Study in Australia 2025 in Hindi: ऑस्ट्रेलिया की कुछ बड़ी यूनिवर्सिटियों ने भारत के पांच राज्यों को बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात उत्तराखंड से आने वाले छात्रों का एडमिशन रोक दिया है. फेडरेशन यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाओं का कहना है कि इन राज्यों से आने वाले कई छात्र वीजा मिलने के बाद पढ़ाई छोड़कर नौकरी करने लगते हैं. इससे यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का माहौल प्रभावित हो रहा है. बार-बार वीजा धोखाधड़ी की शिकायतें भी मिली हैं. (Australia student visa rules in Hindi)
Study in Australia 2025: इमिग्रेशन नियम हुए सख्त
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इमिग्रेशन के नियमों को सख्त कर दिया है. सरकार चाहती है कि 2025 तक आने वाले प्रवासियों की संख्या आधी हो जाए. खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर नजर कड़ी कर दी गई है. पिछले एक साल में भारतीय छात्रों को मिलने वाले वीजा में 48% की गिरावट आई है और करीब 20% आवेदन खारिज किए जा रहे हैं.
कुछ कोर्स और आयु सीमा पर भी रोक
सेंट्रल क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ने एजेंटों को भारत और नेपाल से आने वाले छात्रों को इंग्लिश कोर्स में दाखिला न देने का निर्देश दिया है. साथ ही 25 साल से ऊपर के या शादीशुदा छात्रों को केवल तभी एडमिशन मिलेगा जब वे रिसर्च के मकसद से आ रहे हों. वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ने पहले ही पंजाब, हरियाणा और गुजरात के छात्रों के दाखिले पर रोक लगा दी थी.
कनाडा, यूके और अमेरिका ने भी सख्ती की
ऑस्ट्रेलिया के अलावा कनाडा, यूके और अमेरिका ने भी स्टूडेंट वीजा को लेकर सख्त रुख अपनाया है. कनाडा ने वीजा की संख्या सीमित कर दी है और यूके ने पढ़ाई के बाद काम करने के अधिकार पर पाबंदी लगा दी है. अमेरिका ने भी हाल में सैकड़ों भारतीयों को अवैध रूप से रहने के कारण वापस भेजा है.
एजेंट्स की भूमिका पर सवाल
ऑस्ट्रेलिया में एजुकेशन एजेंट्स की संस्था AAERI ने कहा है कि कुछ एजेंट फर्जी दस्तावेज और गलत जानकारी देकर छात्रों को भेज रहे हैं. संस्था ने सुझाव दिया है कि यूनिवर्सिटियां केवल मान्यता प्राप्त एजेंट्स से ही काम करें. (Immigration rules Australia 2025 in Hindi)
समाधान क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों की जांच-पड़ताल कड़ी होनी चाहिए और फर्जीवाड़ा करने वाले एजेंट्स पर कार्रवाई जरूरी है. यूनिवर्सिटियों को भी राज्य देखकर नहीं, बल्कि छात्र की योग्यता देखकर फैसला लेना चाहिए. भारत और ऑस्ट्रेलिया को मिलकर इस मसले का समाधान निकालना होगा ताकि ईमानदार छात्रों का भविष्य न बिगड़े.
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