hanuman jayanti 2025: बिहार के रहने वाले दानिश अख्तर सैफी ने सीरियल सिया के राम (2015 )जय संतोषी मां (2016 )जय माँ वैष्णो देवी (2019 )और श्रीमद्भागवत महापुराण (2020 )में भगवान हनुमान की भूमिका को परदे पर साकार किया है. वे इनदिनों आशुतोष राणा के नाटक मेरे राम में भी हनुमान की भूमिका को निभा रहे हैं. सागर आर्ट्स के दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहे शो काकभुशुण्डि रामायण में भी भगवान हनुमान की भूमिका निभाते हुए जल्द ही नजर आने वाले हैं. परदे पर भगवान हनुमान की भूमिका को किसी भी अभिनेता के मुकाबले अब तक सबसे ज्यादा बार निभा चुके दानिश बताते हैं कि उन्हें लगता है कि भगवान हनुमान खुद उनको चुनते हैं.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
हनुमान जी भूमिका से एक्टिंग की शुरुआत
मैं रेसलिंग की तैयारी कर रहा था.उसके लिए मैं सिवान से मुंबई आया था, लेकिन वीजा की दिक्क्तों की वजह से मैं डब्ल्यूडब्ल्यूई में नहीं जा पाया था. उस दौरान मुझे लोगों ने कहा कि आपकी पर्सनालिटी ऐसी है कि आपको भीम या हनुमान जी का रोल बहुत आसानी से मिल सकता है.आपको एक बार कोशिश करना चाहिए.मैंने ऑडिशन देना शुरू किया. पहला ही ऑडिशन मैंने सीरियल सिया के राम के लिए दिया था. उस दौरान चैनल वाले और निर्माता निखिल सिन्हा दोनों को लगा कि मैं परफेक्ट हूं. मैं बताना चाहूंगा कि शुरुआत में मैं ताड़कासुर टाइप के किसी रोल के लिए चुना गया था ,लेकिन मेरे ऑडिशन को देखने के बाद निर्माता निखिल सिन्हा ने कहा कि हम इसको हनुमान जी का रोल ऑफर करेंगे. मैं उस वक्त एक्टिंग का ए बी सी भी नहीं जानता था. उन्होंने मुंबई में रखकर मुझे एक्टिंग वर्कशॉप करवाया।एनएसडी के टीचर राजेश तिवारी हैं, उन्होंने मुझे एक्टिंग की ट्रेनिंग दी थी.वहां से मेरी एक्टिंग की जर्नी शुरू हो गयी.
भगवान हनुमान की भूमिका के लिए मौलाना से लेकर पंडित तक ने सराहा
मैं मुस्लिम हूं ,लेकिन मैं भगवान हनुमान की भूमिका को जीवंत करता हूं. इस तरह की बातों को मैंने निजी तौर पर कभी नहीं सुना है. मुझे लगता है कि हिन्दू मुस्लिम के बीच परेशानियां सिर्फ मीडिया में है.आपस में बहुत प्यार है.मैं बताना चाहूंगा कि सिया के राम में भगवान हनुमान जी की भूमिका करने के बाद जब मैं अपने गांव सिवान गया,तो मौलाना से लेकर पंडितजी तक सब ने मिलकर मेरा स्वागत किया था.सबने सम्मान दिया. मुझे कभी किसी ने नहीं बोला कि आप मुस्लिम होकर सनातन धर्म का प्रचार क्यों करते हो और एकाध लोग अगर बोलते भी होंगे,तो मेरे सामने नहीं बोलते हैं तो फिर मैं उनको क्यों जवाब दूं . हर धर्म में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो नफरत की ही बात करते हैं, तो मैं उनपर ध्यान नहीं देता हूँ. मैं बताना चाहूंगा कि मेरे गांव ही नहीं भगवान हनुमान जी की भूमिका करने के लिए मुझे दूसरे राज्यों के लोगों से भी बहुत प्यार मिलता है. कई बार सेट पर लोग आकर मेरे पांव में गिरकर रोने लगते हैं. यह उनकी अपनी भक्ति भगवान हनुमान के लिए होती है.
तो नॉन वेज को हाथ भी नहीं लगाता
हनुमान जी के गेटअप में आने में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं. डेन्चर लगाना पड़ता है.पूँछ पहननी पड़ती है. हमारे लिए स्पेशल चेयर बनाये जाते हैं ताकि पूंछ के साथ हम बैठ सके. वैसे लुक में आने के बाद चाहे कितने भी घंटे शूट चले. हम लेटकर बॉडी को रेस्ट नहीं दे पाते हैं. आप सोचोगे कि थोड़ा आराम कर लें तो ऐसा नहीं है क्योंकि आपका कॉस्ट्यूम और मेकअप ऐसा होता है. मैं कॉस्ट्यूम में होता हूं तो मैं नॉन वेज से एकदम दूर रहता हूं. अंडा तक नहीं खाता हूं.शूटिंग खत्म करके घर जाने के बाद नहाकर जब नार्मल कपड़े पहनता हूं तो ही मैं कभी कभार नॉन वेज को हाथ लगाता हूं.मैं बताना चाहूंगा कि किसी ने मुझे बोला नहीं ,लेकिन यह मेरे अंदर खुद ब खुद आ गया कि भगवान हनुमान के लिए मुझे यह करना चाहिए. वैसे मैं बताना चाहूंगा कि काक भुशुण्डि रामायण जिसकी मैं इन दिनों शूटिंग कर रहा हूं.उसके पूरे सेट पर नॉन वेज खाने की पाबंदी है. काक भुशुण्डी के अलावा मैं आशुतोष राणा जी वाले शो हमारे राम में भी हनुमान की भूमिका कर रहा हूं. अब तक 200 शोज हो चुके हैं.जल्द ही हम यूएस इस शो के मंचन के लिए जा रहे हैं.
पौराणिक किताबें पढता हूं
मैं पिछले आठ सालों से लगातार हिस्टोरिकल शो कर रहा हूं. इस दौरान मैंने रामायण और महाभारत को बेहद करीब से जाना. जिससे इस्लाम के अलावा सनातन धर्म को भी जानने का अवसर मिला. मैंने यह पाया कि कोई भी धर्म गलत चीजों को नहीं सीखाता है. इंसानियत और अच्छे कर्मों को ही तवज्जो देता है.जब मैं सिया के राम में हनुमान के लिए चुन लिया गया था, तो उसके बाद मैंने रामानंद सागर के रामायण को देखना शुरू किया. मैं बेहद सम्मान के साथ दारा सिंह जी का नाम लेना चाहूंगा. मुझे लगता है कि उनके जैसा हनुमान आज तक ना कोई बन पाया था और आगे भी ना कोई बन पायेगा. मुझे बहुत सारे लोगों ने बोलते है कि दारा सिंह के बाद उन्हें मेरे द्वारा निभाई गयी हनुमान जी की भूमिका बहुत पसंद है. यह मैं अपने लिए बहुत बड़ा सम्मान मानता हूं ,क्योंकि मैंने जो भी सीखा है. उनको देखकर ही सीखा है. मैंने अपने करियर में लगातार हनुमान की भूमिका करते आ रहा हूं. इसके लिए मैं लगभग कुछ समय बाद रामानंद सागर वाली रामायण देखता ही हूं. टीवी पर अब तक बनें सभी रामायण के शो अच्छे थे,लेकिन वो बेस्ट था.इसके अलावा मैं पौराणिक किताबें भी पढता रहता हूं. इन दिनों मैं आशुतोष राणा की लिखी हुई किताब रामायण पढ़ रहा हूं.
भगवान हनुमान की भूमिका ने बहुत बदलाव लाया
एक दशक से मैं लगातार हनुमान जी की भूमिका को अलग -अलग शो के लिए कर रहा हूं. कई लोगों को कहना है कि मैं टाइपकास्ट हो गया हूं ,लेकिन इसमें मुझे ख़ुशी मिलती है.मैं अपनी पूरी जिंदगी इस भूमिका को कर सकता हूं. मुझे लगता है कि मुझे खुद हनुमानजी चुनते हैं कि मैं उनकी भूमिका करूँ. वैसे इन सालों में इस किरदार की वजह से मैं बहुत सकारात्मक हो गया हूं.जहां झुक कर काम करना है .वहां झुककर करता हूं जहां गदा तानना है वहां पर वो भी करता हूं. लाइफ में नॉन वेज ना के बराबर है ,लेकिन मैं 120 किलो के वजन को रखते हुए अपनी बॉडी को मेन्टेन रखता हूं. दो घंटे जिम को देता हूं. डाइट में पनीर, दूध और सूखे मेवे लेता हूं. ऑयली और बाहर का खाना नहीं खाता हूं. इस भूमिका ने आर्थिक तौर पर भी मुझे मजबूत बनाया है. मुंबई में बहुत अच्छे से रह रहा हूं. हनुमान जी ने चाहा तो बहुत जल्दी अपना घर भी ले लूंगा.
हनुमान जी के चमत्कार महसूस किया है
मैंने पहले ही बताया कि मैं आशुतोष राणा के शो मेरे राम में भी हनुमान की भूमिका करता हूं. यह थिएटर शो हर सप्ताह शनिवार और रविवार को रहता है.यह लाइव होता है. बीच में मुझे डेंगू हो गया था. मुझे कोकिला बेन अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और शो था. लाइव शो की दिक्कत यह होती है कि जिसने तैयारी की है. वही कर सकते हैं.अचानक से कोई नहीं कर पायेगा. मैंने डॉक्टर्स से बोला मुझे जाने दीजिये .वे बोले तुमसे नहीं हो पायेगा. तुम इतनी देर खड़े ही नहीं रह पाओगे. मैंने अनसुना किया और पहुंच गया. सच बताऊँ शुरुआत में मैं काँप रहा था. मेरे प्लेटलेट्स काउंट्स 30 हज़ार से नीचे था. जो डेंगू की बुरी स्थिति को दर्शाता है. अभी भी बताते हुए मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि जैसे ही मैंने हनुमान जी की कॉस्ट्यूम पहनी एक अलग ही शक्ति का मुझमें संचार हो गया और मैंने पूरा नाटक किया.वह चमत्कार था.