनी तेजी से संक्रमण फैला है और मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है उससे हमारे डॉक्टरों को भी शिकार होना पड़ा है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की महाराष्ट्र इकाई से जुड़े एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, “मुंबई में ऐसे कई मामले आ चुके हैं जिसमें डॉक्टरों के संक्रमण होने का पता चला है. वहीं, डॉक्टरों की मानें तो उन्होंने क्लीनिक खोलने के बाद खुद को संक्रमित पाया है. यह साफ-साफ सामुदायिक प्रसारण के लक्षण हैं.

इसे लेकर आईसीएमआर (ICMR) ने भी बड़े लेवल में सर्वेक्षण किया है. उनके जांच में भी सामुदायिक प्रसारण का खुलासा हुआ है. 15 फरवरी से 2 अप्रैल के बीच उन्होंने कुल 51 जिलों के 5,911 रोगियों पर एक प्रारंभिक जांच की, जिसमें SARI (गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी) और ILI (इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी) के कुल 104 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आये. इन 104 मामलों में से, 36 जिलों के 40 ऐसे सकारात्मक व्यक्ति पाए गए है जिनकी न तो कोई फैमिली हिस्ट्री थी और न ही कहीं बाहर यात्रा का इतिहास था.

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