मुंबई : मुंबई की एक सत्र अदालत बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की संलिप्तता वाले हिट एंड रन मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी. इस मामले में दोषी पाए जाने पर अभिनेता को 10 वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है.12 वर्ष से अधिक पुराने इस मामले की सुनवाई में कई मोड आए. इस मामले में कल आने वाला फैसला सलमान के करियर का भविष्य तय करेगा. सलमान पर इस समय बॉलीवुड का 200 करोड रूपये दॉव पर लगा हुआ है.
सत्र न्यायाधीश डी डब्ल्यू देशपांडे बुधवार को जब अपना निर्णय सुनाएंगे, उस समय अदालत के चारों ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होगी. केवल मीडियाकर्मियों, वकीलों और अदालत के स्टाफ को अदालत के भीतर जाने की अनुमति होगी. न्यायाधीश ने फैसला सुनाने के लिए तारीख तय करते हुए पिछले महीने अभिनेता को आदेश दिया था कि वह छह मई को सुबह सवा 11 बजे अदालत में मौजूद रहें.
लोकप्रिय अभिनेता सलमान के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का अधिक कड़ा आरोप लगाए जाने के बाद इस मामले में नए सिरे से सुनवाई हुई थी. इस मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को 10 वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है.इससे पहले बांद्रा के एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सलमान के खिलाफ तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाने के आरोप के तहत मामले की सुनवाई की थी जिसमें दोषी पाए जाने पर अपराधी को अधिकतम दो वर्ष कारावास की सजा हो सकती है. मजिस्ट्रेट ने 2012 में सलमान के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के अधिक गंभीर आरोप लगाते हुए मामले को सत्र अदालत में भेज दिया था.
अभिनेता का दावा है कि 28 सितंबर 2002 की रात को हुई दुर्घटना के समय वह वाहन नहीं चला रहे थे. इस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य लोग घायल हुए थे.अभियोजन पक्ष का कहना है कि उपनगर बांद्रा में एक बेकरी के बाहर फुटपाथ पर सो रहे पीडितों को कुचलने वाली टोयोटा लैंड क्रूजर को सलमान खान चला रहे थे और उन्होंने शराब पी रखी थी लेकिन अभिनेता ने दावा किया है कि गाडी उनका ड्राइवर अशोक सिंह चला रहा था. सिंह ने भी बचाव पक्ष के इस बयान की पुष्टि की है.
बचाव पक्ष के वकील ने यह भी तर्क दिया कि पुलिस ने स्टीयरिंग व्हील से उंगलियों के निशान नहीं उठाए थे, जिससे यह पता चल सके कि वाहन कौन चला रहा था. हालांकि अभियोजक प्रदीप घराट ने आरोप लगाया है कि सलमान एक बार से ह्यबकार्डी रमह्ण पीने के बाद वाहन चला रहे थे जबकि अभिनेता ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि उन्होंने केवल पानी पिया था.
इस दुर्घटना में नुरुल्ला महबूब शरीफ की मौत हो गई थी और कलीम मोहम्मद पठान, मुन्ना मलाई खान, अब्दुल्ला रउफ शेख और मुस्लिम शेख घायल हो गए थे. बचाव पक्ष ने अभियोजन पक्ष के उस दावे को भी गलत बताया कि वाहन में सलमान के अलावा उनका पुलिस अंगरक्षक रवींद्र पाटिल और गायक मित्र कमाल खान मौजूद थे. उसने कहा कि कार में एक चौथा व्यक्ति अशोक सिंह भी था.
सलमान के वकील श्रीकांत शिवडे ने तर्क दिया कि मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि उसकी मौत कुचले जाने के बाद हुईं. उन्होंने कहा कि उसकी मौत उस समय हुई जब पुलिस द्वारा बुलाई गई क्रेन भारी एसयूवी को एक बार में नहीं उठा सकी थी और उसने इसे पीडितों पर गिरा दिया था जिससे वे घायल हो गए.
बचाव पक्ष ने यह भी दावा किया कि बाएं पहिए के फट जाने के कारण वाहन चालक ने गाडी पर से नियंत्रण खो दिया था जिससे यह दुर्घटना हुई. उसने यह भी कहा कि सडक की मरम्मत हो रही थी और दुर्घटनास्थल पर पत्थर बिखरे पडे थे. अभियोजन पक्ष ने पाटिल द्वारा पुलिस को दिए गए बयान को आधार बनाया. पाटिल ने कहा था कि उसने अभिनेता को तेज गति और लापरवाही से वाहन नहीं चलाने की सलाह दी थी लेकिन सलमान ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया.
पाटिल की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी. पाटिल ने यह भी कहा था कि दुघर्टना के समय सलमान ने शराब पी रखी थी। हालांकि उसने दुर्घटना के समय अशोक सिंह के वाहन चलाने के संबंध में एक शब्द भी नहीं कहा. बचाव पक्ष ने रवींद्र पाटिल को ‘झूठा’ कहा था और दावा किया था कि वह दुर्घटना के समय सो रहा था.
सलमान के वकील ने मांग की थी कि पाटिल के बयान को दरकिनार कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उसका निधन हो गया है और वह पूछताछ के लिए उपलब्ध नहीं है. अदालत ने पाटिल की गवाही को दर्ज कर लिया और कहा कि वह उसकी गवाही की अहमियत के आधार पर फैसला करेगी. बचाव पक्ष ने अभियोजक के उस दावे का भी खंडन किया कि शराब पीकर 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाडी चला रहे सलमान को जेडब्ल्यू मैरिएट होटल से दुर्घटनास्थल तक जाने में 30 मिनट लगे.
बचाव पक्ष ने कहा कि जेडब्ल्यू मैरिएट होटल से दुर्घटनास्थल की दूरी अधिक नहीं है और सलमान को केवल 10 मिनट लगे होंगे. वकील ने यह मामला ‘झूठा’ होने का दावा किया. अभियोजन पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि सलमान बिना लाइसेंस के वाहन चला रहे थे और उसने इस बात को साबित करने के लिए आरटीओ के रिकॉर्ड दिखाए कि सलमान ने हादसे के दो साल बाद 2004 में लाइसेंस बनवाया था.
हालांकि अभिनेता ने कहा कि 2004 में उन्होंने जो लाइसेंस बनवाया था, वह उनका पहला लाइसेंस नहीं था. अदालत सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दाउंदकर की उस याचिका पर भी कल फैसला सुनाएगी जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने गलत चिकित्सकों से पूछताछ करके झूठे साक्ष्य पेश किए. याचिका में पुलिस द्वारा मुख्य प्रत्यक्षदर्शी कमाल खान से पूछताछ नहीं किए जाने के संबंध में भी सवाल उठाए गए हैं.