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कैसे बेलाल अंसारी ने किया एक नृत्य् शिक्षक से रूपहले परदे तक का सफर

-सैकत चटर्जी – एक नृत्य शिक्षक से लेकर रुपहले परदे तक का सफर तय किया है पलामू के मेदिनीनगर के बेलाल अंसारी. इन्होंने अपने संघर्ष के बल पर सपनों को जिंदा रखा और अंतत: मंजिल तक पहुंचा. उनका यह सफर बिलकुल भी आसान नहीं रहा. कई उतार-चढ़ाव के बाद वे लक्ष्य तक पहुंचे. पिछले दिनों […]


-सैकत चटर्जी –

एक नृत्य शिक्षक से लेकर रुपहले परदे तक का सफर तय किया है पलामू के मेदिनीनगर के बेलाल अंसारी. इन्होंने अपने संघर्ष के बल पर सपनों को जिंदा रखा और अंतत: मंजिल तक पहुंचा. उनका यह सफर बिलकुल भी आसान नहीं रहा. कई उतार-चढ़ाव के बाद वे लक्ष्य तक पहुंचे. पिछले दिनों रांची में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में बेलाल की फिल्म महुआ ने कई पुरस्कार जीते. स्क्रिप्ट लेखन के लिए बेलाल को पुरस्कार मिला.

बेलाल ने बताया की बरवाडीह में उनके पिताजी काम के सिलसिले में रहते थे. शुरुआती शिक्षा के बाद बेलाल ने मेदिनीनगर की ओर रुख किया. सबसे पहले सद्दीक मंजिल चौक के पास घुंघरू डांस स्कूल खोलकर बच्चों को नृत्य की शिक्षा देना शुरू किया. इस काम से उन्हें इतनी मदद मिली कि उनके लिए शहर में रहना और जरूरत के लिए कुछ पैसा कामना दोनों संभव हुआ पर जल्द ही उन्हें समझ में आ गया की यहां उसके सपने पूरे नहीं हो सकते.

उन्होंने मुंबई जाने का सोचा पर हालत अनुकूल नहीं थे, तो रांची जाने का फैसला किया. नागपुरी एलबम बनाने से इस सफर की शुरुआत हुई जो दूरदर्शन के लिए धारावाहिक, शार्ट फिल्म, नागपुरी फिल्म तक चली. अभिनय से खुद को अलग ररखकर बेलाल ने हमेशा खुद को फिल्म निर्माण की प्रक्रियाओं से जोड़े रखा. निर्माण के तमाम पहलुओं को नजदीक से देखने के बाद मुंबई जाकर स्क्रिप्ट लेखन की तकनीकी तालीम ली. मुंबई में संघर्ष शुरू हुआ ही था की पारवारिक कारणों से वापस आना पड़ा .
हालातों से समझौता कर उन्होंने रांची को ही अपनी कर्मस्थली बनाया. फिर लगातार कई फिल्मों के लिए लेखन से लेकर निर्माण तक का काम किया. पहली बार शोहरत और दौलत से बेलाल तब रूबरू हुए जब फिल्म ‘महुआ’ ने चारों तरफ धूम मचाई. आज रांची फिल्म इंडस्ट्री में जो भी फिल्म बनती है उसमें बेलाल का किसी न किसी रूप में जुड़ाव रहता है.
एमएस धौनी से लेकर कई हिंदी फिल्मों के निर्माण से भी बेलाल जुड़े रहे. अब बेलाल अपने आने वाली फिल्म ‘एसएसपी यशवंत’ के निर्माण में लगे हुए है. जल्द ही इस फिल्म की शूटिंग रांची व पलामू के कई स्थानों पर शुरू होगी. बेलाल का अब एक ही सपना है – नागपुरी फिल्मों को भी कलात्मक तरीके से बनाया जाये और रांची में एक ऐसी कंपनी बनायी जाये, जहां एक फिल्म निर्माण के लिए जरूरी सभी तकनीकी सामान आसानी से मिल जाये.

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