Success story: दुर्गम वनों और ऊंचे पर्वतों को जीतते हुए
जब तुम अंतिम ऊंचाई को भी जीत लोगे—
जब तुम्हें लगेगा कि कोई अंतर नहीं बचा अब
तुममें और उन पत्थरों की कठोरता में
जिन्हें तुमने जीता है
राजन भट्ट ने कुंवर नारायण की मशहूर कविता ‘अंतिम ऊंचाई ‘ की पंक्तियों को सच साबित कर दिखाया है. हर छात्र का सपना होता है कि वह बड़ा होकर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करे. उन्होंने यह सपना पूरा कर दिखाया है. महराजगंज के बिसोखोर गांव के रहने वाले राजन भट्ट ने जेईई मेन की परीक्षा पास कर पूरे जिले का नाम रोशन किया है. राजन भट्ट गांव की पृष्ठभूमि से आते हैं और उनके लिए यह सफर आसान नहीं रहा होगा. आइए इस लेख के जरिए जानते हैं कि कैसे उन्होंने मेड़ की राह पर चलते हुए जेईई मेन में सफलता हासिल की है.
Success story: जमीन बेचकर पढ़ाई करवाई थी
अपनी सफलता के जरिए राजन भट्ट ने यह साबित कर दिया है कि आपके सपने कितने भी बड़े क्यों न हों, उन्हें सफल बनाना आपके हाथ में है. जेईई जैसी कठिन परीक्षा पास करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. जेईई परीक्षा पास कर राजन भट्ट ने न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है. राजन भट्ट इंजीनियर बनने का सपना देखते थे और उनके पिता ने उनका सपना साकार करने के लिए अपना खेत बेच दिया. उनके पिता के पास खेत बेचने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था, क्योंकि राजन के पिता किसान हैं और गांव में मजदूरी करते हैं. वह खेत बेचकर ही अपना सपना पूरा कर सकते थे, इसलिए उन्होंने अपना खेत बेच दिया ताकि राजन का इंजीनियर बनने का सपना अधूरा न रह जाए.
प्रारंभिक शिक्षा कैसी थी?
राजन भट्ट स्थानीय स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे और बाद में जेईई परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा चले गए। आपको यह भी बता दें कि राजन भट्ट बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रहे हैं।
राजन भट्ट के पिता किसान हैं और उनके लिए अपने बेटे को इंजीनियरिंग की शिक्षा दिलाना काफी मुश्किल साबित हो रहा था, लेकिन वो राजन की शिक्षा में किसी भी तरह की कमी नहीं आने देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपना खेत बेच दिया ताकि राजन अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर सके और अपना सपना पूरा कर सके. साथ ही आपको बता दें कि एक मीडिया चैनल से बात करते हुए आंखों में आंसू लिए राजन के पिता ने कहा- ”हम खुद ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन अपने बेटे को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं. राजन की शिक्षा के लिए हमसे जो बन पड़ा, हमने किया.
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