Aeroplane Amazing Facts How Do we breathe in Plane: प्लेन पर सफर करना भले ही आम बात हो गई हो. लेकिन प्लेन से जुड़ी अभी बहुत सारी मिस्ट्री है, जो आम लोगों के लिए शॉकिंग है. जब थोड़ी सी ऊंचाई पर सांस लेने में दिक्कत होती है तो क्या कभी आपने सोचा है कि 35,000 फीट की ऊंचाई प्लेन में पैसेंजर्स कैसे सांस लेते हैं? अगर आप भी नहीं जानते हैं तो आज इस सवाल का जवाब जानेंगे.
क्या बाहर से ली जाती है प्लेन में हवा?
प्लेन पर हर चीज के पीछे टेक्नोलॉजी का कमाल होता है. ऐसे ही प्लेन पर ट्रैवल करते हुए यात्री सांस कैसे लेते हैं, इसके पीछे भी सांइस छिपा है. दरअसल, प्लेन के अंदर की हवा बाहर से ली जाती है, लेकिन इसे सीधे नहीं भरा जाता. जी हां, बाहरी हवा को इंजन के जरिए प्लेन के अंदर लिया जाता है और इसे कंप्रेस, ठंडा और बैलेंसड करके पैसेंजर्स तक पहुंचाया जाता है.
डायरेक्ट यूज में नहीं ली जाती है बाहर की हवा
हवाई जहाज के इंजन सिर्फ थ्रस्ट यानी शक्ति पैदा करने के लिए नहीं होते, बल्कि ये हवा खींचकर उसमें से ऑक्सीजन भी निकालने का काम करते हैं. हालांकि, इस हवा को डायरेक्ट यूज में नहीं लिया जाता है. इसे कंप्रेस किया जाता है. फिर इसे केबिन के अंदर भेजा जाता है.
ठंडा किया जाता है केबिन में जाने से पहले
कंप्रेस की गई हवा बहुत गर्म होती है. ऐसे में इसे पहले ठंडा किया जाता है. इस हवा को एयर कूलिंग सिस्टम की मदद से ठंडा करके केबिन में रिलीज किया जाता है. इस तरह प्लेन में बैठे यात्रियों को हवा मिलती है. वहीं किसी इमरजेंसी के सिचुएशन में यात्रियों की सीट के ऊपर ऑक्सीजन माक्स होता है. इससे इमरजेंसी की स्थिति में यात्रियों को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है. तो अगली बार आपसे कोई पूछे कि प्लने में सांस कैसे लेते हैं तो आपके पास इसका जवाब होगा.
6,000 से 8,000 फीट का प्रेशर लेवल रखा जाता है
अब प्लेन में ऑक्सीजन को लेकर एक मेजदार बात ये है कि वैसे तो प्लने की धरती से ऊंचाई लगभग 35,000 फीट होती है. लेकिन प्लेन में हवा का प्रेशर 6 से 8 हजार के करीब रखा जाता है. ऐसा करने से यात्रियों को चक्कर या ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं होती.
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