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Hindi Diwas 2020 : झारखंड की ये लाइब्रेरी है समृद्ध, लेकिन पाठकों की संख्या जान चौंक जायेंगे आप

Hindi Diwas 2020 : गढ़वा (पीयूष तिवारी) : इंटरनेट के इस युग में अब लाइब्रेरी में बैठकर पुस्तकों का अध्ययन करनेवालों की संख्या घटती जा रही है. यही वजह है कि गढ़वा जिले का एकमात्र 50 साल पुराना श्रीकृष्ण पुस्तकालय पाठकों का इंतजार कर रहा है. ये समृद्ध लाइब्रेरी है, लेकिन पाठकों का अभाव है.

Hindi Diwas 2020 : गढ़वा (पीयूष तिवारी) : इंटरनेट के इस युग में अब लाइब्रेरी में बैठकर पुस्तकों का अध्ययन करनेवालों की संख्या घटती जा रही है. यही वजह है कि गढ़वा जिले का एकमात्र 50 साल पुराना श्रीकृष्ण पुस्तकालय पाठकों का इंतजार कर रहा है. ये समृद्ध लाइब्रेरी है, लेकिन पाठकों का अभाव है.

गढ़वा जिले में एकमात्र 50 साल पुराना श्रीकृष्ण पुस्तकालय है. इस पुस्तकालय में हिंदी व अंग्रेजी के 15 हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं, लेकिन स्थायी निबंधित पाठकों की संख्या मात्र 16 है. श्रीकृष्ण पुस्तकालय कभी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करती था. यहां प्रतिदिन विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग जमा होकर आपस में चर्चा करते थे और बहस के दौरान उसे सिद्ध करने के लिए इस पुस्तकालय की पुस्तकों की मदद लेते थे.

इस पुस्तकालय में नियमित रूप से साहित्यिक आयोजन भी होता रहता था, लेकिन अब दिनभर में एकाध लोग भी पुस्तकालय में नजर नहीं आते. साहित्यिक गतिविधियां तो साल-दो साल में भी नहीं होती हैं. ऐसे में गढ़वा अनुमंडलीय पुस्तकालय बदहाली के दिन गिनते हुए पाठकों का इंतजार कर रहा है.

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गढ़वा को जिला बने करीब 30 साल होने को हैं, लेकिन अनुमंडलीय पुस्तकालय को जिला पुस्तकालय का दर्जा नहीं दिया गया. पुस्तकालय के लिए नियमित आवंटन नहीं रहने से पुस्तकों का उचित रख-रखाव व देखरेख आदि की समस्या बनी हुयी है. पुस्तकालय की किताबों पर पड़ी धूल की परत और किताबों में दीमक लगने से यह प्रतीत हो जायेगा कि लंबे समय से इनके पन्ने को पलटनेवाला कोई नहीं मिला है.

उचित देखरेख के अभाव में कई महत्वपूर्ण पुस्तकें बर्बाद भी हो चुकी हैं. कई महत्वपूर्ण पुस्तकें इसके पूर्व के निबंधित पाठक ले गये और लौटाया ही नहीं. पुस्तकालय की दीवारों पर हमेशा नमी रहती है. इससे यहां सीलन की समस्या उत्पन्न हो गयी है. श्रीकृष्ण अनुमंडलीय पुस्तकालय अभी गढ़वा थाना के सामने स्थित नये भवन से संचालित हो रहा है. अभी यह कोरोना की वजह से मार्च महीने से बंद है.

अनुमंडलीय पुस्तकालय में पुस्तकों को घर ले जाकर अध्ययन करने के लिये 500 रूपये सिक्योरिटी राशि तय की गयी है. इस राशि को देकर कोई भी सदस्य बन सकता है. इसके अलावा 20 रूपये मासिक शुल्क तय किया गया है. वर्तमान में इस पुस्तकालय में 16 स्थायी निबंधित पाठक हैं, जबकि पूर्व में 127 निबंधित पाठक थे. वर्तमान में पुस्तकालय छुट्टी के दिन व रविवार को छोड़कर शेष दिन संध्या तीन बजे से आठ बजे रात्रि तक खोला जाता है.

पुस्तकालय के अध्यक्ष अजय कुमार केसरी ने बताया कि जब कभी भी अनुदान आता है, तो कर्मी को भुगतान किया जाता है, लेकिन यहां दो-तीन साल में एकाध बार कुछ राशि प्राप्त होती है. इस वजह से पुस्तकालय बदहाल है. उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में सदस्यों को बढ़ाने व नियमित गतिविधियों के लिए कई प्रयास किये गये, लेकिन लोगों की अब इस ओर रूचि नहीं रह गयी है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar Digital Desk
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