राजमाता शिवगामी (राम्या)बाहुबली की हत्या का आदेश देती है और भीष्म की तरह सिंहासन से बंधे कटप्पा गलत सही को जानते हुए भी बाहुबली की हत्या कर देते हैं. शिवगामी ऐसा फैसला क्यों लेती है. यह फ़िल्म देखने पर ही मालूम होगा. आगे की कहानी में अमरेंद्र बाहुबली का पुत्र महेंद्र बाहुबली भल्लाल देव से अपने पिता की हत्या कराने की साज़िश रचने का बदला लेता दिखाया गया है. पिछली कड़ी से ज़्यादा इस बार की कहानी रोचक है. कहानी का ट्रीटमेंट इस तरह से किया गया है. चूंकि सभी को यह जानना था कि कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा जिसकी वजह से फ़िल्म के पहले दृश्य से ही सभी जुड़ गए थे.
वह कॉमेडी करते फर्स्ट हाफ में दिखें है. तमन्ना के लिए फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था. वह मुश्किल से इस बार स्क्रीन में नज़र आई हैं. राणा दुग्गाबाती अपने प्रभावशाली अभिनय से नफरत पैदा करने में कामयाब रहे हैं .बाकी के किरदार भी अपनी भूमिकाओं में जमे हैं. फ़िल्म के गीत औसत हैं. चूंकि वह डब किये हैं इसलिए कानों को सुकून नहीं देते हैं. फ़िल्म का बैकग्राउंड संगीत उम्दा है. जो कहानी में एक अलग ही जोश भर जाते हैं. कुलमिलाकर एस एस राजामौली की यह मैग्नम ओपस् उम्मीदों पर पूरी तरह से खरी उतरती है.

