फिल्म -नादानियां
निर्माता – धर्मा प्रोडक्शन
निर्देशक – शौना गौतम
कलाकार -इब्राहिम अली खान, ख़ुशी कपूर,महिमा चौधरी, दिया मिर्जा,सुनील शेट्टी,जुगल हंसराज, ओरी,मीजान जाफरी और अन्य
प्लेटफार्म -नेटफ्लिक्स
रेटिंग -डेढ़
nadaaniyan movie review :स्टार किड़ की लम्बी फेहरिश्त में इस शुक्रवार से अभिनेत्री अमृता सिंह और अभिनेता सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान की एंट्री हिंदी सिनेमा में फिल्म नादानियां से हो गयी है. खास बात ये है कि स्टार किडस को लांच करने वाली फैक्ट्री धर्मा प्रोडक्शन से ही यह लॉन्चिंग हुई है. इब्राहिम के लांच को लेकर खुद करण जौहर ने सोशल मीडिया पर लम्बा चौड़ा पोस्ट लिखा था, जो काफी सुर्ख़ियों में था,लेकिन अफसोस यह फिल्म शायद ही सुर्खियां बटोर पाएं क्योंकि इब्राहिम अली खान की लॉन्चिंग करण जौहर ने अपनी हाई स्कूल रोमांस की फार्मूला फिल्मों के मैशप से की है.कहानी और स्क्रीनप्ले ही नहीं एक्टिंग में भी इब्राहिम और ख़ुशी ने निराश ही किया है.
हाई स्कूल रोमांस के मैशप वाली है कहानी
फिल्म की कहानी की बात की जाए तो फिल्म पिया जयसिंह (खुशी कपूर )की है.जो बहुत ही सुपर रिच परिवार से आती है.उसके पास पैसों से खरीदी जाने वाली हर आलीशान चीज हैं,लेकिन परिवार के नाम पर सिर्फ बिखरे हुए रिश्ते हैं. मां (महिमा चौधरी )और पिता (सुनील शेट्टी )के बीच दूरियां बचपन से वह देखती आ रही है क्योंकि परिवार भले ही अमीर है, लेकिन सोच से बेहद गरीब है.पिता से लेकर दादा तक को बेटे के चाह है क्योंकि उनकी सोच है कि जयसिंह लॉ फर्म संस का हो सकता है डॉटर का नहीं. मां इसी बात को लेकर डिप्रेस रहती है. ऐसे में पिया के लिए सबकुछ उसकी स्कूल फ्रेंड्स हैं, लेकिन हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि पिया को लेकर उनको कुछ ग़लतफ़हमी हो जाती है, जिसके बाद पिया अर्जुन (इब्राहिम अली )के साथ फेक डेटिंग का नाटक रचती है ताकि उसकी सहेलियों को उसपर विश्वास हो जाए.विश्वास बन भी जाता है लेकिन फिर फेक बॉयफ्रेंड से रियल बॉयफ्रेंड बनने की कहानी फिर शुरू हो जाती है और थोड़े बहुत उतार चढ़ाव के बाद कहानी का अंत क्या होगा. यह तो कोई भी समझ सकता है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
बड़ा बजट,आकर्षक चेहरे,फैशनेबल कपड़े कुलमिलाकर हर फ्रेम में खूबसूरती ही खूबसूरती ताकि दर्शक कहानी और दूसरी सेंसिबल चीजों को फिल्म में ना ढूंढे. डेढ़ दशक पहले फिल्मों की सफलता का यह फार्मूला हो सकता था लेकिन मेकर्स को अब ये बात समझ लेनी होगी कि ऐसी कोशिशें अब काम नहीं करती है. यही नादानियां के साथ भी हुआ है. करण जौहर की फिल्म है तो कॉलेज कम शानदार होटल हर फ्रेम में नजर आ रहे हैं और सारे स्टूडेंट्स ब्रांडेड कपड़ों में ना सिर्फ दिख रहे हैं बल्कि तुरंत पार्लर से आये हुए भी लग रहे हैं.लेकिन ये सब चीजें फिल्म को एंगेजिंग नहीं कर पाती है .क्योंकि फिल्म की कहानी वही रटी रटाई है. अमीर लड़की और गरीब लड़का और फिल्म का ट्रीटमेंट कुछ कुछ होता है स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर वाला है.फिल्म में कुछ कुछ होता है की मिसेज ब्रिगेंजा (अर्चना पूरन सिंह )और शूटिंग स्टार्स को भी जोड़ा गया है. फिल्म कई विदेशी फिल्मों की भी याद दिलाता है, फिल्म की कहानी में पिया के मां पिता का ट्रैक जरूर अच्छा है,लेकिन लेखकों ने उस पर ज्यादा मेहनत नहीं की है. वह सतही ही रह गया है. जेन जी की इस लव स्टोरी में सिवाय इमोजी और AI से रोमांटिक टिप्स लेने के बजाय कुछ भी नया एक्सप्लोर नहीं हुआ है. फिल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. बाकी के पहलू औसत हैं.
इब्राहिम को खुद पर काम करने की जरूरत
इस फिल्म से इब्राहिम अली खान ने इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत की है. परदे पर वह बेहद आकर्षक नजर आये हैं. सिक्स पैक्स जमकर दिखाएं हैं.तो डांस मूव्स भी अच्छे हैं,लेकिन एक्टिंग में वह कमजोर रह गए हैं. उनके चेहरे के एक्सप्रेशंस में दोहराव है. उन्हें अपनी संवाद अदाएगी पर भी काम करने की जरुरत है. डायलॉग डिलीवरी अब तक तीन फिल्मों का हिस्सा रह चुकी ख़ुशी कपूर की भी अच्छी नहीं है और दिक्कत ये है कि फिल्म की कहानी की वो नरेटर हैं.उन्हें भी अभी खुद पर और काम करना है. यह एक लव स्टोरी फिल्म है और फिल्म में लीड एक्टर्स की केमिस्ट्री भी मिसिंग थी. दूसरे कलाकारों की बात करें तो माहिम चौधरी ने अच्छा काम किया है. सुनील शेट्टी, जुगल हंसराज,दिया मिर्जा,अर्चना और बाकी के कलाकार अपनी -अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं. मीजान जाफरी के लिए फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था.ओरी फिल्म में अपनी झलक दिखला गए हैं.