रोहित शेट्ठी की फिल्म दिलवाले हाल ही में रिलीज हुई है. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं. रोहित का मानना है कि वे अपनी सफलता से तब खुश होते हैं, जब बच्चे उनकी फिल्म देख कर खुश हों. रोहित की दिलवाले के साथ यह नौवीं शानदार सफलता है. फिल्म की सफलता व कई पहलुओं पर उन्होंने अनुप्रिया व उर्मिला से खास बातचीत की.
रोहित आपकी यह नौवीं शानदार सफलता है. लगातार नौ फिल्में हिट देनेवाले निर्देशक फिलवक्त क्या महसूस कर रहे हैं?
मैं बेहद खुश हूं. यह नौवीं सफलता है. मुझे लगता है कि मेरी ऑडियंस फैमिली ऑडियंस है. और मैं उन्हें बहुत अधिक तवज्जो देता हूं. मैं मानता हूं कि यह एक बड़ी बात है कि हम फैमिली के लिए फिल्में बनाये. मैं कोई दावा नहीं करता. कोई उपदेश देने की कोशिश नहीं होती है मेरी. मैं यह भी नहीं कहता कि मेरी फिल्मों में कोई उपदेश है और मैं धमाल फिल्में बना रहा हूं. हां, मगर ऑडियंस की खुशी मायने रखती है. खास कर बच्चे मेरी फिल्मों के प्रशंसक हैं और इस बात से खुशी तो मिलती ही है. उनके लिए बहुत कम फिल्में बनती हैं. मैं ऐसा मानता हूं और मैं उन्हें ही केटर करता हूं और जब भी मेरी फिल्में आती हैं तो उन्हें पता होता है कि यह हमारे लिए फिल्म बनी होगी. और वह एक बड़ा सेगमेंट है. और मेरी ताकत भी. ऐसा मेरा मानना है. आप कभी बच्चों को लेकर जाइए फिल्म देखने और उनके रियेक् शन देखिए. वे अपनी ही दुनिया चुन लेते हैं किसी फिल्म से. उन्हें गाड़ियां उड़ाते वक्त अच्छा लगता है. वे खुश होते हैं और मुझे वही खुशी खुशी देती है.
लगातार सफलता से डर लगता है?
डर नहीं लगता है, लेकिन प्रेशर काफी बढ़ गया है. पहले इतना प्रेशर नहीं होता. अब सोशल मीडिया का प्रेशर बहुत ज्यादा है. वहां पल पल की खबर पहुंचती है. लगातार आपके बारे में लिखा जाता है. पहले फिल्म लगती थी. चल जाती थी. बात खत्म हो जाती थी.आजकल स्पेकुलेशन्स बढ़ गये हैं. रिलीज के पहले ही फिल्म तीन चार बार हिट और फ्लॉप हो जाती है. सो, वह एक प्रेशर तो बढ़ गया है.
आपका परिवार आपकी सफलता पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है?
मेरी और मेरे परिवार के लोगों की अपब्रिंगिंग बहुत सामान्य रही है. तो घर में स्टारडम जैसी चीजें हैं ही नहीं. मैं खुद ही सफलता को हावी नहीं होने देता. चूंकि यहां कुछ भी परमानेंट नहीं हैं. सभी जानते हैं. घर वाले भी वैसे ही हैं. यह हकीकत है कि यहां दो फिल्मों की हिट के बाद ही लोगों का दिमाग खराब हो जाता है. लेकिन मैं यही कोशिश करता हूं कि अपना दिमाग खराब न करूं. फैमिली बस इतना जरूर करती है कि वह पोजिटिव रहती है. और हमेशा कहती है कि मेहनत करते रहना है. हम शायद ग्राउंडेंड हैं. इसलिए रियलिटी टच है. जो हमारी मिडिल क्लास ऑडियंस है या यूं कहें कि जो हमारी आम जनता है. वह भी रियलिटी और रियल लोगों को ही पसंद करती हैं. शायद मैं बनाता ही हूं इसलिए भी वैसी ही फिल्में. और देखने भी वही लोग आते हैं.
हमने आपके बारे में इंटरव्यू में पढ़ा था कि आप लगान जैसी फिल्में बनाना चाहते हैं. तो क्या वह सपना अब भी जिंदा है?
नहीं मैं बनाना नहीं चाहता हूं. मैंने कहा था कि मुझे लगान जैसी फिल्में पसंद हैं. मैं सिनेमा का तो प्रेमी रहा हूं. हर तरह का सिनेमा देखता हूं. सिर्फ हिंदी ही नहीं तेलुगू, तमिल आप कुछ भी पूछोगे तो मैं बता दूंगा. मैंने उनसे कहा था कि मुझे दूसरी तरह की फिल्में भी पसंद हैं और सभी दूसरी तरह की फिल्में बना भी रहे हैं. सिर्फ मैं ही एक तरह की फिल्में बना रहा हूं. और मैंने यह जरूर कहा था कि कभी वैसी स्क्रिप्ट मिली तो मैं जरूर बनाना चाहूंगा.
आपने यह भी कहा था कि आप गोविंदा के फैन हैं. लेकिन कभी गोविंदा को लेकर आपने किसी फिल्म की कल्पना नहीं की?
हां, यह हकीकत है कि मैं गोविंदा का फैन रहा हूं. कोई ऐसा विषय हो तो मैं जरूर लेकर उनको फिल्म बनाना चाहूंगा. गोविंदा हमारी कंट्री के फाइनेस्ट एक्टर हैं. मैंने कभी उन्हें ऑफर किया नहीं है. लेकिन मैं कभी न कभी करूंगा उनके साथ.
अपने कंटेमपररी निर्देशकों के बारे में क्या कहना है?
मैं हर तरह की फिल्में देखता हूं और अच्छे निर्देशकों की इज्जत भी करता हूं. मुझे तमाशा देखनी है. मैंने सुना है कि दीपिका और रणबीर ने बेहतरीन काम किया है. प्रतियोगिता जैसी कोई बात नहीं हैं. सभी काम कर रहे हैं और मुझसे अच्छी कर रहे हैं. मैं फिल्में देख देख कर ही सीखता हूं. मैं बाजीराव मस्तानी भी देखूंगा. दीपिका क्लोज फ्रेंड है और सुना है उन्होंने भी बहुत अच्छा काम किया है.
आपके लिए फिल्मों की समीक्षा क्या मायने रखती हैं?
देखिए मुझे लगता है कि उन्हें जिन्हें मेरी फिल्में पसंद नहीं आती है. उनकी सोच अलग है. हो सकता है कि वह मेरी एक ही तरह की फिल्में देख कर तंग आ गये हैं. एक वजह यह भी है. हां, मैं यह कह सकता हूं कि मुझे जो पसंद है वह मैं करता हूं और मेरे ऑडियंस का भी सपोर्ट है.
दिलवाले को लेकर काफी विरोध हुआ? यह सब कुछ परेशान करती है?
मैं मंडे तक का वेट करता हूं क्योंकि मंडे से सभी काम पर चले जाते हैं. उसको काउंटर करके फायदा नहीं है. मुझे लगता है कि अगर लोगों को फिल्म पसंद आ गयी तो वह फिल्म की कामयाबी है. जो भी अब तक बिजनेस हुआ है. तब हुआ है जब कई जगह फिल्म खुली नहीं है. राजस्थान में ओपन में हुई है. कई जगहों पर तो यह बिजनेस है. अब लोगों ने देखना शुरू किया है. सोशल मीडिया की दुनिया अलग है. रीयल जनता की दुनिया अलग है तो मुझे यकीन है कि लोग अब जाकर जरूर फिल्म देखेंगे हमारी. पारिवारिक ऑडियंस पर है भरोसा.
हर फिल्म से बतौर निर्देशक कितना सीखते हैं आप?
मैं मेहनत बहुत करता हूं. हम अपनी फिल्म में ही एक्शन में कॉमेडी में, कुछ न कुछ करता हूं. संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी, पंकज त्रिपाठी को काफी पसंद किया लोगों ने. आम आदमी को यही चीजें पसंद होती हैं. कैरेक्टर्स बहुत होते हैं मेरी फिल्मों में.