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NEET में हिंदी का दबदबा, क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती लोकप्रियता ने बदला मेडिकल परीक्षा का ट्रेंड!

रिपोर्टस के अनुसार, NEET परीक्षा में बीते सालों में हिंदी भाषा की लोकप्रियता काफी बढ़ती जा रही है, साथ ही इस परीक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की लोकप्रियता भी काफी ज्यादा बढ़ती जा रही है.

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राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) भारत में मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है. यह परीक्षा विभिन्न भाषाओं में आयोजित की जाती है, ताकि छात्र अपनी सुविधा के अनुसार भाषा चुन सकें. पिछले कुछ वर्षों में हिंदी, बंगाली, गुजराती, तमिल और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. यह न केवल छात्रों के भाषा अधिकारों को सशक्त बना रहा है, बल्कि मेडिकल शिक्षा को अधिक समावेशी भी बना रहा है.

हिंदी माध्यम में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में भारी उछाल

यदि हम हिंदी भाषा की बात करें, तो NEET में इसमें परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2019 में 1,79,857 छात्रों ने हिंदी माध्यम में परीक्षा दी थी, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 3,57,908 हो गई. यानी पांच वर्षों में हिंदी माध्यम को चुनने वाले छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. यह उन छात्रों के लिए एक सकारात्मक संकेत है जो अपनी मातृभाषा में पढ़ाई को प्राथमिकता देते हैं और मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं.

बंगाली, गुजराती और तमिल में भी तेजी से वृद्धि

बंगाली भाषा में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 2019 में केवल 4,750 छात्रों ने इसे चुना था, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 48,265 हो गई. इसी तरह, गुजराती भाषा में भी छात्रों की संख्या बढ़ी है, जहाँ 2019 में 59,395 छात्र थे, वहीं 2024 में यह बढ़कर 58,836 हो गई.

तमिल भाषा में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में भी बड़ा उछाल आया है. 2019 में जहां केवल 1,017 छात्रों ने तमिल को चुना था, वहीं 2024 में यह संख्या 36,333 तक पहुंच गई। यह दिखाता है कि मेडिकल शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है और छात्रों को उनकी पसंदीदा भाषा में परीक्षा देने का अवसर मिल रहा है.

मराठी और ओड़िया भाषाओं की स्थिति

मराठी और ओड़िया में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही है. 2019 में मराठी माध्यम में 31,239 छात्रों ने परीक्षा दी थी, लेकिन 2024 तक यह संख्या घटकर 1,759 रह गई. इसी तरह, ओड़िया भाषा में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में भी गिरावट देखी गई, जो 2019 में 31,490 थी और 2024 में घटकर 1,312 रह गई.

भाषाई विविधता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता

भारत जैसे बहुभाषी देश में यह जरूरी है कि शिक्षा प्रणाली सभी भाषाओं के छात्रों को समान अवसर प्रदान करे. NEET परीक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाई को प्राथमिकता देने लगे हैं. सरकार और शिक्षा संस्थानों को चाहिए कि वे मेडिकल की पढ़ाई को क्षेत्रीय भाषाओं में अधिक सुलभ बनाएं, ताकि छात्र अपने कौशल को बेहतर तरीके से विकसित कर सकें.

नीट परीक्षा के लिए भाषा चुनने वाले छात्रों की संख्या

वर्षहिंदीबंगालीगुजरातीमराठीओड़ियातमिल
20191,69,8574,75059,39531,23931,4901,017
20202,04,39936,59359,0556,25882217,101
20212,28,64135,11049,9422,9131,01619,868
20222,58,82742,66349,6382,36882231,965
20232,76,18043,89053,0271,83398830,536
20243,57,90848,26558,8361,7591,31236,333

यह भी पढ़ें- CBSE Exam: सीबीएसई कक्षा 12 के छात्रों को मिलेगा ‘विशेष परीक्षा’ का मौका, बोर्ड ने जारी किया नोटिस

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