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Thursday, March 28, 2024

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Tripura Election Result: बीजेपी ने कहा, ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के अलावा टिपरा मोथा की सभी मांगें मंजूर

Tripura Election Result: BJP की त्रिपुरा इकाई के प्रमुख सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा है कि हमें ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के अलावा टिपरा मोथा की सभी मांगें मंजूर हैं.

Tripura Election Result: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की त्रिपुरा इकाई के प्रमुख सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा है कि हमें ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के अलावा टिपरा मोथा की सभी मांगें मंजूर हैं. दरअसल, त्रिपुरा में शाही वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा द्वारा बनाई गई नयी पार्टी टिपरा मोथा राज्य में अगली सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकती है.

त्रिपुरा में किंगमेकर की भूमिका निभाएगी टिपरा मोथा

त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए जारी मतगणना के बीच टिपरा मोथा अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 20 में से 12 सीटों पर आगे है, जिससे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP)-इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) गठबंधन और विपक्षी कांग्रेस-वाम गठबंधन की जीत की संभावनाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है. ताजा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन 30 सीटों पर आगे है. इस तरह, वह बहुमत के जादुई आंकड़े से महज एक सीट दूर है. वहीं, रुझानों के अनुसार, विपक्षी कांग्रेस-वाम गठबंधन को 17 सीटों पर बढ़त हासिल है.

बीजेपी के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में सफल रहा टिपरा मोथा

रुझान संकेत देते हैं कि टिपरा मोथा राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में सफल रहा है. त्रिपुरा में 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 10 सीटें जीती थीं, जबकि उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने 8 सीटें हासिल की थीं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित दो सीटें जीती थीं. वहीं, इस बार, टिपरा मोथा प्रमुख आदिवासी पार्टी के रूप में आईपीएफटी की जगह लेने में सफल रही है, क्योंकि देबबर्मा के ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की स्थापना के वादे के बलबूते उसे आदिवासी मतदाताओं के एक बड़े वर्ग के बीच व्यापक समर्थन हासिल हुआ है.

पिछली बार बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन को मिली थी जीत

आईपीएफटी के साथ बीजेपी के गठबंधन को 2018 के चुनाव में वाम मोर्चा सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने वाले प्रमुख कारकों में शुमार किया गया था. आईपीएफटी के 2018 के चुनावों से पहले किए गए टिपरालैंड की स्थापना के वादे को पूरा करने में नाकाम रहने के बाद देबबर्मा ने अपनी शाही विरासत को भुनाते हुए व्यवस्थित रूप से आदिवासी क्षेत्रों में पैठ बनानी शुरू कर दी. धीरे-धीरे वह खुद को आदिवासियों के संरक्षक के रूप में चित्रित करने में कामयाब रहे, जिन्होंने उन्हें बुबगरा (राजा) कहना शुरू कर दिया. इससे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आईपीएफटी की लोकप्रियता में भारी गिरावट आने लगी.

टिपरा मोथा के कारण कमजोर पड़ा माकपा का जनाधार

देबबर्मा की टिपरा मोथा अप्रैल 2022 में अपने गठन के महज तीन महीने बाद त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) के लिए हुए चुनावों में आईपीएफटी को शून्य पर समेटने में सफल रही. कभी पहाड़ों में दबदबा रखने वाली माकपा का जनाधार भी टिपरा मोथा के कारण कमजोर पड़ा है. टीटीएएडीसी चुनाव में टिपरा मोथा ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को 10 सीटों से संतोष करना पड़ा था. दोस्ती की कई कोशिशों के बावजूद न तो सत्तारूढ़ बीजेपी और न ही विपक्षी दल माकपा विधानसभा चुनावों के लिए टिपरा मोथा के साथ गठबंधन करने में कामयाब हो पाई.

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