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मधुर भंडारकर की कड़ी मेहनत का परिणाम है फिल्म ” इंदु सरकार”, कुलदीप नैय्यर से ली थी मदद

फिल्मकार मधुर भंडारकर की फिल्म ‘ इंदु सरकार’ आज रिलीज हो गयी है. फिल्म चर्चा में है और जाहिर है इसके बनाने वाले मधुर भी एक बार फिर चर्चा में हैं. आपातकाल की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म ‘ इंदु सरकार’ रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गयी थी. मधुर खास शैली की फिल्में बनाने […]

फिल्मकार मधुर भंडारकर की फिल्म ‘ इंदु सरकार’ आज रिलीज हो गयी है. फिल्म चर्चा में है और जाहिर है इसके बनाने वाले मधुर भी एक बार फिर चर्चा में हैं. आपातकाल की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म ‘ इंदु सरकार’ रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गयी थी. मधुर खास शैली की फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं, जिसमें यथार्थ के अनुभव होते हैं, जिसे कलाकार फिल्मी अंदाज में जीते हैं. मधुर भंडारकर की पहली कामयाब फिल्म ‘चांदनी बार’ एक बार बाला के जीवन पर आधारित है, जो उन्होंने आज से 16 साल पहले 2001 में बनायी थी.तबसे अब तक मधुर ने लंबा सफर तय किया है औरअपनेअंदर के फिल्मकार को नया आयाम देने की कोशिश की है. ‘ इंदु सरकार’ फिल्म को लेकर मधुर कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो यह तक कहा है कि यह फिल्म एक खास वर्ग से प्रेरित-प्रायोजित है.


इंदु सरकार के लिए मधुर की मेहनत

मधुर जिस प्रोजेक्ट पर काम करते हैं, उसमें खुद को झोंक देते हैं. अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘इंदु सरकार’ के लिए भी उन्होंने ऐसा ही किया है.उन्होंने नेहरू संग्राहलवपुस्कालय की खाक छानी, इमरजेंसीपरबनेवृतचित्रदेखे. इमरजेंसीसे जुड़े अधिक से अधिक सामग्रियां पढ़ी. उसदौर को जीनेवाले लोगों सेपूराहाल जानने-समझनेकी कोशिश की. फिल्म कीस्क्रीप्ट लिखने वाले संजय छैलने उनके इस काम में सहयोग किया. फिल्मको बनानेसे पहले मधुर भंडारकर ने आपातकाल को लेकर कई पत्रकारों से बात की. लाइब्रेरी की पुस्तकों को खंगाला. आपातकाल पर किताब लिखने वाले चर्चित पत्रकार कोमी कपूर और कुलदीप नैय्यर से बातचीत की. कहा, तो यहां तक जाता है कि उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी तक से इसके लिए बात की, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है. लगभग 21 महीने तक चले लंबे आपातकाल पर बनी यह फिल्म 70 प्रतिशत काल्पनिक और तीस प्रतिशत सच्ची घटना पर आधारित है.

जरूर पढ़ें : ‘इमरजेंसी’ को जीवंत करती फिल्म ‘इंदु सरकार’


मधुर की अन्य फिल्में

मधुर भंडारकर की अन्य फिल्में पेज -3, फैशन, ट्रैफिक सिग्नल, जेल, दिल तो बच्चा है जी, हीरोईन, कैलेंडर गर्ल जैसी फिल्मों को निर्देशित किया है. ये फिल्में जीवन के सच पर आधारित हैं.ये सभी फिल्में किसी काल्पनिक कथा के बजाय एक खास किस्म का जीवन जीने वाले लोगों पर आधारित हैं. ट्रैफिक सिग्नल में ट्रैफिक किनारे खड़े लोगों के जीवन और उनके बीच पनपने वाले संबंधों, उनकी आकांक्षाओं को दिखाया गया है. वहीं फैशन में केंद्रीय भूमिका में एक मॉडल है, जो मध्यमवर्गीय परिवार से मॉडल बनने का सपना लेकरमुंबई आती है. फिल्म एक मॉडल के जीवन के साथ आगे बढ़ती है और फैशन इंडस्ट्री के स्याह पक्षों से दर्शकों को वाकिफ करवाती है.दरअसल,मधुर अपने फिल्मों में वह जीवन फिल्माते हैंजो वहअपने आसपास लोगों को जीते देखतेहैं या जो वह महसूस करते हैं.संघर्ष कर मुकाम हासिल करने के कारण उनके अंदर के फिल्मकारमें एक अद्भुत किस्म का यथार्थवाद है.

अपने फिल्मों के बारे में क्या सोचते हैं मधुर भंडारकर

फिल्मी जीवन का 16 साल पूरा करने वाले मधुर भंडारकर कहते हैं कि मेरी फिल्म चांदनी बार को कई लोगों ने सराहा लेकिन कई समीक्षकों ने इसकी आलोचना भी की. मैं तो यही चाहता हूं कि अगर दस लाख लोग मेरी फिल्म देखें तो वह इस नजर से फिल्म को देखें जैसे दस लाख फिल्म हो.

वीडियो कैसेट के डिलिवरी ब्वॉय थे मधुर

मधुर भंडारकर वीडियो कैसेट के डिलिवरी ब्वॉय थे. इस दौरान मधुर ने काफी फिल्में देखी. बेहद साधारण परिवार से आने के बावजूद मधुर भंडारकर ने फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनायी. मधुर भगवान सिद्धिविनायक के बड़े भक्त हैं और खार में जब भी वे शहर में होते हैं अपने निवास से बिना चप्पल के मंगलवार को प्रभादेवी के मंदिर जाते हैं. खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए मधुर नियमित रूप से जिम भी जाते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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