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जब समाज पर संकट होता है, तब निकल कर आती है महान कला : पंकज त्रिपाठी

मुंबई : फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी का मानना है कि एक डॉक्टर मरते हुये इंसान को बचा सकता है लेकिन एक कलाकार इससे कहीं अधिक कर सकता है, वो वह गलत चीजों पर सवाल उठाकर और सही बातों पर दृढ़ रह कर मर रहे समाज को जिला सकता है. वे मानते हैं कि किसी कलाकार […]

मुंबई : फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी का मानना है कि एक डॉक्टर मरते हुये इंसान को बचा सकता है लेकिन एक कलाकार इससे कहीं अधिक कर सकता है, वो वह गलत चीजों पर सवाल उठाकर और सही बातों पर दृढ़ रह कर मर रहे समाज को जिला सकता है. वे मानते हैं कि किसी कलाकार का काम शून्य में नहीं हो सकता जैसे विज्ञान जिंदगी की दुश्वारियां आसां करता है तो कला उसे अर्थ देती है.

त्रिपाठी ने कहा, ‘जिंदगी में, हमारे पास दो हिस्से हैं: कला और विज्ञान. हमें जीवन सरल बनाने के लिए विज्ञान चाहिये. लेकिन हम किस बात के लिए जीते हैं. हम कला के जरिए जिंदगी का लुत्फ़ उठाते हैं. इसलिए एक कलाकार की जिम्मेदारी है कि वह समाज में घट रही गलत चीजों पर सवाल उठाये.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों में कला के विभिन्न रूपों – लेखन, पेंटिग, अभिनय वगैरह के जरिए जागरूकता लानी चाहिये.” त्रिपाठी ने कहा कि कला में लोगों को बेहतर बनाने की ताकत है.

उन्होंने कहा, ‘अगर प्रत्येक व्यक्ति कविता सुनना, नाटक देखना और पेंटिग्स देखना शुरू करे तो वह बेहतर इंसान हो सकता है. कला हमें बेहतर मनुष्य के रूप में ढालती है और यह समाज में दिखता है. पूरे विश्व में, जब भी समाज में संकट होता है तो श्रेष्ठ कला निकल कर आती है.’

फिल्मों का चयन या अपने किरदारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं एक जागरूक नागरिक हूं इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरे किरदार भी जागरूक हों. उन्हें ये पता होना चाहिये कि समाज में क्या हो रहा है और उस पर बात कर सकें. वे हकीकत से अनभिज्ञ किसी दूसरी दुनिया के नहीं हो सकते. यह 42 वर्षीय कलाकार गत 15 वर्षों से सिनेमा उद्योग में सक्रिय है और उनके निभाए किरदारों की आलोचकों ने भूरि भूरि प्रशंसा की है.

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