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केंद्रीय मंत्री Rajnath Singh को सारंडा के विकास के लिए पत्र सौंपने वाले पूर्व नक्सली की सांप काटने से मौत

झारखंड की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था ने एक बार फिर एक शख्स की जान ले ली. चिकित्सा व्यवस्था होती और समय पर इलाज किया गया होता तो शायद उसकी जान बच जाती. पश्चिमी सिंहभूम में पूर्व नक्सली विजय होनहागा उर्फ राकेश की सांप काटने से मौत हो गयी.

Jharkhand News, पश्चिमी सिंहभूम न्यूज (शैलेश कुमार सिंह) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा के थोलकोबाद निवासी पूर्व नक्सली विजय होनहागा उर्फ राकेश की बीती रात सांप काटने से मौत हो गयी. विजय होनहागा कुख्यात नक्सली नेता अनमोल दा का करीबी था. वह भाकपा माओवादी संगठन की इकाई क्रांतिकारी किसान कमिटी का पदाधिकारी रह चुका था. सारंडा के थोलकोबाद स्थित सीआरपीएफ कैंप में वर्षों पूर्व आये केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से विजय ने मुलाकात कर सारंडा के गांवों का विकास से संबंधित मांग पत्र सौंपा था.

वह थोलकोबाद क्षेत्र में नक्सलियों के फंड से ग्रामीणों का खेत तैयार कर खेती करवाना, कच्चा सिंचाई नहर, तालाब, कुआं निर्माण आदि का कार्य कराता था. ऑपरेशन एनाकोंडा के दौरान नक्सलियों ने विजय होनहागा के घर से ही छिपकर एलएमजी से पुलिस टीम पर फायर किया था. जिसके बाद पुलिस ने उसके घर पर मोर्टार दागा था, जिससे उसके घर को नुकसान पहुंचा था और इसके बाद नक्सली भागे थे. इस घटना के बाद विजय अपने एक अन्य नक्सली साथी कुलातुपु गांव निवासी यदुराय मुंडा के साथ राउरकेला पुलिस के पास दिसम्बर-2012 में आत्मसमर्पण कर दिया था.

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जेल से छूटने के बाद यदुराय को नक्सलियों ने कुलातुपु में ही मौत के घाट उतार दिया था जबकि विजय थोलकोबाद में ही रहकर वन विभाग द्वारा संचालित विकास कार्यों में बतौर मजदूर कार्य कर रहा था. सारंडा के थोलकोबाद स्थित सीआरपीएफ कैंप में वर्षों पूर्व आये केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से विजय ने मुलाकात कर सारंडा के गांवों का विकास से संबंधित मांग पत्र सौंपा था. विजय का भतीजा गोविन्द ने बताया कि बीती रात लगभग ग्यारह बजे चिती (करैत) सांप काट लिया लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों को सुबह चार बजे जब जानकारी मिली तो वाहन की व्यवस्था कर उसे सुबह लगभग छः बजे सेल अस्पताल किरीबुरु लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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उल्लेखनीय है कि किरीबुरु से थोलकोबाद की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है. सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में कहीं भी चिकित्सा एवं यातायात की कोई सुविधा नहीं है. किसी बीमार को समय पर इलाज हेतु अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में कई मरीजों की जान चली जाती है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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