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जानें आज क्यों मनाया जा रहा है आक्रामकता का शिकार हुए मासूम बच्चों का अंतरराष्ट्रीय दिवस

International Day of Innocent Children Victims of Aggression 2023: आक्रामकता का शिकार हुए मासूम बच्चों का अंतरराष्ट्रीय दिवसकी शुरुआत 19 अगस्त 1982 को तब हुई जब इजराइल की हिंसा में फिलिस्तीन और लेबनान के बच्चों को युद्ध की हिंसा का शिकार होना पड़ा था

International Day of Innocent Children Victims of Aggression 2023: हर साल 4 जून को, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) दुनिया भर में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के शिकार बच्चों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Innocent Children Victims of Aggression) मनाता है. इस दिन, संयुक्त राष्ट्र बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है.

ऐसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत

इस दिन को बाल अधिकारों की रक्षा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के संकल्प की पुष्टि वाला दिन भी माना जाता है. लेकिन इसकी शुरुआत 19 अगस्त 1982 को तब हुई जब इजराइल की हिंसा में फिलिस्तीन और लेबनान के बच्चों को युद्ध की हिंसा का शिकार होना पड़ा था और फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र से इस बारे में कदम उठाने का आग्रह किया था. इसी हिंसा का ध्यान रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 जून को इंटरनेशन डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रन ऑफ एग्रेशन के रूप में मानाने का निर्णय लिया था.

ये दिवस मनाए जाने का उद्देश्य

19 अगस्त 1982 को फिलिस्तीन के सवाल पर एक विशेष सत्र में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने प्रत्येक वर्ष चार जून को ‘मासूम बच्चों की पीड़ा का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ मनाने का फैसला किया. इस समय फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से आग्रह किया था. ये उस समय की बात है जब इजराइल की हिंसा में फिलिस्तीन और लेबनान के बच्चों को हिंसा का शिकार होना पड़ा था और उसी हिंसा को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चार जून को इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रन विक्टिम्स ऑफ एग्रसेन मनाने का निर्णय लिया.

आक्रामकता के शिकार से बचने के लिए है इसकी जरूरत

संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास पर्याप्त नहीं हैं और इस मामले में और ज्यादा किए जाने की जरूरत है. इसके लिए हिंसक चरमपंथियों को निशाना बनाए जाने की जरूरत है. अंतरराष्ट्रीय मानतावादी और मानव अधिकार कानूनों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बच्चों के अधिकारों को उल्लंघन की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए.

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