उर्मिला कोरी
फ़िल्म : मनमर्ज़ियां
निर्देशक : अनुराग कश्यप
कलाकार : तापसी पन्नू,अभिषेक बच्चन,विक्की कौशल और अन्य
रेटिंग : साढ़े तीन
डार्क और रियलिस्टिक फ़िल्म बनाने के लिए मशहूर निर्देशक अनुराग कश्यप की फ़िल्म मनमर्ज़ियाँ उनकी पहली लव स्टोरी फ़िल्म है. अनुराग हैं तो प्रयोग होना लाजमी है. यह सोशल मीडिया वाला प्यार है. आज के दौर वाला प्यार इसलिए अनुराग कश्यप ने इसे नए ट्रीटमेंट के साथ-साथ नए शब्द फ्यार से परिभाषित किया है. फ्यार की यह कहानी रूमी (तापसी पन्नू) की है. जिसे विक्की (विक्की कौशल) से ज़बरदस्त वाला फ़्यार है रूह वाला कम जिस्मानी ज़्यादा.
रूमी और विक्की दोनों रंगे हाथों पकड़े जाते हैं. रूमी के घरवाले उसपर शादी का दबाव डालते हैं. विक्की बंदा सही है लेकिन जिम्मेदारी के नाम पर वो हग देता है. फ़िल्म का ये संवाद विक्की की मानसिकता को पूरी तरह से बयां कर देता है.
गुस्से में रूमी घरवालों की मर्ज़ी से सुलझे हुए और जिम्मेदार इंसान रॉबी (अभिषेक बच्चन) से शादी कर तो लेती है लेकिन उसका विक्की से लेकर फ्यार अब तक खत्म नहीं हुआ है. वहीं रॉबी को रूमी से पहली नज़र में ही सच्चा प्यार हो जाता है. यही वजह है कि रूमी से विक्की के फ्यार के बारे में जानते हुए भी रॉबी उससे न सिर्फ शादी करता है बल्कि रूमी को यह भी कह देता है कि वह अभी भी उसमें और विक्की में से किसी एक को चुन सकती है.
परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती है कि रॉबी आखिर में रूमी को तलाक दे देता है ताकि वह विक्की से शादी कर ले. क्या रूमी फ्यार और प्यार के बीच का फर्क समझ पाएगी।वह विक्की और रॉबी में से किसे चुनेगी. इसके लिए आपको फ़िल्म देखने का ऑप्शन चुनना पड़ेगा.
फ़िल्म की कहानी की बात करें तो यह दशकों पुराने लव ट्रायंगल के फार्मूले पर आधारित है. कई इसे फ़िल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ का मॉडर्न वर्जन भी करार दे सकते हैं लेकिन इसे अलहदा इसका ट्रीटमेंट बना देता है. फ़िल्म की कहानी के कई दृश्य परंपरागत सोच वाले दर्शकों को अटपटा सा लग सकता है खासकर शादी के बाद भी रूमी का विक्की के साथ जिस्मानी होने वाले दृश्य लेकिन हकीकत यही है कि प्यार ने कब नैतिक और सामाजिक मूल्यों को माना है तो फिर ये तो आज के दौर का फ्यार है.
फ़िल्म मौजूदा दौर के फ्यार को प्यार समझने की जटिलता और कंफ्यूजन को बखूबी सामने ला पाती है. फ़िल्म का क्लाइमेक्स दिलचस्प है. फ़िल्म के कमजोर कड़ी इसकी रफ्तार है. फ़िल्म थोड़ी ज़्यादा लंबी भी हो गयी है.अभिनय की बात करें तो यह तापसी पन्नू की फ़िल्म है. यह उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ काम है. यह कहना गलत न होगा. वे बेबाकी,बिंदास और बोल्ड रूमी के किरदार में वह पूरी तरह रची बसी दिखती है.
विक्की कौशल अपनी हर फिल्म में एक नए इंसान के तौर पर नज़र आते हैं. यह फ़िल्म भी अलग नहीं है. उन्होंने इस फ़िल्म में अपने किरदार को पूरी शिद्दत और पागलपन से जिया है. दो साल परदे पर दिखे अभिषेक बच्चन ने बहुत ही सहज अभिनय किया है.
गीत संगीत की बात करें तो फ़िल्म में 14 गाने हैं लेकिन वो कहानी के साथ इस कदर घुले मिले हैं कि न सिर्फ उसे आगे बढ़ाते हैं बल्कि रोचक भी. इसके लिए संगीतकार अमित त्रिवेदी और गीतकार शेली की तारीफ करनी होगी. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी बन पड़ी है. अमृतसर का गोल्डन टेम्पल है तो संकरी गालियां भी हैं. फ़िल्म के संवाद भी मज़ेदार हैं.
आखिर में फ़िल्म के एक गीत की लाइन्स है.. ज़माना है बदला मोहब्बत है बदली ..घिसे पिटे वर्जन को मारो अपडेट तो निर्देशक अनुराग कश्यप की यह फ़िल्म प्यार का अपडेटेड वर्जन है और इसे अपडेटेड सोच के साथ ही देखना सही होगा.

