IITians who became monks in Hindi: IIT देश का सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान, जहां पहुंचना हर होनहार छात्र का सपना होता है. यहां दाखिला मिलना ही अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. हर साल लाखों छात्र इस कठिन परीक्षा की तैयारी करते हैं, जिनमें से कुछ चुनिंदा ही सफलता की सीढ़ी चढ़ पाते हैं. यहां से निकलकर छात्र बड़ी कंपनियों में लाखों-करोड़ों के पैकेज पर नौकरी करते हैं, विदेशों में करियर बनाते हैं और समाज में एक ‘सक्सेस स्टोरी’ के रूप में देखे जाते हैं.
नई पीढ़ी की नजर में सफलता का यही मतलब बन गया है, IIT से निकलकर हाई पैकेज, विदेश की नौकरी और एक चमकदार जीवन. लेकिन इसी भीड़ से कुछ ऐसे चेहरे भी निकलते हैं, जो इस ‘सफलता की परिभाषा’ को चुनौती देते हैं.
वे न तो पैकेज की चमक से प्रभावित हुए, न ही कॉर्पोरेट की चकाचौंध ने उन्हें बांध पाया. उन्होंने चुना आत्म-साक्षात्कार का मार्ग, छोड़ दिया ऐश्वर्य और अपनाया संन्यास. ये कोई आम लोग नहीं थे. ये देश के सबसे मेधावी छात्र थे, जिन्होंने IIT की टॉप लिस्ट में जगह बनाई, गूगल, वॉलमार्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी हासिल की, और कनाडा-अमेरिका जैसे देशों में करियर संवारने का मौका भी पाया. लेकिन जब आत्मा ने पुकारा, तो उन्होंने सबकुछ छोड़कर भगवा धारण कर लिया.
ये हैं वो लोग जिन्होंने ‘सफलता’ को सिर्फ आर्थिक और भौतिक सीमाओं में नहीं बांधा, बल्कि उसे आत्मिक शांति और जीवन के गहरे अर्थों में तलाशा. आइए, जानें ऐसे ही 10 IIT ग्रेजुएट्स की प्रेरक कहानियां, जिन्होंने दुनिया की दौड़ में सबसे अलग रास्ता चुना संन्यास का.
IITians who became monks: ये हैं वो लोग जो साधु और संन्यासी बन गए
1. अभय सिंह (आईआईटी बॉम्बे)
हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले अभय ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. कनाडा में अच्छी नौकरी मिलने के बाद भी उन्होंने भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर दिया. आज वे काशी में संन्यासी जीवन जी रहे हैं और हाल ही में महाकुंभ 2025 में उनकी मौजूदगी चर्चा का विषय बनी.
2. आचार्य प्रशांत (आईआईटी दिल्ली)
आईआईएम अहमदाबाद से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की भी तैयारी की. लेकिन अंदर की बेचैनी ने उन्हें संन्यास की ओर मोड़ दिया. आज वे ‘अद्वैत फाउंडेशन’ के संस्थापक हैं और युवाओं में वेदांत और गीता की गहरी समझ जगा रहे हैं.
3. राधेश्याम दास (आईआईटी बॉम्बे)
टॉपर रहे राधेश्याम पहले रिसर्च फेलो और इंजीनियर थे. बाद में वे इस्कॉन से जुड़ गए और अब पुणे शाखा के प्रमुख हैं. वे युवाओं को कृष्ण भक्ति और आध्यात्मिक अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं.
4. रसनाथ दास (आईआईटी बॉम्बे)
आईआईटी के बाद उन्होंने अमेरिका में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. उन्होंने कॉरपोरेट जगत की व्यस्तता छोड़कर वैष्णव संप्रदाय में दीक्षा ली और अब वे संन्यासी के रूप में धार्मिक जीवन जी रहे हैं.
5. संकेत पारेख (आईआईटी बॉम्बे)
उन्होंने अमेरिका में केमिकल इंजीनियर की अपनी उच्च-भुगतान वाली नौकरी छोड़कर जैन परंपरा में दीक्षा ली. अब वे साधना और अहिंसा के मार्ग पर चल रहे हैं.
6. अविरल जैन (आईआईटी बीएचयू)
2015 में स्नातक करने के बाद उन्होंने वॉलमार्ट जैसी कंपनियों में काम किया. लेकिन फरवरी 2019 में उन्होंने सबकुछ छोड़कर जैन साधु बन गए. वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं और युवाओं को संयमित जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं.
7. गौरांग दास (आईआईटी बॉम्बे)
केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वे इस्कॉन से जुड़ गए. आज वे पूरी दुनिया में आध्यात्मिक व्याख्यान देने जाते हैं और कृष्ण भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.
8. स्वामी मुकुंदानंद (आईआईटी दिल्ली)
आईआईएम कोलकाता से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने ‘जगद्गुरु कृपालुजी योग’ की स्थापना की. आज वे अमेरिका में भी योग, ध्यान और वेदांत पर कार्यशालाएं आयोजित करते हैं.
9. महान एम.जे. (आईआईटी कानपुर)
पूर्व वैज्ञानिक और टीआईएफआर में प्रोफेसर रहे महान जी ने 2008 में रामकृष्ण मठ से दीक्षा ली थी. अब वे स्वामी विद्यानाथानंद के नाम से अध्यात्म के क्षेत्र में सक्रिय हैं.
10. संदीप कुमार भट्ट (आईआईटी दिल्ली)
आईआईटी दिल्ली से गोल्ड मेडलिस्ट संदीप ने 28 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था. आज वे ‘स्वामी सुंदर गोपालदास’ के नाम से जाने जाते हैं और धार्मिक प्रवचन देते हैं.
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