नयी दिल्ली: ‘टोटे- टोटे’ गीत से मशहूर गायक-राजनेता हंसराज ‘हंस’ ने अपने विरोधी उम्मीदवारों के दिलों को ‘टोटे- टोटे’ करते हुए उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से साढ़े पांच लाख से अधिक मतों की बढ़त बना रखी है और अपने राजनीतिक कैरियर में लगातार तीसरी बार वह जीत हासिल करने जा रहे हैं. हंस ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत शिरोमणि अकाली दल से करते हुए साल 2009 में जालंधर से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
बाद में उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धताएं कांग्रेस के साथ जुड़ गयीं लेकिन राज्यसभा के टिकट के लिए अंतिम क्षणों में उनका पत्ता साफ होने के बाद उन्होंने पार्टी से रिश्ता तोड़ लिया. उनके बजाय पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रमुख शमशेर सिंह दुल्लो को टिकट दे दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘ एक कलाकार के नाते मुझे जनता से जो आपार स्नेह मिला है, मैं उसके लिए उसका आभारी हूं. मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूं कि राजनीति में भी मुझे लोगों का इसी तरह से प्यार मिला है. मोदी लहर का निश्चित रूप से फायदा हुआ है क्योंकि लोगों का उनके नेतृत्व और उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यो में भरोसा था.’
हंस शानदार जीत की ओर बढ़ते दिख रहे हैं लेकिन उनका नामांकन कुछ कम नाटकीय नहीं रहा था. नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया का समय समाप्त होने में कुछ ही घंटे बजे थे जब पार्टी उम्मीदवार के रूप में उनका नाम घोषित किया गया. पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हंस खुद को सूफी और ‘फकीर’ कहलाना पसंद करते हैं और वह उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से उम्मीदवार के रूप में अचानक सामने आए थे.
इससे पहले भाजपा सांसद उदित राज इस सीट पर काबिज थे लेकिन पार्टी के इस फैसले से उदित राज ने बगावत कर दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. आप के गुगन सिंह और कांग्रेस के राजेश लिलोठिया के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में उतरे हंस को विपक्षी दलों ने ‘बाहरी’ करार दिया था. लेकिन उन्होंने इसे विपक्षी उम्मीदवारों की असुरक्षा करार देकर खारिज कर दिया.
57 वर्षीय सूफी गायक साल 2014 में उस विवादों में घिर गए थे जब आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पूर्व आरोप लगाया था कि उन्हेांने इस्लाम ग्रहण कर लिया है और वह उत्तर पश्चिम दिल्ली से चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. उत्तर पश्चिम दिल्ली सीट पर चुनाव मैदान में सबसे कम केवल 10 उम्मीदवार मैदान में थे जबकि इस सीट पर सर्वाधिक मतदाता हैं.