37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Rashmi Rocket review: फ़िल्म का विषय और कलाकारों की परफॉर्मेंस रश्मि रॉकेट को बनाती है खास

Rashmi Rocket review: हिंदी सिनेमा में खेल और खिलाड़ियों पर कई फिल्में बनी हैं. रश्मि रॉकेट स्पोर्ट्स ड्रामा फ़िल्म होते हुए भी उस लीग में शामिल नहीं होती है. यह फ़िल्म स्पोर्ट्स में होने वाले जेंडर टेस्टिंग के स्याह पक्ष को उजागर करती है.

Rashmi Rocket review

फ़िल्म – रश्मि रॉकेट

निर्देशक- आकर्ष खुराना

कलाकार-तापसी पन्नू, सुप्रिया पाठक,प्रियांशु पेन्यूली, अभिषेक बनर्जी,मंत्रा,वरुण बडोला और अन्य

प्लेटफार्म-ज़ी 5

रेटिंग तीन

हिंदी सिनेमा में खेल और खिलाड़ियों पर कई फिल्में बनी हैं. रश्मि रॉकेट स्पोर्ट्स ड्रामा फ़िल्म होते हुए भी उस लीग में शामिल नहीं होती है. यह फ़िल्म स्पोर्ट्स में होने वाले जेंडर टेस्टिंग के स्याह पक्ष को उजागर करती है जिसके नाम पर भारत ही नहीं दुनिया भर की महिला खिलाड़ियों के साथ अन्याय हो रहा है. इस टेस्ट के बाद कई युवा महिला खिलाड़ियों को पुरुष बताकर उनका करियर समाप्त कर दिया गया है. उसके बाद समाज और लोगों ने उन्हें इस कदर प्रताड़ित किया है कि उनके पास आत्महत्या छोड़ कोई विकल्प नहीं रह गया. यह फ़िल्म इसी मुद्दे को उठाती है . अपनी कहानी और किरदारों के ज़रिए दोनों पक्षों को रखने की कोशिश करते हुए ज़रूरी सवाल और उसके जवाब तलाशती है.

फ़िल्म की कहानी भुज की रश्मि (तापसी पन्नू) की है जो एक तेज़ धावक है. इतनी तेज कि उसे पूरा गाँव वाले रॉकेट बुलाता है लेकिन बचपन में हुए एक हादसे के बाद वो दौड़ना बन्द कर चुकी है. उसकी ज़िन्दगी में मेजर गगन(प्रियांशु पेन्यूली) की एंट्री होती है और रेसिंग ट्रैक पर भी उसकी एंट्री हो जाती है. उसके बाद शुरू हो जाता है रश्मि की सफलता की कहानी. कई सारे मेडल वो अपने नाम कर लेती है. स्पोर्ट्स में पॉलिटिक्स नयी नहीं है. यहां भी होती है लेकिन जेंडर टेस्ट के नाम से और रश्मि से उसका सबकुछ छीन जाता है. नाम,शोहरत ,मेडल ही नहीं बल्कि उसके औरत होने का वजूद भी. रश्मि की मां (सुप्रिया पाठक) उसकी शक्ति बनती है. उसका साथ पति मेजर गगन और उसका वकील ईप्सित मेहता(अभिषेक बनर्जी) उसके साथ खड़े होते हैं. क्या रश्मि अन्याय, भेदभाव की इस लड़ाई को जीत पाएगी. यही आगे की कहानी है.

इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खूबी इसका विषय है. इतना अहम विषय होने के बावजूद अब तक इस पर कोई फ़िल्म क्यों नहीं बनी है. यह बात अखरती है लेकिन यही पहलू फ़िल्म की पूरी टीम को बधाई का पात्र बनाती है. खास बात है कि मेकर्स ने रिसर्च के साथ पुख्ता फैक्ट्स भी कहानी में जोड़े हैं. फ़िल्म माइकल फिलिप्स,उसेन बोल्ट,वीरेंद्र सहवाग का उदाहरण देते हुए बताती है कि प्रकृति ने इन खिलाड़ियों को दूसरे के मुकाबले थोड़ा अलग बनाया है लेकिन वो पहलू उनके करियर में कभी बाधा नहीं बना तो फिर महिला एथलीट की बॉडी में टेस्टेस्टोरॉन की अधिक मौजूदगी की वजह से उनका करियर और वजूद क्यों खत्म कर दिया जाता है.

फ़िल्म में वैज्ञानिकों का हवाला देते हुए इस बात को भी बताया गया है कि टेस्टेस्टोरॉन की मात्रा अधिक होने से महिला खिलाड़ियों के अच्छे खेल प्रदर्शन का कोई लेना देना नहीं है. फ़िल्म जेंडर टेस्ट के बहस को बढ़ावा देना चाहती है. वो कहती है कि विदेश खेल संघ इस नियम को मानता आया है तो ज़रूरी नहीं कि भारतीय खेल संघ भी इसका अंध अनुसरण करें. वो अपने खिलाड़ियों का साथ दें और इस बात को उठाए.

फ़िल्म की खामियों की बात करें तो फ़िल्म असल घटनाओं पर प्रेरित होने के बावजूद ट्रीटमेंट में थोड़ी ज़्यादा फिल्मी रह गयी है. तापसी पन्नू का टूर गाइड अवतार, एक्सटेंडेड परिवार और गांव में महिला सशक्तिकरण का झंडाबरदार नया नहीं है. कोर्टरूम में थोड़ी और सशक्त बहस बाज़ी की ज़रूरत महसूस होती है.

Also Read: आर्यन खान को कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर निराश हुए स्वरा भास्कर और राहुल, सोशल मीडिया पर दी ऐसी प्रतिक्रिया

अभिनय की बात करें तो अभिनेत्री तापसी पन्नू ने अपने अभिनय के साथ साथ अपनी बॉडी पर भी बहुत काम किया है. जिसके लिए वह फ़िल्म के ट्रेलर लॉन्च से ही तारीफें बटोर रही हैं. फ़िल्म देखने के बाद उनके अभिनय की भी वाहवाही करने से भी आप खुद को नहीं रोक पाएंगे. अभिषेक बनर्जी को फ़िल्म का सरप्राइज पैकेज कहा जा सकता है फ़िल्म में अलग अंदाज में नज़र आए हैं. वे फ़िल्म को और रोचक बना गए हैं कहना गलत ना होगा. सुप्रिया पाठक अपने चित परिचित अंदाज़ में नज़र आयी हैं तो प्रियांशु आर्मी मैन और सपोर्टिव पति के किरदार में प्रभाव छोड़ते हैं. फ़िल्म में मनोज जोशी ,श्वेता त्रिपाठी और सुप्रिया पिलगांवकर ,वरुण बडोला,मंत्रा सहित बाकी के कलाकार भी अपनी भूमिका में प्रभावी रहे हैं.

फ़िल्म के गीत संगीत से अमित त्रिवेदी का नाम जुड़ा है लेकिन वो ना तो नयापन लिखे हैं और ना ही प्रभावित कर पाते हैं. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. संवाद कहानी के अनुरूप है. कुलमिलाकर यह फ़िल्म इसके विषय और कलाकारों के उम्दा परफॉरमेंस की वजह से सभी को देखनी चाहिए .

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें