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जोश और जज्‍बे की कहानी है ”सूबेदार जोगिंदर सिंह”, देखें ट्रेलर

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह की बायोपिक 6 अप्रैल से देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. ये जानकारी फिल्‍म के डायरेक्‍टर समरजीत सिंह ने दी. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि भारत-चीन युद्ध के दौरान 1962 में चीनी हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने वाले बहादुर सिपाही की बायोपिक ‘सूबेदार जोगिंदर सिंह’ ने फिर से साबित […]

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह की बायोपिक 6 अप्रैल से देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. ये जानकारी फिल्‍म के डायरेक्‍टर समरजीत सिंह ने दी. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि भारत-चीन युद्ध के दौरान 1962 में चीनी हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने वाले बहादुर सिपाही की बायोपिक ‘सूबेदार जोगिंदर सिंह’ ने फिर से साबित कर दिया है कि यह फिल्म बेहतर तरीके से और बढ़िया सिनेमाटिक्स के ज़रिये लोगों को उस समय के हालातों से अवगत कराती है.

21 वीं सदी के आगमन के साथ, फिल्म मेकिंग में जबरदस्त परिवर्तन आया है. आज कल युवाओं का रुझान काल्पनिक सिनेमा की तरफ अधिक है. उन्‍होंने कहा कि आज के युवाओं का रुझान काल्पनिक सिनेमा की तरफ अधिक है. हमारे देश में चारों तरफ समृद्ध संस्कृति, विरासत, ऐतिहासिक घटनाएं और किस्से हैं. उस नज़रिये से देखें तो हमारे पास दर्शकों को दिखाने और उन्हें देने के लिए बहुत कुछ है.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता राशीद रंगरेज़ द्वारा लिखित, सिमरजीत सिंह द्वारा निर्देशित और सुमीत सिंह द्वारा तैयार की गई फिल्म ‘सूबेदार जोगिंदर सिंह’ में पहाड़ की दुर्गम चोटियों पर सूबेदार जोगिंदर सिंह के रूप में अभिनेता गिप्‍पी ग्रेवाल अपनी पलटन के साथ नजर आ रहे हैं. यह देश की पहली ऐसी जीवनी हैं जो किसी परमवीर चक्र विजेता पर बनी है और पंजाबी के अलावा तीन भाषाओं – हिंदी, तमिल और तेलगु में रिलीज़ होगी.

सुमीत सिंह ने क‍हा कि वर्तमान परिदृश्य में व्यावसायिक फिल्में बनाने का चलन है. इसके बीच लीक से हटकर एक फिल्म बनाई गई है – ‘सूबेदार जोगिन्दर सिंह’. यह एक वीर सैनिक की जिंदगी और घटनाओं पर आधारित है, जो अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए जुनून और दृढ़ संकल्प से प्रेरित था.

निर्माताओं ने फिल्म का ट्रेलर जारी किया. यह आश्चर्यजनक रूप से रोंगटे खड़े कर देने वाला है। सूबेदार जोगिंदर सिंह सिख रेजिमेंट के असाधारण सैनिकों में से एक थे, जिन्हें भारत-चीन युद्ध 1962 के दौरान राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के लिए, असाधारण साहस और उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार – परम वीर चक्र से नवाज़ा गया. फिल्म का ट्रेलर आकर्षक है, जिसे किसी भी व्यक्ति को देखना चाहिए.

उन्‍होंने कहा कि हमने इस फिल्‍म में सैनिकों का जुनून और आक्रामकता, निजी रिश्ते और एक मातृभूमि के प्रति अपनेपन की भावना दिखाने का प्रयत्न किया है. यह उल्लेखनीय है कि फिल्म 1960 के युग को फिर से दोहराने में सक्षम है. इसमें उस समय के गांव का माहौल, वेशभूषा और विशेष रूप से उस समय को दर्शाने के लिए बनाई गई विशाल ट्रेन इस बात के प्रमाण हैं.

फ़िल्म को सबसे यथार्थवादी और प्रामाणिक महसूस कराने के लिए बड़े पैमाने के सेट तैयार किये गए थे. भारत के सच्चे नागरिकों के रूप में हम सभी को हमारे देश के समृद्ध और ठोस इतिहास पर गर्व करना चाहिए. वास्तव में, आज ज़रूरत है कि इस तरह के शक्तिशाली विषयों को सिनेमा की व्यापक दुनिया के ज़रिये उठाया जाये. ताकि हमारे इतिहास के कई अनसुने और अनपढ़े अध्यायों को साझा किया जा सके और उन अज्ञात नायकों को श्रद्धांजलि दी जाए, जिन्होंने राष्ट्र के लिए कड़ी मेहनत और बलिदान बलिदान दिए थे.

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