LinkedIn Founder Education in Hindi: लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन प्रौद्योगिकी और उद्यमिता की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं. स्टार्टअप संस्कृति पर उनकी शिक्षाएं और विचार आज के उद्यमियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, ताकि वे सीख सकें कि सफल होने के लिए आवश्यक प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए कैसे सफल हुआ जाए.
LinkedIn Founder Education: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई
रीड हॉफमैन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की. उन्होंने 1990 में सिम्बॉलिक सिस्टम में ग्रेजुएशन किया. यह एक ऐसा विषय है जिसमें कंप्यूटर साइंस, साइकोलॉजी और फिलॉसफी की पढ़ाई करनी होती है. इस पढ़ाई से उन्हें टेक्नोलॉजी और ह्यूमन बिहेवियर को समझने में मदद मिली. इसके बाद उन्होंने 1993 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में मास्टर डिग्री हासिल की.
अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने गहरी सोच और समस्याओं को सुलझाने के तरीकों को समझा. हॉफमैन को एहसास हुआ कि वह सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहना चाहते. वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसका समाज पर बड़ा असर हो. यही सोच उन्हें टेक्नोलॉजी और बिजनेस की दुनिया में ले गई और बाद में उन्होंने एप्पल, फिर पेपाल और आखिर में लिंक्डइन की शुरुआत की.
दुनिया का सबसे बड़ा पेशेवर नेटवर्क है
दर्शनशास्त्र का अध्ययन करने के बाद, हॉफमैन ने लिंक्डइन बनाया, जो पेशेवर नेटवर्किंग, नौकरी की खोज और करियर निर्माण के लिए डिजाइन किया गया एक सोशल मीडिया माध्यम है. इसे 2003 में रीड हॉफमैन और उनकी टीम ने शुरू किया था. लिंक्डइन ने वित्तीय वर्ष 2024 में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 16 दशमलव 37 बिलियन डॉलर कमाए. इसने प्रीमियम सदस्यता से 2 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की. वर्ष के दौरान इसका कुल राजस्व 10% बढ़ा, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी पेशेवर नेटवर्क कंपनी बन गई.
यह उपयोगकर्ताओं को अपनी प्रोफ़ाइल बनाने, नौकरियों के लिए आवेदन करने, पेशेवर संपर्क जोड़ने और नए कौशल सीखने की अनुमति देता है. कंपनियां यहां से प्रतिभाशाली कर्मचारियों की भर्ती भी करती हैं. 2016 में, Microsoft ने लिंक्डइन को $26.2 बिलियन में अधिग्रहित किया, जिससे यह और भी प्रभावशाली हो गया. आज, यह दुनिया का सबसे बड़ा पेशेवर नेटवर्क है, जो लाखों लोगों को उनके करियर में आगे बढ़ने में मदद करता है.
हाल ही में हॉफमैन अपने एक बयान के कारण चर्चा में आए
हॉफमैन अपने एक बयान के कारण चर्चा में आए, जिसमें उन्होंने स्टार्टअप में कार्य-जीवन संतुलन को एक मिथक बताया था. उनका कहना है कि स्टार्टअप की शुरुआती सफलता के लिए पूरी लगन और कड़ी मेहनत जरूरी है.
उन्होंने लिंक्डइन और पेपाल के शुरुआती दिनों का उदाहरण दिया, जहां उनके कर्मचारी अक्सर परिवार के साथ डिनर करने के बाद भी काम करते रहते थे. उनका मानना है कि अगर स्टार्टअप का कोई कर्मचारी संतुलन की तलाश में है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि वह सफलता के लिए जरूरी प्रतिबद्धता नहीं दिखा रहा है.
हॉफमैन का मानना है कि शुरुआती सालों में संतुलन की तलाश करने वाले संस्थापक या कर्मचारी शायद वह फोकस और तीव्रता नहीं ला पाएं, जो स्टार्टअप को सफल बनाती है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह चरण हमेशा के लिए नहीं रहता, लेकिन स्टार्टअप के स्थापित होने तक पूरी तरह समर्पित रहना जरूरी है.