CISCE Board Exam: काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) बोर्ड के स्कूलों में अगले सत्र से बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. बोर्ड ने न केवल 11वीं और 12वीं की कई अहम विषयों के सिलेबस में परिवर्तन करने का निर्णय लिया है, बल्कि परीक्षा पैटर्न को भी पूरी तरह नया रूप दिया जा रहा है. यह बदलाव सिलिगुड़ी में आयोजित रीजनल कॉन्फ्रेंस में तय किया गया, जिसमें बिहार-झारखंड जोन के 172 स्कूलों के प्रिंसिपल और बोर्ड अधिकारी शामिल हुए.
सिलेबस और परीक्षा पैटर्न में बदलाव
बोर्ड ने बायोलॉजी, केमेस्ट्री, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, मैथ्स, अकाउंट्स, कॉमर्स और सोशियोलॉजी जैसे विषयों के सिलेबस में बदलाव की घोषणा की है. साथ ही, 9वीं से 12वीं तक की परीक्षाओं में अब आधे प्रश्न क्रिटिकल थिंकिंग पर आधारित होंगे और बाकी 50 फीसदी प्रश्न कंपिटेंसी बेस्ड होंगे. ये सभी प्रश्न केस स्टडी फॉर्मेट में होंगे. यानी, छात्र रटकर इनका उत्तर नहीं दे पाएंगे, बल्कि उन्हें अपने विश्लेषण और समझ के आधार पर उत्तर देना होगा.
इंप्रूवमेंट टेस्ट में नई सुविधा
छात्र-हित को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इंप्रूवमेंट टेस्ट से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है. अब तक छात्रों को केवल दो विषयों में ही सुधार परीक्षा देने की अनुमति थी. लेकिन अगले सत्र से छात्र अधिकतम तीन विषयों में इंप्रूवमेंट टेस्ट दे सकेंगे. यह परीक्षा जुलाई में आयोजित की जाएगी. अगर किसी छात्र को आईसीएसई (10वीं) या आईएससी (12वीं) की बोर्ड परीक्षा में कम अंक मिलते हैं, तो उन्हें अपने प्रदर्शन में सुधार का यह अवसर मिलेगा.
स्टूडेंट फ्रेंडली कदम
बोर्ड का मानना है कि इस बदलाव से न केवल छात्रों की सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी अधिक व्यावहारिक और स्टूडेंट-फ्रेंडली बन जाएगी. यह कदम छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
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