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ऐसी होती है टीवी सितारों की होली…..जानें

सनग्लासेज लगाकर होली खेलें : काजल श्रीवास्तव बचपन में मुझे होली का इंतजार होता था कि होली कब आयेगी,क्योंकि हम सभी कंजिंस होली के दिन एक साथ होते थे. साथ मिल कर डांस करते थे.एक-दूसरे पर खूब सारा रंग डालते थे. पूरा परिवार मिल कर स्वादिष्ट व्यंजन बनाता था. इस बार की होली बहुत खास […]

सनग्लासेज लगाकर होली खेलें : काजल श्रीवास्तव
बचपन में मुझे होली का इंतजार होता था कि होली कब आयेगी,क्योंकि हम सभी कंजिंस होली के दिन एक साथ होते थे. साथ मिल कर डांस करते थे.एक-दूसरे पर खूब सारा रंग डालते थे. पूरा परिवार मिल कर स्वादिष्ट व्यंजन बनाता था. इस बार की होली बहुत खास होनेवाली हैं, क्योंकि मेरी दीदी की शादी हुई है. रस्म के मुताबिक जीजाजी और दीदी हमारे साथ ये होली सेलिब्रेट करेंगे. उनको रंगने की बहुत सारी प्लानिंग है. होली की मस्ती में अपनी त्वचा और विशेष कर आंखों का ख्याल रखना मत भूलिएगा.
बचपन में बुक में छिपाती थी बैलून : श्रद्धा आर्या
बचपन की होली बहुत खास होती थी. मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर कीचड़ और टमाटरवाली होली खेला करती थी. मेरे पैरेंट्स मुझे बैलून नहीं खरीदने देते थे. उन्हें लगता था कि बैलून सेफ नहीं है. इससे किसी को चोट भी लग सकती है, लेकिन हम बच्चे कहां माननेवाले होते थे.
मैं भी होली के कई दिन पहले से ही अपने फ्रेंडस लोगों की मदद से बैलून इकट्ठा करती थी. उसे अपनी बुक में छुपा कर रखती थी, ताकि किसी को पता न चले. जब कभी भी शूटिंग से जल्द फ्री होती हूं, तो मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ इसे सेलिब्रेट करती हूं.
मिठाई और रंग पसंद है : विवियन डिसेना
मुझे होली का रंगों से भरा वातावरण सकारात्मक ऊर्जा देता हैं. मुझे लगता है कि त्योहारों की सबसे बड़ी खासियत यही होती है कि ये आपको जोश और उत्साह से भर देते हैं. मैं हर साल होली खेलता हूं, पर हार्ड कलर का इस्तेमाल नहीं करता. अबीर-गुलाल से होली खेलना पसंद करता हूं. अपनी सबसे यादगार होली की बात करूं, तो उज्जैन की होली मेरे लिए बहुत खास थी. हम सारे दोस्त स्विमिंग पुल में कूद कर देर शाम तक जम कर होली खेला करते थे.
शर्त्त के चक्कर में कई ग्लास भांग पी ली : शशांक व्यास
होली का मतलब है- मेरे लिए मिठाइयां. मुझे मीठा खाने का बहुत शौक है, होली मुझे यह मौका देता है. मैं रंग कम ही खेलता हूं. पानी की समस्या तो इस साल है ही, इसके अलावा रंगों में बहुत सारे केमिकल होते हैं, जिनसे स्किन और आंखों को बहुत नुकसान पहुंचता है.
मेरे यादगार होली की बात करूं, तो दसवीं की परीक्षा देने के बाद मैंने और मेरे और दोस्तों ने तय किया कि इस बार होली में भांग पीयेंगे. उससे पहले तक मैंने भांग नहीं पी थी. होली के दिन हमारी भांग पार्टी शुरू शर्त्त के चक्कर में गिलास पर गिलास पीता चला गया. घर पहुंचा शाम को जो सात बजे सोया, तो अगले दिन सुबह 11 बजे उठाया. मेरी मां परेशान हो गयी थी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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