बॉलीवुड के फेमस और हैंडसम अभिनेता विनोद खन्ना का आज जन्मदिन है. अगर आज वे हमारे बीच होते तो अपना 72वां जन्मदिन मना रहे होते. एक शानदार और तूफानी अभिनेता कैंसर की जंग में हार गया. 27 अप्रैल 2017 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन अपने स्टाइल और एक्टिंग की वजह से वे हमेशा याद आते रहेंगे. उनका जन्म एक बिजनेस परिवार में 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर में हुआ था जो 1947 में हुए विभाजन के बाद पेशावर से मुंबई आ गया था. उनके माता-पिता का नाम कमला और किशनचंद खन्ना था.
विनोद खन्ना ने मल्टीस्टारर फिल्मों से कभी परहेज नहीं किया और वे उस दौर के स्टार्स अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त आदि के साथ फिल्में करते रहे. अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया गया.
पिता नहीं चाहते थे हीरो बने
ऐसा कहा जाता है कि विनोद खन्ना के पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फिल्मों में काम करे. लेकिन विनोद खन्ना ने जिद पकड़ रखी थी कि वो फिल्मों में ही जायेंगे. उन्होंने पिता के सामने दो साल का समय मांगा. पिता ने विनोद खन्ना की बात मान ली. युवा विनोद खन्ना ने इन दो सालों में कड़ी मेहनत की और बतौर अभिनेता खुद को स्थापित कर लिया. विनोद खन्ना ने एक अभिनेता बनने के अपने सपने कोक कड़े मेहनत और लगन से पूरा किया.
विलेन बनकर की शुरुआत
साल 1969 में आई फिल्म ‘मन के मीत’ से सिल्वर स्क्रीन पर एक ऐसे विलेन ने कदम रखा जो दिखता हीरो जैसा था. सुनील दत्त ने यह फिल्म अपने भाई को लॉन्च करने के लिए बनाई थी. इस फिल्म की रिलीज के बाद विनोद खन्ना की गाड़ी चल पड़ी. उनके पास अच्छी फिल्मों के ऑफर्स आने लगे. सही मायनों में विनोद खन्ना ने गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने’ (1971) में एक नायक के तौर पर नजर आये थे.
विनोद खन्ना-अमिताभ बच्चन की हिट जोड़ी
अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया. हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर ब्लॉकबस्टर साबित हुईं. उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ उस काम किया जब अमिताभ की गिनती बड़े सितारों में होनी लगी थी. लेकिन विनोद खन्ना किसी भी फिल्म में उनसे कम नहीं लगते थे. ऐसे में दोनों के बीच नंबर 1 जैसी जंग की बात भी होती थी. हालांकि दोनों ने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया. विनोद खन्ना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि हम एकदूसरे के प्रतियोगी हैं प्रतिद्वंद्वी नहीं. ऐसा माना जाता है कि अगर विनोद खन्ना ने अपने जीवन में यह एक फैसला नहीं लिया होता तो वे अपने फिल्मी करियर में अमिताभ से कहीं ज्यादा सफल होते. इस फैसले के बाद विनोद खन्ना के फिल्मी करियर पर तो ब्रेक लगा ही, उनका निजी जीवन भी इससे आहत हुआ. हालांकि कुछ अंतराल के बाद विनोद खन्ना का आश्रम और ओशो से मोहभंग हुआ और उन्होंने फिल्मों में वापसी भी की, लेकिन यह वापसी इतनी दमदार नहीं रही.
एक फैसले ने चौंका दिया
साल 1982 में विनोद खन्ना ने एक ऐसा फैसला किया जिससे हर कोई दंग रह गया. उनके इस फैसले से न केवल उनके करियर पर ब्रेक लगा बल्कि उनकी पत्नी से भी उनका रिश्ता टूट गया. दरअसल फिल्म दुनिया को छोड़कर विनोद खन्ना आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गये और वहां जाकर उनके आश्रम में रहने लगे. वे वहां बर्तन धोते थे और बगीचे का काम संभालते थे.
गीताजंलि से तलाक और दूसरी शादी
विनोद खन्ना ने गीतांजलि से 1971 में शादी की थी जिससे उनके दो बच्चे है राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना. विनोद के ओशो की शरण में जाने के एकतरफा फैसले से उनकी शादी पर संकट आ गया. हालांकि वर्ष 1987 वे फिल्मी दुनियां में लौट आये लेकिन उनकी गीताजंलि का रिश्ता टूटने की कगार पर आ पहुचा. कुछ समय बाद ही दोनों का तलाक हो गया. इसके बाद वर्ष 1990 में उन्होंने कविता से दूसरी शादी कर ली उनसे भी उनके दो बच्चे है.