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महिला दिवस 2018 : बॉलीवुड की 10 सफल फीमेल निर्देशक

साल 2013 में हिंदी सिनेमा ने अपने सौ साल पूरे कर लिये. ऐसे में अगर बात महिला निर्देशकों की हुई तो इंडस्‍ट्री में जैसे एक सन्‍नाटा सा छा गया. फातिमा बेगम हिंदी सिनेमा की पहली महिला निर्देशक थीं, लेकिन उनके बाद लंबे समय तक कहीं कुछ आहट सुनाई नहीं दी. लेकिन बीत दो दशकों में […]

साल 2013 में हिंदी सिनेमा ने अपने सौ साल पूरे कर लिये. ऐसे में अगर बात महिला निर्देशकों की हुई तो इंडस्‍ट्री में जैसे एक सन्‍नाटा सा छा गया. फातिमा बेगम हिंदी सिनेमा की पहली महिला निर्देशक थीं, लेकिन उनके बाद लंबे समय तक कहीं कुछ आहट सुनाई नहीं दी. लेकिन बीत दो दशकों में कई महिला निर्देशकों ने एक खास जगह बनाई है. उनका टैलेंट कैमरे के सामने दिखा और अलग-अलग रंग बिखरता गया.

अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम ऐसे ही महिला निर्देशकों के बारे में आपको बताना चाहते हैं जिन्‍होंने इस क्षेत्र में अपना हुनर दिखाया और बॉक्‍स ऑफिस पर कई हिट फिल्‍में दी. जानें बॉलीवुड की 10 ऐसीही महिला निर्देशकों के बारे में जिन्‍होंने अपने हुनर के बूते इंटरनेशनल प्‍लेटफॉर्म पर जगह बनाईं है.

गौरी शिंदे : साल 2012 में अपनी पहली ही फिल्‍म ‘इंग्लिश विंग्‍लिश’ से चर्चा में आई गौ‍री शिंदे ने अपने खास अंदाज के चलते बॉलीवुड में एक खास जगह बनाई. फिल्‍म में दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी मुख्‍य भूमिका में नजर आई थीं. पहली ही फिल्‍म के लिए गौरी ने 14वां आईफा अवॉर्ड, 58वां फिल्‍म फेयर अवॉर्ड, 19वां स्‍क्रीन एवॉर्ड जैसे कई और अवार्ड जीते थे. इसके बाद उन्‍होंने साल 2016 में शाहरुख खान और आलिया भट्ट को लेकर ‘डियर जिंदगी’ बनाई थी.

रीमा कागती : मूलरूप से असम के गुवाहाटी की रहनेवाली रीमा कागती बॉलीवुड के कुछ डिफ्रेंट डायरेक्‍टर्स में से एक मानी जाती हैं. साल 2007 में वे पहली फिल्‍म ‘हनीमून ट्रैवर्ल्‍स प्राइवेट लि.’ से चर्चा में आई थीं. उनकी दूसरी फिल्‍म तलाश थी जिसमें उन्‍होंने बॉलीवुड स्‍टार आमिर खान और करीना कपूर के साथ काम किया था. इसके अलावा रीमा ‘जिंदगी ने मिलेगी दोबारा’, ‘लक्ष्‍य’, ‘दिल चाहता है’ और ‘लगान’ जैसी फिल्‍मों की सहायक निर्देशक भी रह चुकी हैं.

फराह खान : बॉलीवुड में मूलरूप से कोरियोग्राफर के तौर पर पहचानी जानेवाली फराह खान ने निर्देशक के तौर पर इंडस्‍ट्री को कई शानदार फिल्‍में दी है. लगभग 80 से ज्‍यादा फिल्‍मों में कोरियोग्राफी कर चुकी फराह खान ने ‘मैं हूं ना’ (2004), ‘ओम शांति ओम’ (2007) और ‘हैप्‍पी न्‍यू ईयर’ (2014) जैसी सफल फिल्‍में दी है. वे टेलीविजन इंडस्‍ट्री का एक जाना-पहचाना नाम है. उन्‍होंने कमर्शियल सिनेमा में भी एक मेल डायरेक्‍टर के तौर पर नयी ऊचाईयों पर पहुंचाया है.

अपर्णा सेन : अपर्णा सेन ने मूलत: बंगाली फिल्‍में बनाई है. वे तीन बार राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार जीत चुकी निर्देशक हैं. साल 1987 में उन्‍हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्‍मानित किया गया था. निर्देशन के क्षेत्र में बेहतरीन पकड़ और स्‍क्रीनप्‍ले की मास्‍टर इस डायरेक्‍टर ने बतौर अभिनेत्री भी कई फिल्‍मों में काम किया है. साल 1981 में उनकी बंगाली में आई ’36 चौरंगी लेन’ फिल्‍म ने बॉलीवुड सहित फिल्‍मी जगत के सभी दिग्‍गज निर्देशकों का ध्‍यान खींचा. इस फिल्‍म को कई अवॉर्ड मिले। इसी के लिए उन्‍हें नेशनल फिल्‍म अवॉर्ड भी मिला. इसके अलावा उन्‍होंनें ‘पेरौमा’ (1984) ‘सती’, (1989), युगांत (1985), मिस्‍टर एंड मिसेज अय्यर (2002) और The Japanese Wife (2010) जैसी अवॉर्ड विनिंग फिल्‍में भी बनाईं.

दीपा मेहता : मूलरूप से पंजाब के अमृतसर की रहनेवाली दीपा मेहता एक अंतर्राष्‍ट्रीय निर्देशक के तौर पर जानी जाती हैं. साल 1996 में फिल्‍म ‘फायर’ से चर्चा में आनेवाली दीपा ने बॉलीवुड को कुछ चुनिंदा फिल्‍में दी है. उन्‍होंने लीक से हटकर ‘अर्थ’ (1998) और ‘वॉटर’ (2005) जैसी फिल्‍में दी और ए‍क अलग जगह बनाई. खास बात यह है कि उनकी तीनों फिल्‍मों ने ऑस्‍कर में प्रवेश किया था. उनकी फिल्‍मों में महिला सशक्तिकरण से लेकर स्‍त्री विमर्श के गंभीर बिंदु शामिल होते हैं.

जोया अख्‍तर : जानेमाने पट‍कथा लेखक और गीतकार जावेद अख्‍तर की बेटी जोया अख्‍तर बॉलीवुड की एक कंटेम्‍पररी डायरेक्‍टर हैं. हर कोई उनके साथ करना चाहता है. साल 2009 में फिल्‍म ‘लब बाय चांस’ से एक निर्देशक के तौर पर करियर की शुरुआत करनेवाली जोया ने ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ जैसी सुपरहिट फिल्‍म दी. इस फिल्‍म के लिए उन्‍हें बेस्‍ट डायरेक्‍टर का अवार्ड मिला था. इसके अलावा उन्‍होंने बॉम्‍बे टॉ‍कीज में शीला की जवानी सेगमेंट का निर्देशन किया है.

किरण राव : किरण राव बॉलीवुड की मशहूर डायरेक्‍टर के तौर पर जानी जाती हैं. उन्‍होंने ‘लगान’, ‘स्‍वदेश’, ‘मॉनसून वेडिंग’ और साथिया जैसी फिल्‍मों में सहायक निर्देशक की भूमिका निभाई थी. जबकि ‘तारे जमीन पर’, ‘जाने तू या जाने न’, ‘पीपली लाइव’, ‘देल्‍ही बेली’ और ‘तलाश’ जैसी फिल्‍मों का निर्माण किया था. किरण राव की समानांतर और गंभीर सिनेमा बनाने में उनकी रचनात्‍मकता बेहद नयी है.

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