आज हिंदी सिनेमा के मशहूर प्लेबैक सिंगरऔर म्यूजिक डायरेक्टर भूपेन हजारिका का जन्मदिन है. भूपेन आज भले हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके गाए हुए गाने आज भी लाखों- करोड़े लोगों के दिलों में राज करती है. फिल्म इंडस्ट्री में भूपेन हजारिका का नाम मशहूर सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर में शुमार था. उन्होंने कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार के रूप में भी जाना जाता था.उन्हें फिल्म मेकिंग का ऑलराउंडर माना जाता था.
भूपेन हजारिका को नेशनल अवार्ड, पद्म विभूषण और इससे भी कहीं ज्यादा बढ़कर भारत रत्न सम्मान मिला. वह कला की हर विधा में लोक संस्कृति के रंग भरते हुए कवि, कहानीकार, गायक, लेखक संगीत निर्देशक, पत्रकार और फिल्मकार के रूप में अपनी यात्रा पर आगे बढ़ते रहे. असम के तिनसुकिया जिले के सादिया गांव में 8 सितंबर 1926 को नीलकांत और शांतिप्रिया के यहां भूपेन का जन्म हुआ था.
उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से 1942 में इंटरमीडिएट और उसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन और पोस्टग्रैजुएशन की पढ़ाई की. कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपने पांच साल के शोध काल में भूपेन ने दुनिया की कई संस्कृतियों को करीब से देखा और उसमें भारत की सांस्कृतिक विरासत के रंग भर दिए. सात समंदर पार रहते हुए भूपेन की मुलाकात प्रियंवदा पटेल से हुई और दोनों ने 1950 में विवाह कर लिया.
1953 में वह अपने परिवार के साथ स्वेदश लौट आए. 1956 में भूपेन ने अपनी पहली असमिया फिल्म एरा बाटर सुर का निर्माण और निर्देशन किया. यह फिल्म सफल साबित हुई और उनका करियर आगे बढ़ने लगा.
सिंगर के तौर पर हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में बंगाली फिल्म जीबॉन तृष्णा के लिए उनका गाया गाना ‘सागर संगमे’ बेहद लोकप्रिय हुआ. गुरुदत्त फिल्म के बैनर तले बनी फिल्म नैनो में दर्पण है और जब से तूने बंसी बजाई के गानों को संगीत दिया था जो आज भी सदाबहार बने हुए हैं.
भूपेन हजारिका ने ‘दिल हूम हूम करे’, ‘हे डोला’ ‘ओ गंगा बहती हो क्यों’, ‘एक कली दो पत्तियां’ जैसे मशहूर गानों को संगीत दिया था.